NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
विज्ञान
क्या है नैसर्गिक और अनुकूलक इम्युनिटी सिस्टम और ये कैसे काम करता है?
कोरोना वायरस से लड़ाई में इम्युनिटी की प्रतिक्रिया को समझने के साथ-साथ इस बारे में भी जानना आवश्यक है कि इम्यून सिस्टम की विभिन्न शाखाओं के बीच अंतःक्रिया कैसे होती है।
 
संदीपन तालुकदार
06 May 2020
corona

जैसे ही इम्यून सिस्टम की मुठभेड़ SARS-C0V-2 से होती है ये कैसे अपना काम करता है और किस प्रकार से कोविड-19 जैसे गंभीर मामले में प्रगति होती है, यह आज इस नवीनतम वायरस के उपचार के विषय में मुख्य चिंता का विषय बना हुआ है। इम्युनिटी की प्रतिक्रिया को समझने के साथ-साथ इस बारे में भी जानना आवश्यक है कि इम्यून सिस्टम की विभिन्न शाखाओं के बीच अंतःक्रिया कैसे होती है।

इस बारे में एक आम सहमति बनती जा रही है और जैसा कि कोरोना वायरस के कई गंभीर मामलों में देखने में आ रहा है कि इसके लिए कहीं न कहीं अत्यधिक इम्यून प्रतिक्रिया जिम्मेदार है और कम से कम संक्रमण के प्रारंभिक चरण में इस प्रतिक्रिया को दबा कर रखा जाए। 1 मई को जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन, इस तर्क की लाइन को मजबूती प्रदान करता है। यह स्टडी इस ओर इशारा करती है कि कोविड-19 के शुरुआती चरण में इम्यून सिस्टम को यदि अस्थाई तौर पर दबा कर रखा जाए तो इससे मरीज में गंभीर लक्षणों से बचा जा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे इम्यून सिस्टम के दो मुख्य भागों के बीच की अंतर्क्रिया समूचे सिस्टम को पहले ही थका डालती है और इसके कारण कुछ रोगियों की हालत गंभीर हो सकती है।

आइए जल्दी से नज़र डालते हैं कि हमारा इम्यून सिस्टम कैसे काम करता है। इम्यून सिस्टम की दो मुख्य शाखाएं होती हैं, या कोई इसे दो मुख्य भाग भी कह सकता है। एक को नैसर्गिक इम्युनिटी प्रतिक्रिया कहते हैं, जबकि दूसरे को परिस्थितियों के हिसाब से खुद को ढालने वाली इम्यून प्रतिक्रिया कहते हैं। शरीर की पहली रक्षा पंक्ति में नैसर्गिक इम्यून प्रतिक्रिया शामिल है, जो शरीर में संक्रमण के साथ ही सक्रिय हो जाती है। किसी पैदल सेना के समान यह विदेशी आक्रान्ता पर टूट पड़ती है। वो चाहे कोई बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या कुछ भी हो को मार डालती है, लेकिन साथ ही बाहरी हमले से शरीर की जो कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, उन्हें भी खत्म कर देता है। वहीं दूसरी और अनुकूलक इम्युनिटी कुछ दिनों के बाद सक्रिय होती है, यदि कोई वायरस नैसर्गिक इम्युनिटी से लड़ाई के बाद भी जीवित रह जाता है तो उससे लड़ने के लिए। यह अपने साथ कई विशेषज्ञ टी कोशिकाओं और बी कोशिकाओं को काम में लाता है।

वर्तमान अनुसंधान ने एक गणितीय प्रतिमान को काम में लाया है जिसे प्रतिरक्षाविज्ञान के अध्ययन में 'लक्षित कोशिका-केन्द्रित मॉडल' के रूप में जाना जाता है। इसमें शोधकर्ताओं ने इस बात की तुलना की है कि हमारा इम्यून सिस्टम सामान्य फ्लू (इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण) की तुलना में कोविड-19 के साथ कैसे काम करता है।

फ्लू एक तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो ऊपरी श्वसन प्रणाली के कुछ लक्षित कोशिकाओं पर भी हमला करता है और कुछ ही दिनों (चार या पाँच दिनों के अंदर) के भीतर ही लगभग सभी लक्ष्य कोशिकाओं को मार डालता है। इसके कुछ ही अंतराल में सभी लक्ष्य कोशिकाओं के खात्मे के कारण वायरस के पास आसानी से उपलब्ध लक्ष्य कोशिकाओं पर हमला करने के लिए कुछ नहीं बचता। इसके चलते नैसर्गिक इम्युनिटी सिस्टम के पास शरीर में मौजूद लगभग सभी वायरस को समाप्त करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है, इससे पहले कि अनुकूलक इम्युनिटी अपनी भूमिका में आये।

लेकिन, कोविड-19 के मामले में इस नवीनतम कोरोनोवायरस की औसत ऊष्मायन अवधि ही छह दिनों की होती है, जो कि अपने आप में बेहद लंबी अवधि है। विभिन्न अध्ययन इस बात को दर्शाते हैं कि लक्ष्य कोशिकाओं के ख़त्म होने से पहले ही अनुकूलक इम्युनिटी इस लड़ाई में कूद चुकी होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि हमारे पास जो नैसर्गिक इम्युनिटी की क्षमता थी इन अधिकांश वायरस को खत्म करने की, उसके काम में दखलंदाजी देना। इसकी वजह से संक्रमण की रफ्तार तो धीमी हो जाती है लेकिन उसका पूरी तरह से खात्मा नहीं हो पाता।

इस सम्बंध में केस्क स्कूल ऑफ़ मेडिसिन ऑफ़ यूएससी के डिपार्टमेंट ऑफ़ मॉलिक्यूलर माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर वेइमिंग युआन और इस स्टडी से संबंधित लेखक के हवाले से अध्ययन के निष्कर्षों के बारे में कहा गया है कि “ख़तरा इस बात को लेकर रहता है कि संक्रमण तो लगातार बढ़ता जा रहा है वहीं यह अपनी कई परतों के साथ पूरे अनुकूलक इम्यून प्रतिक्रिया को जुटाता जाता है। यदि लम्बे समय तक वायरल गतिविधि चलती रहती है तो इसके कारण इम्यून सिस्टम को लगातार जवाबी कार्रवाई करनी पड़ सकती है, जिसे साइटोकाइन तूफान के नाम से जाना जाता है। इसके जारी रहने से स्वस्थ कोशिकाएं मारी जाती हैं और उसकी वजह से टिशु क्षतिग्रस्त होते जाते हैं।"

कुछ कोरोना वायरस मौतों के संभावित कारणों के रूप में साइटोकाइन तूफान सुर्खियों में रहा है। साइटोकाइन तूफान एक ऐसी स्थिति को दर्शाता है जब शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया निरंतर संघर्ष में थककर चूर होने वाली स्थिति में चली जाती है। ऐसी स्थिति में हमारे शरीर से होने वाली इम्यून की प्रतिक्रिया लाभ की तुलना में अधिक नुकसान पहुँचाती है। किसी संक्रमण का मुकाबला करने के लिए साइटोकाइन, छोटे प्रोटीन अणु के रूप में शरीर के कई अलग-अलग कोशिकाओं द्वारा जारी किए जाते हैं। लेकिन जब ये प्रोटीन भारी संख्या में जुट जाते हैं तो संयुक्त रूप से ये और अधिक इम्यून कोशिकाओं को सक्रिय कर देते हैं जो उच्च उत्तेजना को जन्म देता है। कथित तौर पर साइटोकाइन तूफानों की मौजूदगी सिर्फ कोरोना वायरस में ही नहीं बल्कि SARS और MERS जैसे अन्य गंभीर श्वसन रोगों में भी मौजूद रहती है।

जहाँ तक उपचार का सम्बंध है तो कोविड-19 रोगियों में साइटोकाइन तूफान और नैसर्गिक और अनुकूलक प्रतिरोधक क्षमता के बीच की अंतर्क्रिया इस प्रकार एक बेहद महत्वपूर्ण पहलू है। इससे पहले कि शरीर प्रतिरोधी प्रतिक्रिया की अधिकता से सब कुछ उखाड़ पछाड़ देने की स्थिति में चला जाए,  यदि प्रारम्भिक चरण में ही इम्युनिटी को दबाकर रखने में सफलता मिल जाए तो बाद में होने वाली गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।

नैसर्गिक और अनुकूलक इम्युनिटी के बीच की परस्पर क्रिया के सन्दर्भ में जैसा कि हम पहले भी चर्चा कर चुके हैं, की वजह से देखने को मिला है कि कुछ कोरोना वायरस मरीज जो कुछ समय बाद बेहतर नजर आते हैं, उनमें दूसरी बार संक्रमण की लहर के लक्षण पहले से कहीं अधिक गंभीर नजर आते हैं।

सीन दू जो कि इस स्टडी के पहले लेखक हैं ने कहा "कुछ कोविड-19 रोगियों में लक्षण आम तौर पर कम होते जाने दिखने के बाद इस रोग के एक बार फिर से उठ खड़े होने के अनुभव देखने को मिल सकते हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि अनुकूलक और नैसर्गिक प्रतिरोधक प्रतिक्रियाओं के संयुक्त प्रभाव से अस्थाई तौर पर वायरस अपने निम्नतम स्तर पर पहुँच जाए। लेकिन यदि वायरस को समूल तौर पर नाश नहीं किया गया और इस बीच लक्ष्य कोशिकाएं पुनर्जीवित हो जाती हैं तो वायरस को एक बार फिर से उठ खड़ा होने का मौका मिल जाता है और यह एक नई ऊंचाई पर पहुँच सकता है।"

अंग्रेजी में लिखे गए इस मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

COVID-19: Understanding Interplay Between Layers of Immune System Important for Treatment

innate immune response
weiming yuan
adaptive immune response
cykotine storm
Coronavirus

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के घटते मामलों के बीच बढ़ रहा ओमिक्रॉन के सब स्ट्रेन BA.4, BA.5 का ख़तरा 

कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के सब स्ट्रेन BA.4 और BA.5 का एक-एक मामला सामने आया

कोरोना अपडेट: देश में फिर से हो रही कोरोना के मामले बढ़ोतरी 

कोविड-19 महामारी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में दुनिया का नज़रिया नहीं बदल पाई

कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत

कोरोना अपडेट: दुनियाभर के कई देशों में अब भी क़हर बरपा रहा कोरोना 

कोरोना अपडेट: देश में एक्टिव मामलों की संख्या 20 हज़ार के क़रीब पहुंची 

देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, PM मोदी आज मुख्यमंत्रियों संग लेंगे बैठक


बाकी खबरें

  • farmers
    चमन लाल
    पंजाब में राजनीतिक दलदल में जाने से पहले किसानों को सावधानी बरतनी चाहिए
    10 Jan 2022
    तथ्य यह है कि मौजूदा चुनावी तंत्र, कृषि क़ानून आंदोलन में तमाम दुख-दर्दों के बाद किसानों को जो ताक़त हासिल हुई है, उसे सोख लेगा। संयुक्त समाज मोर्चा को अगर चुनावी राजनीति में जाना ही है, तो उसे विशेष…
  • Dalit Panther
    अमेय तिरोदकर
    दलित पैंथर के 50 साल: भारत का पहला आक्रामक दलित युवा आंदोलन
    10 Jan 2022
    दलित पैंथर महाराष्ट्र में दलितों पर हो रहे अत्याचारों की एक स्वाभाविक और आक्रामक प्रतिक्रिया थी। इसने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया था और भारत की दलित राजनीति पर भी इसका निर्विवाद प्रभाव…
  • Muslim Dharm Sansad
    रवि शंकर दुबे
    हिन्दू धर्म संसद बनाम मुस्लिम धर्म संसद : नफ़रत के ख़िलाफ़ एकता का संदेश
    10 Jan 2022
    पिछले कुछ वक्त से धर्म संसदों का दौर चल रहा है, पहले हरिद्वार और छत्तीसगढ़ में और अब बरेली के इस्लामिया मैदान में... इन धर्म संसदों का आखिर मकसद क्या है?, क्या ये आने वाले चुनावों की तैयारी है, या…
  • bjp punjab
    डॉ. राजू पाण्डेय
    ‘सुरक्षा संकट’: चुनावों से पहले फिर एक बार…
    10 Jan 2022
    अपने ही देश की जनता को षड्यंत्रकारी शत्रु के रूप में देखने की प्रवृत्ति अलोकप्रिय तानाशाहों का सहज गुण होती है किसी निर्वाचित प्रधानमंत्री का नहीं।
  • up vidhan sabha
    लाल बहादुर सिंह
    यूपी: कई मायनों में अलग है यह विधानसभा चुनाव, नतीजे तय करेंगे हमारे लोकतंत्र का भविष्य
    10 Jan 2022
    माना जा रहा है कि इन चुनावों के नतीजे राष्ट्रीय स्तर पर नए political alignments को trigger करेंगे। यह चुनाव इस मायने में भी ऐतिहासिक है कि यह देश-दुनिया का पहला चुनाव है जो महामारी के साये में डिजिटल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License