NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्यों फाँसी की सज़ा पंजाब में नशीले पदार्थों की समस्या को सुलझा नहीं सकती
निचले स्तर के नशीले पदार्थ विक्रेताओं को निशाना बनाने और फाँसी पर लटकाने से उन राजनेताओं और इन पदार्थों के उत्पादकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
अधिराज नायर
05 Jul 2018
Translated by ऋतांश आज़ाद
punjab

2 जुलाई को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता वाली पंजाब सरकार की एक विशेष बैठक ,ने आधिकारिक तौर पर केंद्र सरकार को यह सुझाव  दिया कि नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए फाँसी होनी चाहिए। मुख्य मंत्री ने यह ट्वीट किया कि "नशीले पदार्थों की तस्करी पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर रही है इसीलिए इसके लिए सख्त सज़ा मिलनी चाहिए। मैं पंजाब को नशा मुक्त बनाने के अपने वायदे पर अटल हूँ। " कांग्रेस  ने पंजाब चुनावों से पहले यह वादा  किया था कि वह राज्य को नशा मुक्त बनाएंगे। 
 
लेकिन पंजाब में नशीले पदार्थों की समस्या को मुख्यमंत्री के दिए उपाय से नहीं सुलझाया  जा सकता । 
 
मैक्सिको, फिलीपीन्स और बाकी देशों का तजुर्बा यह रहा है कि सख्त कानून और पुलिस की धड़ पकड़ से इस समस्या का हल नहीं निकला है।  उनकी वजह से सिर्फ लोगों की जाने गयी हैं और बहुत लोगों को सज़ा हुई । नशीले पदार्थों के खिलाफ इस लड़ाई में पिछले 10 सालों में मैक्सिको में 2 लाख लोगों की जाने गयीं  हैं, दूसरी तरफ़ फिलीपीन्स में 2 सालों में 20,000 लोगों की मौत हुई है। 
 
भारत में भी नशीले पदार्थों के उत्पादन , बिक्री और तस्करी को दोहराए जाने पर फाँसी का प्रावधान है। इस प्रावधान को 1989 में  Narcotic Drugs and Psychotropic Substances (NDPS) Act, 1985 की धारा 31 A में जोड़ा गया था। लेकिन 2001 में एक संशोधन कर फाँसी की सज़ा को कुछ ही अपराधों के लिए सीमित  कर दिया गया था। इसके बाद 2014 में भी इस प्रावधान में संशोधन किया गया था और इस मामले में फैसले को जज  के विवेक पर छोड़ दिया गया था। 
 
लेकिन ऐसा लगता है कि शायद इस प्रावधान के बारे में बैठक में मौजूद लोगों को जानकारी नहीं थी, शायद इसीलिए सरकार ने बाद में यह कहा कि "मुख्यमंत्री ने आज इस अपराध को पहली बार करने वाले को भी फाँसी देने की माँग की है।” प्रेस रिलीज़ के मुताबिक अमरिंदर सिंह ने “DGP सुरेश अरोड़ा को यह आदेश  दिया है कि वह नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ कार्यवाहियों को तेज़ कर दें और तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्यवाहियाँ करें।” 
 
यह साफ़ है कि पंजाब सरकार का नज़रिया इस समस्या पर बहुत आक्रामक है और पूरी तरह से सख्त पुलिसिया रवैये और कार्यवाही पर निर्भर है । इससे यह लगता है कि इस बहुआयामी समस्या को एक आदेश और एक कानून से ठीक करने की कोशिश में सरकार मेक्सिको और फिलिपीन्स की सरकारों की उन्हीं गलतियों को दोहराएगी । यह बात गुजरात और बिहार के लिए भी लागू होती है , क्योंकि वहाँ भी शराब  बंदी इसी  तरह लागू की जा रही है। 
 
नशीले पदार्थों की इस तथाकथित लड़ाई में मैक्सिको और फिलीपीन्स की कोशिशों ने न तो नशीले पदार्थों के सेवन को रोका और न ही बड़े अपराधियों और नशीले पदार्थों के उत्पादन संघों पर लगाम कसी। इससे सिर्फ छोटे विक्रेताओं की जानें ली जाती हैं जो यह काम मुख्यता बेरोज़गारी और दूसरे कारणों की वजह से करते हैं। 
 
 न्यूज़क्लिक से बात करते हुए दिल्ली स्थित वकील सरिम नावेद ने कहा कि पहली बात तो यह है कि फाँसी की सज़ा किसी भी समस्या  का हल नहीं है।  इसका अर्थ यह है कि सरकार इस समस्या को पूरी तरह से देखने के बजाए  सिर्फ एक अपराध की दृष्टि से देख रही है। उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों की इस समस्या को सामाजिक और आर्थिक नज़रिएसे देखने की ज़रुरत है तभी इसका कोई समाधान निकलेगा। जब तक इस समस्या के मूल कारणों जैसे बेरोज़गारी या एक अच्छा रोज़गार न होना , पर बात नहीं होगी तब तक सरकार इस समस्या को सुलझा नहीं सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मृत्युदंड इस समस्या का समाधान  नहीं है। 
 
उन्होंने कहा कि इस कार्यवाही से कारोबार के एकदम निचले हिस्से पर मौजूद लोगों पर ही असर पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर नशीले पदार्थों के छोटे विक्रेता जो पैसा न होने की वजह कोर्ट में अपना बचाव नहीं कर पाएँगे और उन्हें ही सज़ाएँ सुनाई जाएगी। 
नशीले पदार्थों के उत्पादन करने वालों , पुलिस और राजनेताओं के बीच  के संबंधों को उजागर किया जाए और उसे बर्बाद तोड़ा जाए। जब तक येयह नहीं होता तब तक इस खेल की बड़ी  मछलियाँ यूँ ही फलती- फूलती रहेंगी। 
 
मृत्यु दंड की माँग को पंजाब सरकार द्वारा एक ठीक इरादे से उठाये गए कदम के तौर पर भी देखा जा सकता है। लेकिन यह कदम सरकार की निष्क्रियता और अक्षमता का विरोध कर रहे पंजाब के लोगों को ज़्यादा  तसल्ल्ली नहीं देगा। 
 
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कई सारे सामाजिक संगठनों ने जुलाई के पहले हफ्ते को 'काले हफ्ते' की तरह मनाये जाने का आह्वान  किया है । जून के महीन में नशीले पदार्थों से हुई मौतों के बाद एक आंदोलन "चिट्टे दे विरोध विच्च कला हफ्ता " ('चिट्टे के विरोध में काला हफ्ता',  'चिट्टा'  Crack Cocaine और Opioids जैसे नशीले पदार्थों को कहा जाता है ) 'मारो जान विरोध करो'(मारे जाओ या विरोध करो ) के नारे के साथ शुरू हुआ।
 

punjab
Drug abuse
drug menace
capital punishment

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

लुधियाना: PRTC के संविदा कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू

त्रासदी और पाखंड के बीच फंसी पटियाला टकराव और बाद की घटनाएं

मोहाली में पुलिस मुख्यालय पर ग्रेनेड हमला

पटियाला में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं, तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का तबादला

दिल्ली और पंजाब के बाद, क्या हिमाचल विधानसभा चुनाव को त्रिकोणीय बनाएगी AAP?

विभाजनकारी चंडीगढ़ मुद्दे का सच और केंद्र की विनाशकारी मंशा

पंजाब के पूर्व विधायकों की पेंशन में कटौती, जानें हर राज्य के विधायकों की पेंशन

विश्लेषण: आम आदमी पार्टी की पंजाब जीत के मायने और आगे की चुनौतियां

भगत सिंह झुग्गियाँ- वह स्वतंत्रता सेनानी जो सदा लड़ते रहे


बाकी खबरें

  • up elections
    न्यूज़क्लिक टीम
    उत्तर प्रदेश चुनाव: जनता गुस्से में है सरकार की विफलताओं पर
    01 Mar 2022
    उत्तर प्रदेश के चुनावों में इस बात जनता बेहद गुस्से में है सरकार की विफलताओं को लेकर। चाहे फिर वो कोरोना काल में हुई मौत हो या फिर महंगाई और बेरोज़गारी, सरकार हर मोर्चे पर नाकाम ही नज़र आयी है , ऐसा…
  • Gujara
    दमयन्ती धर
    गुजरात दंगों के 20 साल: विस्थापित मुस्लिम परिवार आज भी अस्थाई शिविरों में रहने के लिए मजबूर
    01 Mar 2022
    20 वर्षों के बाद भी बुनियादी सुविधाओं के बिना ये शिविर हिंसा प्रभावित परिवारों के लिए स्थायी आवास बन चुके हैं, जो एक बार फिर से विस्थापित कर दिए जाने की आशंका के बीच रहने के लिए मजबूर हैं।
  • BHU hospital
    सोनिया यादव
    यूपी: बीएचयू अस्पताल में फिर महंगा हुआ इलाज, स्वास्थ्य सुविधाओं से और दूर हुए ग्रामीण मरीज़
    01 Mar 2022
    बीते साल नवंबर में ही ओपीडी की फीस बढ़ोत्तरी के बाद अब एक बार फिर सभी जांच सुविधाओं की दर में दो से तीन गुना की बढ़ोत्तरी की गई है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य मानकों में…
  • Naveen
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूक्रेन के खारकीव में गोलाबारी में भारतीय छात्र की मौत
    01 Mar 2022
    छात्र का नाम नाम नवीन शेखरप्पा है। वह कर्नाटक के रहने वाले थे।
  • ukraine
    एपी
    ब्रिटेन ने यूक्रेन को उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र बनाने के आह्वान को ख़ारिज किया
    01 Mar 2022
    ब्रिटेन के उप प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम यह (उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित) नहीं करने वाले हैं, क्योंकि हम ऐसी स्थिति में आ जाएंगे, जब हमें रूसी विमानों को मार गिराना हेागा।’’
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License