NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
आंदोलन
घटना-दुर्घटना
नज़रिया
भारत
राजनीति
क्या योगी राज में अब विरोध प्रदर्शन का अधिकार ख़त्म हो गया है?
देश में बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों को अब उत्तर प्रदेश में लगातार रोका जा है।
असद रिज़वी
01 Jul 2019
Yogi

योगी राज में नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को ख़त्म करने का प्रयास किया जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में अब शायद नागरिकों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार भी नहीं है। देश में बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों को उत्तर प्रदेश में रोका जा है। पुलिस-प्रशासन राजधानी लखनऊ के समेत प्रदेश भर में मॉब लिंचिंग के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों को रोक रहा है। 
इसे भी पढ़ें : मेरठ में तबरेज़ हत्याकांड के विरोध जुलूस पर लाठीचार्ज, 1000 लोगों पर मुकदमा

क़ानून के जानकारों से लेकर समाज समाज सेवक तक प्रदर्शनों  पर रोक को अलोकतांत्रिक मान रहे हैं। बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनों पर रोक की निंदा करते हुए क़ानून के जानकर कहते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकना असंवैधानिक हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना करते हुए सामाजिक संगठन मानते है कि नागरिकों की आवाज़ दबाना फासीवादी तरीका है। 

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण कहते है की लिंचिंग करने वालो को सरकार का संरक्षण प्राप्त है, इसीलिए लिंचिंग के खिलाफ आवाज़ उठाने से रोका जा रहा है। प्रशांत भूषण के अनुसार सरकार धर्म के नाम पर हो रही हत्याओं के खिलाफ कोई कठोर क़दम नहीं उठा रही है और नागरिकों के प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार को भी असंवैधानिक अंदाज से ख़त्म करने की कोशिश कर रही है।

प्रसिद्ध अधिवक्ता सैयद मोहम्मद हैदर मानते हैं की प्रत्येक नागरिक को अपने विचार प्रकट करने का पूरा अधिकार है और अगर उसको रोका जाता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 19 के खिलाफ है। उन्होंने कहा की अगर प्रशसन द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को रोका जाता है तो यह ग़ैरक़ानूनी है,और इसको अदालत में चुनौती भी दी जा सकती है। 

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्ष मधु गर्ग लिंचिंग की घटनाओ के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को रोके जाने को योगी सरकार की तानाशाही मानती हैं। मधु कहती हैं कि पुलिस बेक़सूर लोगो की लिंचिंग नहीं रोक रही है और अलोकतांत्रिक तरीकों से नागरिकों की स्वतंत्रता की हत्या कर रही है।

छात्र नेता पूजा शुक्ला के अनुसार देश में अघोषित आपातकाल जैसे हालत हैं। पूजा कहती हैं कि देश में सवाल करने वालों की हत्या की जा रही है और लिंचिंग करने वालो को सरकार के मंत्री सम्मानित करते हैं। छात्र नेता पूजा कहती हैं की लिंचिंग हिंदुत्व की राजनीति का एक हिस्सा है, जिसको सत्ता में बैठे लोगो का समर्थन प्रप्त है। 
समाज सेवक एम.के. रॉय योगी सरकार की निंदा करते हुए कहते हैं की प्रदर्शनों पर रोक इसलिए हैं क्योंकि सरकार चाहती कि भगवा अत्याचार के खिलाफ उठने वाली सभी आवाज़ों को बंद कर दिया जाये। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में सरकार नागरिकों की आवाज़ को नहीं दबा सकती है।

मानव अधिकार कार्यकर्ता लेनिन रघुवंशी कहते हैं सरकार को यह अधिकार नहीं है की वह नागरिकों की आवाज़ को दबाये क्योंकि अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाना प्रत्येक नागरिक का वैधानिक व मौलिक अधिकार है। 
उल्लेखनीय है की देश में बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं के खिलाफ लखनऊ में शनिवार की शाम गोमती नगर स्थित अम्बेडकर पार्क से एक विरोध जुलूस निकाला जाना था। जुलूस निकालने के लिए जब  प्रदर्शनकारी जमा हुए, तो अचानक वहाँ आकर स्थानीय पुलिस ने प्रदर्शन और जुलूस को रोक दिया। जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कहासुनी भी हुई।

इसे भी पढ़ें : लखनऊ में मॉब लिंचिंग के विरोध जुलूस को पुलिस ने रोका

इसी दिन पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद इलाक़े में तबरेज़ अंसारी की झारखण्ड की में हुई लिंचिंग के खिलाफ प्रदर्शन को प्रशासन ने रुकवा दिया। वही डुमरियागंज में भी तबरेज़ की लिंचिंग के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को प्रशासन ने रोक दिया था। रविवार को मेरठ में तबरेज़ हत्याकांड के विरोध निकल रहे जुलूस पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने लाठीचार्ज दिया। इस दौरान कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। इसके अलावा 1000 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहेत  मुकदमा भी लिखा गया है।

mob lynching
mob voilence
yogi sarkar
Yogi Adityanath
BJP
UttarPradesh
Protests

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

चंदौली पहुंचे अखिलेश, बोले- निशा यादव का क़त्ल करने वाले ख़ाकी वालों पर कब चलेगा बुलडोज़र?

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

चंदौली: कोतवाल पर युवती का क़त्ल कर सुसाइड केस बनाने का आरोप

प्रयागराज में फिर एक ही परिवार के पांच लोगों की नृशंस हत्या, दो साल की बच्ची को भी मौत के घाट उतारा

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

हिमाचल प्रदेश के ऊना में 'धर्म संसद', यति नरसिंहानंद सहित हरिद्वार धर्म संसद के मुख्य आरोपी शामिल 

प्रयागराज: घर में सोते समय माता-पिता के साथ तीन बेटियों की निर्मम हत्या!


बाकी खबरें

  • लव पुरी
    क्या यही समय है असली कश्मीर फाइल को सबके सामने लाने का?
    04 Apr 2022
    कश्मीर के संदर्भ से जुडी हुई कई बारीकियों को समझना पिछले तीस वर्षों की उथल-पुथल को समझने का सही तरीका है।
  • लाल बहादुर सिंह
    मुद्दा: क्या विपक्ष सत्तारूढ़ दल का वैचारिक-राजनीतिक पर्दाफ़ाश करते हुए काउंटर नैरेटिव खड़ा कर पाएगा
    04 Apr 2022
    आज यक्ष-प्रश्न यही है कि विधानसभा चुनाव में उभरी अपनी कमजोरियों से उबरते हुए क्या विपक्ष जनता की बेहतरी और बदलाव की आकांक्षा को स्वर दे पाएगा और अगले राउंड में बाजी पलट पायेगा?
  • अनिल अंशुमन
    बिहार: विधानसभा स्पीकर और नीतीश सरकार की मनमानी के ख़िलाफ़ भाकपा माले का राज्यव्यापी विरोध
    04 Apr 2022
    भाकपा माले विधायकों को सदन से मार्शल आउट कराये जाने तथा राज्य में गिरती कानून व्यवस्था और बढ़ते अपराधों के विरोध में 3 अप्रैल को माले ने राज्यव्यापी प्रतिवाद अभियान चलाया
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में एक हज़ार से भी कम नए मामले, 13 मरीज़ों की मौत
    04 Apr 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.03 फ़ीसदी यानी 12 हज़ार 597 हो गयी है।
  • भाषा
    श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया
    04 Apr 2022
    राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से सरकार द्वारा कथित रूप से ‘‘गलत तरीके से निपटे जाने’’ को लेकर मंत्रियों पर जनता का भारी दबाव था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License