NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
भारत
राजनीति
मानसून, सीवर की सफ़ाई और मज़दूरों की टूटती सांसें
आप मानसून में हुई बारिश के दौरान मौसम का मज़ा ले सकें और आपको जलभराव की समस्या का सामना न करें इसके लिए कुछ लोगों को अमानवीय स्थितियों में काम करना पड़ रहा है और कई मामलों में अपनी जान भी गंवानी पड़ रही है।
अमित सिंह
30 Jun 2019
सीवर की सफाई

इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की संकरी गलियों में सीवर की सफाई को सुनिश्चित करने के लिए 200 सीवर सफाई मशीन वाहनों के एक बेड़े को झंडी दिखाकर रवाना किया था। और इसी के साथ उन्होंने सफाई कर्मचारियों के सीवर में उतरने के अमानवीय कार्य से मुक्ति की घोषणा की थी। 

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली देश का पहला राज्य है जहां सीवर सफाई मशीनों को लांच किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि दिल्ली सरकार ने सीवर में घुसकर, जान जोखिम में डालकर सफाई करने वाले सफाई कर्मचारियों को इस अमानवीय कार्य से मुक्ति का मार्ग प्रदान किया है। इस घोषणा के बाद अखबारों में सुर्खियां बनीं कि दिल्ली में अब आधुनिक मशीनों के जरिए सीवर सफाई का काम किया जाएगा। 

सरकार और राजनेता की जितनी ब्रांडिंग होनी थी इस खबर के साथ हो गई। अब सफाई कर्मचारियों की बात करते हैं। दिल्ली में शुक्रवार को एक सीवर की मरम्मत के दौरान हुए हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई,जबकि दो लापता हैं।

आपको बता दें यह हादसा पश्चिम दिल्ली के केशोपुर बस डिपो के पास हुआ। घटना के समय वहां 15कर्मचारी दिल्ली जल बोर्ड के सीवर की मरम्मत और सफाई का काम रहे थे। सरकार की ओर से कहा जा रहा ही कि इन मज़दूरों की मौत अचानक पानी छोड़े जाने के कारण हुई है परन्तु म्यूनिसिपल वर्कर्स लाल झण्डा यूनियन, दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक़ इन मज़दूरों की मौत का मुख्य कारण मूलभुत सुरक्षा उपकरण का न होना है।

इसे पढ़ें : दिल्ली : सरकारी तंत्र ने फिर से ली सफ़ाई कर्मचारियों की जान

ये तो हादसे की बात हो गई। अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो आप देखेंगे कि राजधानी में सीवर की सफाई के लिए मजदूरों को बिना किसी उपकरण और मास्क के गंदी, जहरीली सीवर लाइनों में उतारा जा रहा है। मानसून से ठीक पहले कॉलोनियों में सीवर की सफाई खुले आम इसी तरह चल रही है।

WhatsApp Image 2019-06-30 at 11.49.12 AM (1).jpeg

इस बार स्थिति इसलिए भी बदतर है, क्योंकि चुनाव की वजह से इस काम को नहीं किया जा सका। मानसून से पहले सीवर की सफाई करना जरूरी हैं, ताकि बारिश के दौरान जलभराव ज्यादा परेशानियां न पैदा करे। यानी आप मानसून में हुई बारिश के दौरान मौसम का मज़ा ले सकें और आपको जलभराव की समस्या का सामना न करें इसके लिए कुछ लोगों को अमानवीय स्थितियों में काम करना पड़ रहा है और कई मामलों में अपनी जान भी गंवानी पड़ रही है।  

आपको लगेगा कि अरे 21वीं सदी में ऐसी बात है तो कानून बनना चाहिए। तो आपको बता दें कि कानून है। इस देश में 1993 में मैनुअल स्केवेंजिग पर देश में रोक लगा दी गई थी और 2013 में कानून में संशोधन कर सीवर और सैप्टिक टैंक की मैनुअल सफाई पर रोक को भी इसमें जोड़ दिया गया था।

लेकिन आपकी गलियों और शहरों की रौनक में अपना जीवन खपा देने वाले ये लोग विकास की कथित मुख्यधाराओं से बाहर हैं। इसलिए कानून बनने के बाद भी उन्हें अपना जीवन यापन करने के लिए सीवर में उतरना पड़ रहा है। 

फिलहाल हमें और हमारी सरकारों को ये लोग दिखते नहीं हैं। और इनके बारे में सोचने की फुर्सत निजीकरण के इस दौर में भागते टकराते लोगों के पास भी नहीं है। यही सच्चाई है। इसलिए जब हम यह ख़बर पढ़ लेते हैं कि अब सीवर सफाई का काम मशीन करेगी तो यह मान लेते हैं कि अब सारा काम मशीन ही कर रही है। हम आंख खोलकर अपने ही मोहल्ले में सीवर में घुस रहे मजदूर को नहीं देख पाते हैं। 

और हमारी सरकारें क्या देख रही हैं। यह भी आपको बता देते हैं। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के एक आंकड़े के मुताबिक जनवरी 2017 से पूरे देश में सीवर और सैप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हर पांच दिन में औसतन एक आदमी की मौत हुई है। 2014-2018 के दरम्यान सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई करते हुए323 मौतें हुई हैं। वहीं एक दूसरी निजी संस्था सफाई कर्मचारी आंदोलन के एक आंकड़े के मुताबिक पिछले पांच साल में ये आंकड़ा 1470 मौतों का है।

यानी की अभी तक किसी के पास यह भी आंकड़ा नहीं है कि सीवर और सैप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान कितनी लोगों की मौत हुई है। अब जब हमें पता नहीं है कि समस्या कितनी बड़ी है तो हम उसका इलाज क्या करेंगे?

और बात जहां इलाज की है तो उसका भी आंकड़ा है। 2006-07 में मैनुअल स्केवेंजरों के लिए एक पुनर्वास योजना बनी थी। इसके लिए पैसे भी जारी किए गए लेकिन वो खर्च ही नहीं हो पा रहा है। एक आरटीआई के जरिए ये बात सामने आई थी कि 2013-14 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने मैनुअल स्केवेंजरों के पुनर्वास के लिए 55 करोड़ रुपये जारी किए थे। इसमें से 24 करोड़ अब भी खर्च नहीं हुए हैं।

पिछली मोदी सरकार ने इस दिशा में एक भी पैसा जारी नहीं किया। इस योजना की कार्यप्रणाली का अंदाजा तो इसी बात से लग जाता है कि 2006-07 से लेकर 2018-19 की अवधि के दरम्यान सिर्फ पांच बार इस स्कीम के तहत फंड रिलीज हो पाया। यानी सरकार कोई भी हो, पुनर्वास के काम को गंभीरता से नहीं लिया गया। 

सफाई कर्मचारी आंदोलन के संस्थापक और रेमन मैगसेसे अवार्ड विजेता समाजसेवी बेजवाड़ा विल्सन का मानना है कि इस दिशा में एक व्यापक सोच का अभाव है। ऐसी घटनाएं दिल्ली समेत पूरे देश में हो रही हैं। सीवेज की सफाई के लिए मजदूरों को बिना उपकरण के उतारा जा रहा है। शुक्रवार को ही संसद में इसे लेकर प्राइवेट बिल लाया गया, उस दौरान सरकार ने कहा कि सफाई कर्मचारियों के लिए हम कई कदम उठा रहे हैं लेकिन ये नहीं कहा कि अब अगली मौत नहीं होने दी जाएगी। हम तमाम आंकड़े सरकार को मुहैया करा रहे हैं लेकिन मंत्रियों को कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है।

 

Delhi
monsoon session
manual scavenging
Manual Scavengers
safai karmachari
safai karmachari andolan
Sanitation Workers
SEWER DEATH

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?

दिल्ली में गिरी इमारत के मलबे में फंसे पांच मज़दूरों को बचाया गया

दिल्ली में एक फैक्टरी में लगी आग, नौ लोग झुलसे

यूपी: सफ़ाईकर्मियों की मौत का ज़िम्मेदार कौन? पिछले तीन साल में 54 मौतें

गाजीपुर अग्निकांडः राय ने ईडीएमसी पर 50 लाख का जुर्माना लगाने का निर्देश दिया

सीवर में उतरे सफाईकर्मी की जहरीली गैस की चपेट में आने से मौत, मामला दर्ज


बाकी खबरें

  • BIRBHUMI
    रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    टीएमसी नेताओं ने माना कि रामपुरहाट की घटना ने पार्टी को दाग़दार बना दिया है
    30 Mar 2022
    शायद पहली बार टीएमसी नेताओं ने निजी चर्चा में स्वीकार किया कि बोगटुई की घटना से पार्टी की छवि को झटका लगा है और नरसंहार पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री के लिए बेहद शर्मनाक साबित हो रहा है।
  • Bharat Bandh
    न्यूज़क्लिक टीम
    देशव्यापी हड़ताल: दिल्ली में भी देखने को मिला व्यापक असर
    29 Mar 2022
    केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के द्वारा आवाह्न पर किए गए दो दिवसीय आम हड़ताल के दूसरे दिन 29 मार्च को देश भर में जहां औद्दोगिक क्षेत्रों में मज़दूरों की हड़ताल हुई, वहीं दिल्ली के सरकारी कर्मचारी और…
  • IPTA
    रवि शंकर दुबे
    देशव्यापी हड़ताल को मिला कलाकारों का समर्थन, इप्टा ने दिखाया सरकारी 'मकड़जाल'
    29 Mar 2022
    किसानों और मज़दूरों के संगठनों ने पूरे देश में दो दिवसीय हड़ताल की। जिसका मुद्दा मंगलवार को राज्यसभा में गूंजा। वहीं हड़ताल के समर्थन में कई नाटक मंडलियों ने नुक्कड़ नाटक खेलकर जनता को जागरुक किया।
  • विजय विनीत
    सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी
    29 Mar 2022
    "मोदी सरकार एलआईसी का बंटाधार करने पर उतारू है। वह इस वित्तीय संस्था को पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है। कारपोरेट घरानों को मुनाफा पहुंचाने के लिए अब एलआईसी में आईपीओ लाया जा रहा है, ताकि आसानी से…
  • एम. के. भद्रकुमार
    अमेरिका ने ईरान पर फिर लगाम लगाई
    29 Mar 2022
    इज़रायली विदेश मंत्री याइर लापिड द्वारा दक्षिणी नेगेव के रेगिस्तान में आयोजित अरब राजनयिकों का शिखर सम्मेलन एक ऐतिहासिक परिघटना है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License