NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या कैंब्रिज एनालिटिका के पास भी 'आधार डेटा' हो सकते हैं?
अमेरिका आधारित 'आधार सेवा प्रदाताओं' और अमेरिका के रक्षा- खुफिया प्रतिष्ठानों के बीच रिश्तों में ब्रिटेन की ये कंपनी शामिल है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
27 Mar 2018
आधार

आधार डेटा लीक की ख़बरें लगातार प्रकाशित हो रही हैं। उधर आधार के बायोमेट्रिक डेटा के संग्रह तथा रखरखाव करने वाली यूएस कंपनी की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक न सिर्फ ये यूएस खुफिया तथा रक्षा प्रतिष्ठान से क़रीब से जुड़े हैं बल्कि इनके कैंब्रिज एनालिटिका से भी तार जुड़े हैं। ज्ञात हो कि कैंब्रिज एनालिटिका यूके की कंपनी है जो फेसबुक से डेटा इकट्ठा करने और इसका इस्तेमाल चुनाव में करने के लिए आरोपी है। दूसरे शब्दों में कहें तो आधार के लिए काम करने वाली ये कंपनियां सशक्त रूप से आधार की व्यक्तिगत जानकारी डेटाबेस का इस्तेमाल करने की स्थिति में हैं और इसे दूसरे उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं।

 

हाल ही में सामने आया है कि किस तरह कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) ने राष्ट्रपति ट्रम्प के चुनाव प्रचार के लिए फेसबुक डेटा निकाल कर उसका इस्तेमाल किया है। इससे यह पता चलता है कि किस तरह व्यक्तिगत जानकारी का इस्तेमाल लाभ की भूखी कंपनियों ने किया है। इसका इस्तेमाल न सिर्फ उत्पाद बेचने के लिए बल्कि राजनीतिक लाभ के लिए भी किया गया।

 

यह अच्छी तरह से ज्ञात है कि 2010-2012 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने भारतीय लोगों से बायोमेट्रिक डाटा (फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन) इकट्ठा करने और उसके भंडारण के लिए तीन अमेरिकी कंपनियों को ठेका दिया था। ये तीन कंपनियां एल -1 आइ़डेंटिटी सौल्यूशन, मॉर्फो-सफ्रान, और एक्सेंचर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड थीं।

 

इन तीनों कंपनियों के कैंब्रिज एनालिटिका और डेटा मिलान और विश्लेषण करने वाली अग्रणी कंपनी प्लांटिर टेक्नोलॉजी के साथ गहरे संबंध हैं। प्लांटिर टेक्नोलॉजी जो कि डेटा निकालने वाली तकनीक में अग्रणी है और खासतौर से अमेरिकी रक्षा और एनएसए, सीआईए, एफबीआई तथा अन्य अमेरिकी सरकारी कंपनियों के लिए काम करती है।

 

एक्सेंचर में निवेश करने वाले और हेज फंड बिलियनेयर रॉबर्ट मर्सर ने साल 2013 में कैंब्रिज एनालिटिका के एक शाखा के रूप में गठन के लिए मौजूदा कंपनी एससीएल को पैसा दिया था। यूएस प्राइमरी में टेड क्रूज के राष्ट्रपति अभियान के साथ कैंब्रिज एनालिटिका से समझौता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय उक्त अभियान के अध्यक्ष चाड स्वीट थें जो पहले यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सेक्यूरिटी (डीएचएस) के स्टाफ प्रमुख थें। डीएचएस में इनके मुखिया माइकेल चेरटॉफ थें जो बुश के कार्यकाल के दौरान सेक्रेटरी ऑफ होमलैंड सेक्यूरिटी थें। साल 2009 में ओबामा की जीत के बाद, चेरटॉफ और स्वीट ने डीएचएस छोड़ दिया और चेरटॉफ ग्रुप की स्थापना की। इस ग्रुप के अन्य सदस्य जेएम कोहेन थें जो मॉर्फो डिटेक्शन के निदेशक मंडल के अध्यक्ष थें। दूसरी तरफ स्वीट एल 1 आईडेंटिटी सॉल्यूशंस के विलय में रणनीतिक सलाहकार थें। स्वीट की पत्नी जूली एक्सेंचर नॉर्थ अमेरिका की सीईओ थी। संयोग से संकटकाल 1997-04 के बीच सीआईए प्रमुख रहे जॉर्ज टेनेट 2006-08 के दौरान एल-1 के निदेशक रहे।

इसलिए, यूआईडीएआई के लिए काम करने वाली ये तीन बायोमेट्रिक सेवा प्रदाता कंपनियां यूएस की रक्षा-खुफिया प्रतिष्ठान से क़रीब से जुड़े हुए थें। कैंब्रिज एनालिटिका इस नेटवर्क का ज़रूरीहिस्सा था।

अब फ्रांसिसी रक्षा समूह सफ्रान द्वारा मॉर्फो को साल 2009 में अधिग्रहित कर लिया गया था। साल 2010 में यूआईडीएआई ने इन तीन कंपनियों के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। कुछ हफ़्ते बाद सफ्रान ने एल-1 आइडेंटिटी को भी अधिग्रहित कर लिया और मॉर्फो ट्रस्ट के साथ इसे विलय कर दिया। इसके लिए किसने सामरिक सलाहकार के रूप में काम किया था? चाड स्वीट के अलावा कोई भी नहीं। इसबीच एल-1 ने साल 2010 में अपनी खुफिया शाखा को ब्रिटिश एयरोस्पेस तथा रक्षा समूह बीएई से बेच दिया और कुछ महीने बाद चेरटॉफ बीएई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हो गए।

मॉर्फो ने टेकमहिंद्रा के स्वामित्व वाली सत्यम के साथ एक संघ बनाया और एल-1 तथा एक्सेंचर के साथ मिलकर नामांकन को प्रमाणित करने के लिए बायोमेट्रिक सॉफ़्टवेयर प्रदान किया और इन कंपनियों ने साल 2012 तक आधार के लिए सिस्टम डिज़ाइन किया, उसे तैयार किया और उसका रखरखाव किया। इसके बाद लगातार इसे संभाले रखा और सेवा दिया।

डेटा के डी-डुप्लिकेशन के लिए भी इन्हीं तीन कंपनियों को अनुबंधित किया गया था, जिसका साफ मतलब था कि संपूर्ण डेटा तक इनकी पहुंच थी।

एल-1-मॉर्फोसत्यम- एक्सेंचर की त्रिमूर्ति को भी डेटा की सुरक्षा का काम सौंपा जाता है। यद्यपि यूआईडीएआई ने बार-बार आश्वासन दिया है कि डेटा सुरक्षित और अभेद्य है, एल-1 ने यूएस सेक्यूरिटीएक्सचेंज कमीशन के समक्ष प्रस्तुत अपने दस्तावेज़ में कहा था कि "इन प्रणालियों में इस्तेमाल किए जाने वाले सुरक्षा उपायों से सुरक्षा उल्लंघनों को रोका नहीं जा सकता है"। निश्चित रूप से यह बड़े पैमाने पर अस्वीकार करने वाला बयान है लेकिन तथ्य यह है कि ये कंपनी यूआईडीएआई की तरह डेटा के आसानी से लीक होने खारिज नहीं कर रही है।

 

(यह रिपोर्ट फाउंटेनइंक द्वारा किए गए जांच पर आधारित है।)

आधार
कैंब्रिज एनालिटिका
आधार डेटा लीक
संयुक्त राज्य अमेरिका

Related Stories

शर्मा को पता है कि वे आधार की चुनौती के सामने हार गये हैं

क्या आधार एक डूबता जहाज़ है ?

यूआईडीएआई ने याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत प्रश्नावली का उत्तर दाखिल किया .

बड़े डाटा की चोरी के साथ, नकली समाचार और पैसे के घालमेल से जनतंत्र का अपरहरण किया जा रहा है

आधार कार्ड बनवाने के लिए बच्चों को क्यों मजबूर किया जा रहा हैं?

जन-सुनवायी में लोगों ने बताया, खाने के अधिकार को आधार बर्बाद कर रहा है

आधार मामलाः अदालत में केंद्र सरकार के फ़र्ज़ी दावे की खुली पोल

आधार डेटा लीक: पल में ख़िसक सकती है आपके पैरों तले की ज़मीन

आधार सुरक्षा: एक झूठ जिसे लोग सच मानने लगे हैं

आधार न होने की वजह से भूखे मर रहे हैं गरीब


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License