NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
आंदोलन
घटना-दुर्घटना
नज़रिया
भारत
राजनीति
मानव ढाल बनाए गए डार भाइयों के पिता की तकलीफ़ कौन सुनेगा?
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के दलीपोरा में दो भाइयों को मानव ढाल के रूप में सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने का आरोप है। इस क्रम में एक की मौत हो गयी जबकि दूसरा घायल है।
फ़र्रह शकेब
24 May 2019
Kashmir
यह प्रतीकात्मक तस्वीर है | फोटो साभार: scroll.in

कश्मीर के बडगाम में उपचुनाव के दौरान विगत 9 अप्रैल 2017 को सेना द्वारा जीप की बोनट पर बांधकर घुमाए गए कश्मीरी युवक फ़ारूक़ अहमद डार की तस्वीर शायद अब भी आपके ज़ेहन में होगी जिन्हें सेना के एक अधिकारी मेजर लीतुल गोगोई ने जीप की बोनट पर बाँधकर मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया था। उस अमानवीय कृत्य को न्यायसंगत ठहराने के लिए मेजर गोगोई की तरफ से कहा गया था कि बडगाम में हो रहे उपचुनाव में पत्थरबाज़ों से निपटने के लिए उसे जीप की बोनट में बाँध कर घुमाया गया। 
अब एक ऐसी ही घटना बीते गुरुवार (16 मई) दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के दलीपोरा में हुई है जहाँ दो साधारण कश्मीरी नागरिकों को मानव ढाल के रूप में सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने का आरोप है। इस क्रम में एक नागरिक की मौत हो गयी और दूसरा घायल है।

मृत और घायल युवक सगे भाई हैं और उनके पिता 67 वर्षीय जलालुद्दीन डार के अनुसार उनके बेटों को कथित आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया जिससे एक बेटे की मौत हो गयी है और दूसरा घायल है। जलालुद्दीन डार के अनुसार भाई रईस और यूनुस अहमद डार को सुरक्षा बलों द्वारा गुरुवार देर रात (16 मई) को उनके घर से बाहर खींच लिया गया जब उनका परिवार लगभग 2.30 बजे ‘सहरी’ की तैयारी कर रहा था।

डार के मुताबिक- सेना ने उनके बेटों का इस्तेमाल पड़ोसी के घर में छुपे आतंकवादियों को भगाने के लिए किया। जब उनकी पत्नी,बहू और उन्होंने विरोध करने की कोशिश की, तो सैनिकों ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया  
“मैंने उनसे कहा कि मैं तुम्हारे साथ आऊंगा, मेरे बेटों को जाने दो, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। सैनिक मेरे बेटों को अलग-अलग दिशाओं में ले गए और मुझे दूसरी दिशा में ले जाया गया। सैनिकों ने मेरे बेटों को आदेश दिया कि वे हमारे पड़ोसियों को अपने घरों से बाहर आने के लिए कहें। घायल यूनिस के अनुसार मेरे भाई रईस ने जब हमारे मकान से सटे हुए मकान का दरवाज़ा खटखटाया तो एक नकाबपोश व्यक्ति द्वारा मेरे भाई और मुझसे कहा गया के हमलोग ग़ुलाम हुसैन के मकान की तरफ जाएँ, फिर ग़ुलाम हुसैन के मकान पर मेरे भाई ने दस्तक दी और मैं कुछ दूरी पर था। मेरे भाई ने उनसे बाहर आने को कहा, वैसे ही बत्तियां बुझ गयीं और अंदर से गोली चली जो सेना के एक जवान को लगीं तो इधर से भी गोली चलाई गयी जिससे मेरे भाई रईस की मौत हो गयी जबकि मेरी (यूनुस) टांग में गोली लगी।”

जलालुद्दीन डार आगे बताते हैं कि सैनिकों ने मुझे सेना के एक जवान को उठाने का आदेश दिया, जिसे मैंने मुठभेड़ स्थल से लगभग 200 गज की दूरी पर अपनी पीठ पर ले लिया, हालांकि यह अभी भी खतरनाक था।"

जलालुद्दीन के अनुसार कोई पुलिस या अर्धसैनिक बल नहीं था यह सेना के जवान थे जिन्होंने मेरे बेटों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया। यूनुस की पत्नी फ़िरदौस बताती हैं के मेरे ससुर अपने बेटों के बजाय उन्हें साथ ले जाने को सेना के जवानों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे जो बहुत डरावना मंज़र था। आपको बता दूँ की रईस श्रीनगर कॉलेज से एमबीए पूरा करने के बाद इस्लामिक बैंकिंग की पढ़ाई कर रहा था।

जम्मू कश्मीर पुलिस ने परिवार के दावे का खंडन किया है। “पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान निर्धारित लक्ष्य के आसपास के इलाके से नागरिकों को खाली करवा रहे थे कि छुपे हुए आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की और इस प्रक्रिया में सेना का एक जवान सिपाही संदीप मारा गया और एक नागरिक रईस डार की भी जान चली गई। पुलिस के अनुसार गुरुवार की मुठभेड़ में, सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के दलीपोरा गांव में दो जैश आतंकवादियों को मार गिराया।

एक पुलिस अधिकारी ने शुरू में कहा था कि तीन सैनिक और दो नागरिक, भाई यूनिस और रईस अहमद डार घायल हुए थे। लेकिन मुठभेड़ स्थल पर ही रईस की मौत हो गई और उसके भाई यूनुस को पास के अस्पताल में ले जाया गया जहां से उसे श्रीनगर के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया। तीनों आतंकवादी मारे गए।
इस पूरी घटना की ख़बर टाइम्स ऑफ़ इंडिया के माध्यम से आई है और हिंदी अंग्रेजी के लगभग तमाम अख़बारों ने इस ख़बर को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया है या हो सकता है के इस घटना के संबंध में केवल पुलिस का वर्ज़न आपके सामने प्रस्तुत किया गया हो लेकिन एक पीड़ित पिता की तकलीफ़ को इस क़ाबिल नहीं समझा गया कि उससे अवगत कराया जाए।

कश्मीर के संबंध में रिपोर्टिंग के दौरान अक्सर ऐसा होता है कि सेना या पुलिस की ओर से जारी एक पक्षीय ख़बरें ही देश के सामने आ पाती हैं। ये तो सभी जानते हैं कश्मीर भारत का एक बहुत ही ख़ूबसूरत पर्यटन स्थल है लेकिन उसके अवाम के हालात का जिक्र बहुत कम होता है। आज तो बहुत से कथित राष्ट्रवादियों को कश्मीर तो चाहिए लेकिन कश्मीरी नहीं। हम अगर वहां 15 प्रतिशत भू-भाग को छोड़ दें तो अन्य शेष क्षेत्र में अलगाववाद का जिक्र ही नहीं होता है। एक बड़े भू-भाग के शांतिपूर्ण जीवन की तमाम सकारात्मक खबरों के बजाय भारतीय मीडिया और तथाकथित दक्षिणपंथी बौद्धिक वर्ग द्वारा कुछ हिस्सों की नकारात्मक ख़बरों को ही राष्ट्रीय स्तर पर पेश कर सम्पूर्ण कश्मीर और कश्मीरियों के बारे में आम जनमत का सामान्यीकरण करते हुए एक ख़राब छवि गढ़ी गयी है। मीडिया के मुताबिक तो आज एक कश्मीरी का मतलब ही पत्थरबाज़ बन गया है।

कश्मीर हिन्दुस्तानी सियासत में कच्चा माल की हैसियत रखता है, और हर राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से कश्मीर के संबंध में नफा नुकसान का गणित एडजस्ट किये बैठी है, सियासतदानों को भाषणबाज़ी के लिए कश्मीर एक बेहतरीन कंक्रीट प्लेटफॉर्म मुहैया करवाता है और मुल्क के बहुसंख्यक वर्ग के एक बड़े हिस्से की सामूहिक चेतना की संतुष्टि के लिए कश्मीर नाम का टॉनिक बड़ा लाभदायक है और इन सबसे बाहर निकल कर भारतीय जनता की देशभक्ति का पैमाना भी काफी हद तक कश्मीर की बुनियाद पर तय हुआ करता है।

कई दशकों से लगातार कई मसलों और मुद्दों पर भारत की सामन्ती मनुवादी पूंजीवादी सत्ता द्वारा बार बार किये गये ऐतिहासिक विश्वासघात और नकारात्मक रवैये ने कश्मीर के अवाम को अलगाववाद की तरफ धकेल दिया और धीरे धीरे ये अलगावाद भारत में साम्प्रदायिकता की रोटी खाने वाले सियासतदानों के लिए तीतर के हाथ बटेर जैसी कहावत का जीवंत रूप लेता चला गया जिसे बहुत ही शातिर तरीके से मुल्क के ब्राह्म्णवादी तंत्र ने अपनी सत्ता का वर्चस्व क़ायम रखने के लिए अपने पक्ष में मोड़ लिया है क्योंकि कश्मीर का अवाम उस समुदाय से ताल्लुक़ रखता है जिसे मुसलमान कहा जाता है और मुल्क का एक बड़ा तबक़ा उसके ताल्लुक़ से बजाय अपनी सोच समझ और तजुर्बे के सिर्फ मिडिया हाइप और पूर्वाग्रह की बुनियाद पर अपनी नकरात्मक राय रखता है।  
क्या भारतीय जनता का ये रवैया कश्मीरियों को हमसे दूर करते हुए अलगावादियों को उनकी मंशा के अनुकूल स्पेस मुहैया नहीं करवाता है?

क्या ये एक भारतीय नागरिक होने के नाते हमारी और आपकी नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं है के हम इस संबंध में संवाद को प्रोत्साहन दें और संवादहीनता समाप्त करने के लिए हर सम्भव प्रयास करें। विगत फरवरी में पुलवामा के आतंकी हमलों के बाद जिस तरह देश भर में कश्मीरी युवकों के साथ हिंसा की गयी वो अनुचित थी और ये मानने वाले जिस तरह तब सड़कों पर निकले थे और कश्मीरियों के साथ अपनी एकजुटता और संवेदना प्रकट की थी उन्हें जलालुद्दीन अहमद डार की शिकायत का भी संज्ञान लेने की ज़रूरत है। क्या इस मामले में जांच की मांग नहीं की जानी चाहिए कि एक निर्दोष कश्मीरी नागरिक को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करना और उसकी जान ले लेना कहाँ तक उचित है।

एक कश्मीरी युवा रईस जो अपने पड़ोसियों के अनुसार बहुत ही शालीन नेकदिल और सभ्य शिक्षित नौजवान छात्र था और पढ़ लिख कर कुछ बनना चाहता था उसे रमज़ान में सहरी के वक़्त आधी रात को घर से बुला कर लाया गया और उसके बाद उसकी जान चली गई। उस निर्दोष युवक को गोली चाहे आतंकवादी की लगी हो या पुलिस या सेना की लेकिन उसकी हत्या हुई और इस हत्या की नैतिक ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)

Kashmir crises
Pulwama
pulwama attack
Kashmir conflict
Kashmir Politics
budgam
dalipora
Schools in Kashmir
J&K Police
Indian media
Media and Politics
terrorist attack
terror

Related Stories

कश्मीर में दहेज़ का संकट

23 साल जेल में बिताने के बाद निर्दोष साबित : क्या न्याय हुआ?

सोमालिया में आतंकवादी हमले में दो पत्रकारों समेत 10 की मौत

'' मीडिया की औकात ''

कैसे होगा? कौन कराएगा? ज़ख़्मी शाहनवाज़ का इलाज

बांदीपोरा रेप केस में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया, शुक्रवार तक रिपोर्ट मांगी


बाकी खबरें

  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के मामलों में क़रीब 25 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई
    04 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,205 नए मामले सामने आए हैं। जबकि कल 3 मई को कुल 2,568 मामले सामने आए थे।
  • mp
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    सिवनी : 2 आदिवासियों के हत्या में 9 गिरफ़्तार, विपक्ष ने कहा—राजनीतिक दबाव में मुख्य आरोपी अभी तक हैं बाहर
    04 May 2022
    माकपा और कांग्रेस ने इस घटना पर शोक और रोष जाहिर किया है। माकपा ने कहा है कि बजरंग दल के इस आतंक और हत्यारी मुहिम के खिलाफ आदिवासी समुदाय एकजुट होकर विरोध कर रहा है, मगर इसके बाद भी पुलिस मुख्य…
  • hasdev arnay
    सत्यम श्रीवास्तव
    कोर्पोरेट्स द्वारा अपहृत लोकतन्त्र में उम्मीद की किरण बनीं हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं
    04 May 2022
    हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं, लोहिया के शब्दों में ‘निराशा के अंतिम कर्तव्य’ निभा रही हैं। इन्हें ज़रूरत है देशव्यापी समर्थन की और उन तमाम नागरिकों के साथ की जिनका भरोसा अभी भी संविधान और उसमें लिखी…
  • CPI(M) expresses concern over Jodhpur incident, demands strict action from Gehlot government
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जोधपुर की घटना पर माकपा ने जताई चिंता, गहलोत सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग
    04 May 2022
    माकपा के राज्य सचिव अमराराम ने इसे भाजपा-आरएसएस द्वारा साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अनायास नहीं होती बल्कि इनके पीछे धार्मिक कट्टरपंथी क्षुद्र शरारती तत्वों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन की स्थिति पर भारत, जर्मनी ने बनाया तालमेल
    04 May 2022
    भारत का विवेक उतना ही स्पष्ट है जितना कि रूस की निंदा करने के प्रति जर्मनी का उत्साह।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License