NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
लखनऊ में किसान महापंचायत: किसानों को पीएम की बातों पर भरोसा नहीं, एमएसपी की गारंटी की मांग
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हुई “किसान महापंचयत” में जमा किसानों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा पर विश्वास की कमी दिखी। किसानों का कहना है कि जब तब संसद में तीनों क़ानून वापस नहीं होंगे, तब तक किसान आंदोलन भी ख़त्म नहीं होगा।
असद रिज़वी
22 Nov 2021
kisan andolan
लखनऊ के ईको गार्डेन में हुई किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता। फोटो : आज़म हुसैन  

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार को बड़ी संख्या में किसान जमा हुए और देश-प्रदेश में बढ़ रहे कृषि संकट को लेकर सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को निशना बनाया।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आवाहन पर हुई “किसान महापंचयत” में जमा किसानों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लेने की “घोषणा” पर विश्वास की कमी दिखी। किसानों का कहना है कि जब तब संसद में तीनों क़ानून वापस नहीं होंगे, तब तक किसान आंदोलन भी ख़त्म नहीं होगा।

पंचायत में उत्तर प्रदेश में किसानों के स्थानीय मुद्दे भी उठे। किसानों का कहना हैं की आवारा पशु, महँगी बिजली, फ़सलों की ख़रीद और गन्ने के क़ीमत जैसे मुद्दों का समाधान भी शीघ्र होना चाहिए है। इसके अलवा पूरे कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय सिंह “टेनी” की बर्ख़ास्तगी और गिरफ़्तारी की माँग भी उठती रही।

चुनावों से पहले आज का कार्यक्रम काफ़ी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किसानों को राजधानी में न आने की सलाह-चेतावनी भी दी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राकेश टिकैत जैसे दिखने वाले एक कार्टून को सोशल मीडिया पर डाल कर लिखा था “भाई जरा संभलकर जाइयो लखनऊ में, योगी बैठ्या बक्कल तार दिया करे'।

हालाँकि किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया से कहा की आज ईको गार्डेन में हुई रैली का कोई राजनैतिक उपदेश नहीं है। लेकिन यह कह कर के कि किसान आंदोलन उस समय तक ख़त्म नहीं होगा जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार क़ानून नहीं बना देती है, भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

किसान नेता टिकैत ने आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव पर कहा पर कहा कि “जितना भाजपा को चुनाव से प्यार है-उतना हमको किसानों से प्यार है।” किसान नेता कहा कि तीन कृषि क़ानूनों कि वापसी किसानों की माँगो में से केवल एक माँग थी।

उन्होंने कहा की जब एमएसपी आदि पर क़ानून नहीं बनेगा आंदोलन जारी रहेगा। टिकैत के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने विवादास्पद क़ानूनों की वापसी की घोषणा कर दी, लेकिन सरकार कि तरफ़ से अभी तक उनसे अभी तक कोई संपर्क नहीं किया गया है।

अपने भाषण के दौरान किसानों को आगाह करते हुआ कहा कि किसान एकता को तोड़ने के लिए सांप्रदायिक मुद्दों जैसे “हिन्दू-मुस्लिम”, “हिन्दू सिख” को हवा दी जायेगी तथा “जिन्ना” की बात की जायेगी। लेकिन किसानों को किसी भी बहकावे में नहीं आना है, जिससे सांप्रदायिकता बढ़े और किसान आंदोलन कमज़ोर हो जाये।

किसान नेता योगेन्द्र यादव ने भी किसानों को संबोधित किया और कहा की किसानों को सरकार से “दान” नहीं बल्कि उनको अपनी मेहनत का “दाम” चाहिए है। यादव ने कहा की जब तक लखीमपुर कांड के सूत्रधार केन्द्रीय मंत्री “टेनी” की गिरफ़्तारी नहीं होगी, किसानों को शांति नहीं मिलेगी।

किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने न्यूज़क्लिक से कहा कि “समस्या काफ़ी जटिल है, इसका हल एमएसपी पर क़ानून बनने से पहले और “टेनी” की गिरफ़्तारी के बिना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान बिजली के निजीकरण ख़िलाफ़ और पराली जलाने के मुद्दे को लेकर संघर्ष जारी रखेंगे।

किसान नेताओं के अलावा प्रसिद्ध अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह भी एसकेएम के मंच पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सरकार से होशियार रहने की ज़रूरत है। उन्होंने आशंका जताई कि जैसे नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन ख़त्म होने के बाद उस से जुड़े लोगों को यूएपीए लगाकर जेल में डाल दिया गया-वैसे ही किसान नेताओं के साथ भी हो सकता है।

किसान नेता राजेंद्र करगल ने न्यूज़क्लिक से कहा कि सरकार चाहती है “वन नेशन-वन मार्केट” और किसानों को माँग है “वन नेशन-वन एमएसपी”। उन्होंने कहा सरकार अगर वास्तव में किसानों की आमदनी बढ़ाना चाहती है तो उसका एक ही सूत्र “एमएसपी गारंटी क़ानून” है।

रायबरेली से आये किसान “प्रमोद कुमार पटेल”  ने न्यूज़क्लिक से कहा कि केवल प्रधानमंत्री के एक भाषण के आधार पर आंदोलन ख़त्म नहीं किया जा सकता है, क्यूँकि न तो किसी के ख़ाते में 15 लाख रुपये आये और न 2 करोड़ नौकरीयाँ मिलीं। ऐसे भाषणों को बाद में “जुमला कह दिया जाता है।”

उत्तर प्रदेश किसान सभा महामंत्री मुकुट सिंह ने उत्तर प्रदेश के कृषि संकट पर न्यूज़क्लिक से बात की और कहा कि आवारा पशु लगातार फ़सले बर्बाद कर रहे हैं और योगी आदित्यनाथ सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है।

सिंह ने कहा कि दूसरे प्रदेशों की तुलना में उत्तर प्रदेश का किसान घाटे में है। जहाँ केरल में एक किसान को हर क्विंटल का 2,800 रुपए दाम मिलता है वही उत्तर प्रदेश में सरकारी घोषित मूल्य ही सिर्फ 1,960 रुपये भी प्राप्त नही हो पाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कि चीनी मीलों के ऊपर किसानों का 19,536 करोड़ का बकाया है जो किसी भी दूसरे राज्यों से ज्यादा है। किसान सभा के नेता ने कहा की 2 साल पहले, यानी 2018-19 में, गन्ना किसान का केवल 9,953 करोड़ बकाया था। दो साल में बकाया दाम दोगुना हो गया।

मंच पर मौजूद मुकुट सिंह ने कहा योगी सरकार अगर किसान को केवल एमएसपी का दाम ही देदे, तो वे अपनी जेब से प्रधानमंत्री मोदी के निधि एकाउंट मे 6,000  ख़ुशी-ख़ुशी भेज देंगे।

किसानों ने आज माँग की कि सभी कृषि उपजों पर सभी किसानों के लिए लाभकारी एमएसपी (सी2 + 50% स्तर पर) का कानूनी अधिकार और खरीद सुनिश्चित किया जाये, विद्युत संशोधन विधेयक 2020/2021 की वापसी हो, किसानों को दिल्ली वायु गुणवत्ता विनियमन से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों के दायरे से बाहर रखा जाये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021" से धारा 15 को हटाया जाये। वर्तमान आंदोलन में हजारों किसानों पर लगाए गए मुक़दमे वापस लिये जायें।

मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद से अजय मिश्रा “टेनी” की बर्ख़ास्तगी और गिरफ्तारी की जाये। आंदोलन के शहीदों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास सहायता और सिंघू मोर्चा पर उनकी याद में एक स्मारक का निर्माण किया जाये।

आज के रैली में किसान संगठनों के अलावा दूसरे मज़दूर संगठनों जैसे रेलवे ठेका मज़दूर यूनियन, यूपी माँगे रोज़गार आदि भी शामिल हुए। लखीमपुर खीरी हत्याकांड के शहीदों के परिवारजनो को मंच पर सम्मानित किया गया।

किसानों ने कहा कि “वह प्रधानमंत्री को यकीन दिलाना चाहते हैं कि सड़क पर बैठने का उनको कोई शौक़ नहीं है। हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती बाड़ी में वापस लौटें।”

kisan andolan
Kisan Mahapanchayat
Mahapanchayat in Lucknow
SKM
Indian Farmer's Union
MSP
New Farm Laws
Farm Laws Repealed
Narendra modi
Lakhimpur massacre

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

क्यों मिला मजदूरों की हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन

पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर


बाकी खबरें

  • Moscow
    एम. के. भद्रकुमार
    भारत ने खेला रूसी कार्ड
    06 Nov 2021
    पुतिन की दिल्ली यात्रा से कुछ हफ्ते पहले इस महीने के अंत में मास्को में रूसी-भारतीय "2+2" मंत्रिस्तरीय की पहली बैठक घटनापूर्ण या महत्वपूर्ण होने वाली है क्योंकि यह वाशिंगटन में मंत्रिस्तरीय यूएस-…
  • Dalit-Adivasi education
    राज वाल्मीकि
    महामारी से कितनी प्रभावित हुई दलित-आदिवासी शिक्षा?
    06 Nov 2021
    हाल ही में नेशनल कैंपेन ऑन दलित ह्यूमन राइट्स  ने दलित आदिवासियों की शिक्षा पर एक अध्ययन किया। इस अध्ययन में अपेक्षा से अधिक दुखद तथ्य सामने आए हैं।
  • lakshwdeep
    अयस्कांत दास
    भारत में सबसे कम जेल में रहने की दर होने के बावजूद लक्षद्वीप को पांचवीं जेल की आवश्यकता क्यों है?
    06 Nov 2021
    पूरे देश में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में लक्षद्वीप में जेल में रह रहे कैदियों की तादाद सबसे कम 6 फीसदी है। इसकी तुलना में दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश में जेल अधिभोग दर क्रमशः 174.9…
  • covid
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटे में 10,929 नए मामले, 392 मरीज़ों की मौत
    06 Nov 2021
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.43 फ़ीसदी यानी 1 लाख 46 हज़ार 950 हो गयी है।
  • brick workers
    संदीप चक्रवर्ती
    पश्चिम बंगाल: ईंट-भट्ठा उद्योग के बंद होने से संकट का सामना कर रहे एक लाख से ज़्यादा श्रमिक
    06 Nov 2021
    बशीरहाट के ईंट-भट्ठों को फिर से खोलने की अपनी मांग को लेकर बड़ी संख्या में भट्ठा मज़दूर मंगलवार को उत्तर 24 परगना ज़िला प्रशासन कार्यालय पहुंचे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License