NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
क्या ग्राम पंचायतें सच में न्याय कर रही हैं?
भारत गांवों में बसता है, देश की कुल आबादी की लगभग 70 फ़ीसद आबादी गांवों में रहती है। हमारे यहां 2 लाख 39 हज़ार ग्राम पंचायतें हैं। लेकिन आज के दौर में पंचायतों के तुग़लक़ी फ़रमान ने निश्चित ही इस पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सोनिया यादव
29 Aug 2019
gram panchayat
Image courtesy: thehansindia.com

प्रेमचंद की बहुचर्चित कहानी ‘पंच परमेश्वर’ के नायक जुम्मन शेख़ के इंसाफ़ को देखकर दिलो-दिमाग़ में पंचायत की जो छवि उभरती है, आज के समाज में शायद वो न्याय की तस्वीर धुंधली नज़र आ रही है। कहानी में जब जुम्मन शेख़ इंसाफ़ करने चले, तो उनके मन में यही विचार आया था कि ‘मैं इस वक़्त न्याय और धर्म के सर्वोच्च आसन पर बैठा हूं और मेरा सत्य से जौ भर भी टलना उचित नहीं।’ लेकिन आज के दौर में पंचायतों के तुग़लक़ी फ़रमान ने निश्चित ही इस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ताज़ा मामला बिहार के मधुबनी ज़िले से सामने आया है। बासोपट्टी प्रखंड के हत्थापुर परसा की ग्राम पंचायत ने "युवा अविवाहित लड़कियों" के मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है। लड़कियों को अंधेरा होने के बाद घर से बाहर निकलने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही पंचायत ने उन लड़कियों और महिलाओं का सामाजिक बहिष्कार करने की भी घोषणा की है जो शादी के समारोहों में डांस करेंगी। ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर लड़कियों पर इस तरह की पाबंदी लगाने का अधिकार पंचायत को किसने दिया? क्या ये फ़ैसला न्यायसंगत और तर्कसंगत है?

हाल ही में बिहार के गया ज़िले में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार पीड़िता का सिर मुंडवाकर उसे पूरे गांव में घुमाए जाने का मामला सामने आया था। अज्ञात लोगों द्वारा नाबालिग़ बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किए जाने के बाद जब उसकी मां न्याय मांगने पंचायत में पहुंची तो पीड़िता को ही दोषी क़रार देकर उसके सिर के बाल मुंड़वाकर उसे गांव में घुमाया गया। मामले को तूल पकड़ता देख पुलिस ने तुग़लक़ी फ़रमान सुनाने वाले पंचायत समिति के तीन सदस्यों को गिरफ़्तार कर लिया। लेकिन ऐसे में फिर सवाल उठता है कि क्या ये न्याय है? आख़िर इन लोगों को ये अधिकार किसने दिया कि किसी पीड़ित को इस क़दर प्रताड़ित कर सकें।

ये कोई पहला मामला नहीं है शायद इस तरह की ख़बरें सुनने के हम आदि हो चुके हैं। कुछ दिन पहले ही झारखंड में पलामू ज़िले की उलडंडा ग्राम पंचायत के मुसुरमू गांव में एक पंचायत ने एक युवती के दूसरी जाति के शख़्स से प्रेम प्रसंग के संबंध में लड़की को पहले ज़लील किया, फिर उसके ग़रीब पिता को अपमानित करते हुए इकतालीस हज़ार रुपए का जुर्माना लगा दिया। लाचार पिता के बहुत रोने गिड़गिड़ाने के बाद जुर्माने की राशि को घटाकर पहले 21 हज़ार और फिर ग्यारह हज़ार रुपये कर दी गई। पिता ने जैसे-तैसे क़र्ज़ लेकर पंचायत को सात हज़ार रुपये दिये और शेष अदायगी का वचन दिया। इसके बाद जो हुआ, वो इंसानियत को शर्मसार करने वाली बात है। इस पूरी घटना से आहत लड़की के पिता ने पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली। इस पूरी वारदात का ज़िम्मेदार वो पंचायती फ़रमान है, जिसने एक पिता को ये क़दम उठाने के लिए विवश किया।

इससे पहले भी झारखंड की राजधानी रांची की एक ग्राम पंचायत ने पीड़िता व संदिग्ध आरोपी दोनों को मृत्युदंड की सज़ा सुनाई थी और उन्हें ज़िंदा जलाने का आदेश दिया था।

हालिया ये कुछ मामले हमारी आंखें खोलने के लिए काफ़ी हैं कि जिन पंचायतों को गांवों में परंपरागत रूढ़ियों के बरअक्स नये लोकतांत्रिक व प्रगतिशील समाज का निर्माण करना था, वे अपना न्याय का अस्तित्व खो चुकी हैं। इन पंचायतों के ऐसे फ़रमानों की एक लंबी फ़ेहरिस्त है, ना जाने इनके हाथों कितनी ज़िंदगियाँ प्रभावित हुईं और कितनों ने ज़िंदगी ही ख़त्म कर ली। शायद मौजूदा समय में मानवीय मूल्यों या समझदारी के लिए कोई जगह ही नहीं बची है।

भारत गांवों में बसता है, देश की कुल आबादी की लगभग 70 फ़ीसद आबादी गांवों में रहती है। हमारे यहां 2 लाख 39 हज़ार ग्राम पंचायतें हैं। महात्मा गांधी ने भी ग्राम स्वराज्य पर ज़ोर दिया था। आज़ादी के बाद कई सरकारों ने पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए प्रयास किए, मगर अफ़सोस कभी न्याय का मंदिर कही जाने वाली पंचायतें, आज अन्याय का पाप बटोर रही हैं। ऐसे में इनकी ज़िम्मेदारी किसकी है?

Gram panchayats
indian villages
Bihar
gender discrimination
gender inequality
Womens Right
crimes against women

Related Stories

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

समाज में सौहार्द की नई अलख जगा रही है इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

सवाल: आख़िर लड़कियां ख़ुद को क्यों मानती हैं कमतर

क्या बिहार उपचुनाव के बाद फिर जाग सकती है नीतीश कुमार की 'अंतरात्मा'!

क्या दहेज प्रथा कभी खत्म हो पाएगी?

बोलती लड़कियां, अपने अधिकारों के लिए लड़ती औरतें पितृसत्ता वाली सोच के लोगों को क्यों चुभती हैं?

बेसहारा गांवों में बहुत बड़ा क़हर बनकर टूटने वाला है कोरोना

ख़ुदाबख़्श खां लाइब्रेरी पर ‘विकास का बुलडोजर‘ रोके बिहार सरकार 

बिहार में क्रिकेट टूर्नामेंट की संस्कृति अगर पनप सकती है तो पुस्तकालयों की क्यों नहीं?


बाकी खबरें

  • बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    18 May 2022
    ज़िला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए स्वीकृत पद 1872 हैं, जिनमें 1204 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं, जबकि 668 पद खाली हैं। अनुमंडल अस्पतालों में 1595 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 547 ही पदस्थापित हैं, जबकि 1048…
  • heat
    मोहम्मद इमरान खान
    लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार
    18 May 2022
    उत्तर भारत के कई-कई शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पारा चढ़ने के दो दिन बाद, विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के चलते पड़ रही प्रचंड गर्मी की मार से आम लोगों के बचाव के लिए सरकार पर जोर दे रहे हैं।
  • hardik
    रवि शंकर दुबे
    हार्दिक पटेल का अगला राजनीतिक ठिकाना... भाजपा या AAP?
    18 May 2022
    गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हार्दिक पटेल ने पार्टी पर तमाम आरोप मढ़ते हुए इस्तीफा दे दिया है।
  • masjid
    अजय कुमार
    समझिये पूजा स्थल अधिनियम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां
    18 May 2022
    पूजा स्थल अधिनयम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां तब खुलकर सामने आती हैं जब इसके ख़िलाफ़ दायर की गयी याचिका से जुड़े सवालों का भी इस क़ानून के आधार पर जवाब दिया जाता है।  
  • PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा
    18 May 2022
    पंजाब के किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद वे मंगलवार से ही चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License