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भारत
राजनीति
माल्या और मोदी के अलावा और भी है…
एस्सार स्टील पर अकेले 49,000 करोड़ रूपए का क़र्ज़ है। इस कंपनी के पास भरपाई मूल्य महज 20,000 करोड़ रूपए।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
19 Feb 2018
nirav modi

नीरव मोदी के देश से भागने की ख़बर ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। जैसे ही ये ख़बर सामने आई प्राइमटाइम में बहस शुरू हो गई। ये मामला भी विजय माल्या की तरह हवा में उड़ जाएगा। जैसे विजय माल्या के मामलों पर बहस नहीं होती है वैसी ही कुछ दिनों के बाद नीरव मोदी पर चर्चा ख़त्म हो जाएगी। हाल मेंये रिपोर्ट सामने आई कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली में क़रीब 61,000 करोड़ रूपए की धोखाधड़ी हुई। यहां की बैंकिंग प्रणाली पर वास्तव में ये बदनुमा दाग़ है जो सहचर पूंजीवाद (crony capitalism ) के स्वरूप द्वारा संचालित है। इसकी जड़ भारतीय अर्थव्यवस्था के 'उदारीकरण' के शुरुआती दिनों से जुड़ी है। ऐसा ही एक उदाहरण एस्सार समूह का है। रुइया परिवार इस समूह का प्रमोटर है। गड़बड़ी के चलते कई बार ख़बरों में बना रहा है। विभिन्न सरकारों के साथ रहे इसके रिश्ते को सुचेता दलाल उजागर किया है।

एस्सार ग्रुप के बारे में लिखे गए विभिन्न लेखों को पढ़ने से जो विचार बनता है वह यह कि ये समूह पूर्वकथनीय विधि का अनुसरण करता है। ये कंपनी सार्वजनिक शेयर जारी करेगी, ऋण एकत्र करेगी, फिर जिस दर से उसे शेयर मिले उससे कम दर पर शेयर जारी करेगी और शेयरों के बाजार मूल्य की तुलना में अक्सर यह कम ही होता था। एस्सार स्टील का एक उदाहरण है कि इसने शेयर की कीमत खुले बाज़ार में 78 रुपए प्रति शेयर होने के बावजूद अपने निवेशकों को 48रुपए प्रति शेयर की दर से देने की पेशकश की थी। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी द्वारा प्रति शेयर लगभग 38% का लाभ हासिल किया गया था। फिर वर्ष 2002 में एस्सार ग्रुप की कुछ कंपनियों ने सहमति शर्तों के तहत देय राशि के भुगतान में चूक करने के लिए एस्सार ग्रुप की अन्य कंपनियों पर मुकदमा किया था। माना जाता है कि एस्सार समूह द्वारा जीटीबी के लिए लिए गए राशि से ध्यान हटाने के लिए ऐसा किया गया था।

वास्तव में इस प्रकार की कार्यप्रणाली का खुलासा साल 2015 में एस्सार की डायरी से हुआ। द सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाख़िल किया था जिसके अनुलग्नक में 'एस्सार डायरी' थी। डायरी से यह खुलासा हुआ था कि संसद में बजट पेश होने से पहले साल 2012 में केंद्रीय बजट का ये विवरण एस्सार ग्रुप के लिए उपलब्ध था। डायरी से ये भी खुलासा हुआ था कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के कर नीति और मूल्य निर्धारण को उनके द्वारा प्रभावित किया गया था। इस दौरान ये मंत्रालय वीरप्पा मोइली के अधीन था। वास्तव मेंदो क्रमिक सरकारों के कार्यकाल में पहुंच क़ायम रहा। तब 2 जी घोटाला जिसमें एस्सार ग्रुप अपने सब्सिडियरी कंपनियों के माध्यम से स्पेक्ट्रम को हासिल करने की होड़ में शामिल था और फिर इन कंपनियों में शेयर बेच रहा था जिनके पास स्पेक्ट्रम लाइसेंस के अलावा कोई बिक्री योग्य संपत्ति नहीं था। तत्कालीन संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए राजा के स्वीकृ्ति के बाद ही ऐसा मुमकीन हो पाया।

वर्तमान में आर्सेलर मित्तल ने एस्सार स्टील के लिए बोली लगाई है। हालांकि मित्तल को न्यूमेटल कंपनी से मिल रही टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। न्यूमेटल कंपनी में रुइया परिवार की हिस्सेदारी है। जो व्यक्ति न्यूमेटल कंपनी की तरफ से बातचीत करेगा वह एस्सार ग्रुप के प्रमुख रवि रुईया के बेटे रेवंत रुईया होंगे। यद्यपि भारतीय दिवालियापन क़ानून किसी दिवालिया कंपनी से जुड़े किसी भी व्यक्ति को निविदाएं जमा करने पर प्रतिबंध लगाती हैं, और रेवंत रुइया एस्सार स्टील से कभी संबद्ध नहीं रहे। यदि नियामक प्राधिकरणों के लिए कॉर्पोरेट बंदिशों को हटाने का कोई कारण है तो यह एक अलग बात है। एस्सार स्टील पर वर्तमान क़र्ज़ क़रीब 49,000 करोड़ से ज्यादा है। एस्सार स्टील का भरपाई मूल्य (liquidation value) 20,000 करोड़ है, जिसका मतलब है कि यदि कंपनी क़र्ज़ की भरपाईकरेगी तो 29,000 करोड़ कम ही पड़ जाएगा। न्यूमेटल की निलामी 35,000 करोड़ की है जो उसके बकाया ऋण से 14,000 करोड़ रुपए से कम ही है। लेनदारों में एसबीआई 13,000 करोड़ रुपए से अधिक हिस्से के साथ सबसे बड़ी लेनदार है, इसके बाद आईडीबीआई बैंक है जिसका 4,739 करोड़, कैनरा बैंक का 3,798 करोड़ और आईसीआईसीआई बैंक का2,481 करोड़ है।

भारत में एनपीए का वर्तमान मूल्य 8.5 लाख करोड़ से अधिक है। एस्सार स्टील का अकेला क़र्ज़ 49,000 करोड़ रुपए है, धोखाधड़ी का आंकड़ा लगभग 61,000 करोड़ रुपए है।

नीरव मोदी
नरेंद्र मोदी
माल्या
बीजेपी
Punjab National Bank

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