NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
मायावती ने मोदी लहर को दबा दिया
मायावती एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं और राष्ट्रीय राजनीति में मोदी से काफी बेहतर अनुभव है। उन्हें पता होगा कि केंद्र में मोदी की अगुवाई वाली दूसरी सरकार की संभावना तेजी से घट रही है।
एम. के. भद्रकुमार
15 May 2019
Mayawati
फाइल फोटो

आम चुनाव के लिए दो महीने चला धुआंधार प्रचार अब समाप्त होने जा रहा है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक व्यक्तित्व के बारे में तीखी टिप्पणी के चलते चुनाव प्रचार में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है।

मिडनाइट्स चिल्ड्रेन (मेरी खुद की तरह) ने कभी इस तरह का चुनाव प्रचार नहीं देखा। मोदी ने इस चुनाव को अपने बारे में बताते हुए अपनी भाषा खुद तैयार की है लेकिन यह उल्टा हो गया है। शालीनता ने शायद राहुल गांधी को ऐसी बातें कहने से रोका जैसा मायावती ने कहा है। लेकिन मायावती एक संयमी राजनीतिज्ञ के रूप में जानी जाती हैं जो आम तौर पर अपने गरिमापूर्ण व्यक्तित्व को विवादों से दूर रखती हैं लेकिन अगर उकसाया जाता है तो वह अपने विरोधियों को खरी-खोटी सुनाने में सक्षम होती हैं जो उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। आखिरकार उन्होंने सख्ती से उत्तर प्रदेश के कानून विहीन क्षेत्र के लिए निर्णय करने में सही समझ दिखाई और जातिगत कट्टरता का सामना कर रहे करोड़ों दलितों को भाग्य का एहसास दिलाने के लिए वास्तविक धैर्य दिखाया।

दो दिन पहले नितिन गडकरी के एक साक्षात्कार के अंत में करण थापर ने मोदी की प्रचार शैली के बारे में पूछा। उन्होंने पिछले पांच साल में देश राजनीतिक अर्थ प्रबंध के बारे में पूछा। थापर ने कहा, "वह (मोदी) अपने पांच साल के कामकाज को लेकर प्रचार नहीं कर रहे हैं। वह लोगों से जुड़े शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, ग्रामीण संकट जैसे मुद्दों पर प्रचार नहीं कर रहे हैं... इसलिए चुनाव प्रचार करते समय आप खुद किसी के पिता के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी करें या कहानियां सुनाएंगे, क्या आप कभी ऐसा करेंगे?”

यह एक असाधारण क्षण था जब नाराज गडकरी अपना आपा और होश नहीं खोते हैं पर उन्हें उदासीन देखा गया और अपमानित महसूस किया। उन्होंने साधारण तरीके से जवाब दिया, "मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन सौभाग्य से मेरी भावना भारतीय लोकतंत्र के लिए यही है कि हमें नीतियों, निर्णयों, सुधारों के बारे में बोलना चाहिए। विकास, बुनियादी ढांचे के विकास, रक्षा नीतियों के कई मुद्दे इस समय हैं।” निश्चित रूप से गडकरी जो केंद्र सरकार में सबसे असाधारण मंत्री हैं उन्होंने मोदी-शैली की राजनीति के बारे में अपनी अरुचि का परिचय दिया।

मुद्दा यह है कि मोदी इस चुनाव प्रचार के माध्यम से एक निम्न स्तर पर उतर गए यहां तक कि एक दिवंगत राष्ट्रीय नेता और पूर्व प्रधानमंत्री को भी अपमानित करके जो पूरी तरह से निंदनीय है और दिवंगत नेता के बेटे जो कि विपक्ष के नेता हैं आज उन्हें चुनौती दे रहे हैं। अगर और कुछ नहीं तो मोदी ने राजीव गांधी के बारे में जो भी कहा कि वह ‘तपस्या’ करने का दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति के योग्य नहीं था, देश के प्रधानमंत्री की तो दूर की बात है। कोई भी भला हिंदू एक दिवंगत आत्मा को कैसे बदनाम कर सकता है? यह पवित्र आत्मा का अनादर करना है।

मोदी को इस बड़े खतरे का अंदाजा होना चाहिए कि पिछले कुछ सप्ताह में रोजाना उनके विरोधी जो उनके जुबानी हमले और ताने का शिकार हुए हैं वे कहीं न कहीं जवाबी हमला कर सकते हैं। और वह भूल गए हैं कि पीएम होने के नाते वह कीचड़ उछालने वाले खेल में बहुत कुछ गंवा चुके हैं। क्या एक पुरानी कहावत नहीं है कि दोषी व्यक्ति दूसरे की आलोचना नहीं करते हैं? बाइबल में धर्मदूत पॉल का हवाला देते हुए कहा गया है कि जो लोग कांच के घरों में रहते हैं उन्हें पत्थर नहीं फेंकने चाहिए!

गडकरी की तीखी टिप्पणी से पता चला यहां तक कि शायद बीजेपी और आरएसएस के भीतर भी ऐसे बहुत से नेता होने चाहिए जो मोदी की प्रचार शैली को लेकर असहज महसूस करते हों और यहां तक कि शर्मिंदगी भी महसूस करते हों। जहां तक विपक्षी दलों की बात है वे इस तरह के व्यक्तिगत प्रचार कभी नहीं चाहते थे जब कश्मीर, ग्रामीण संकट, रोजगार, शासन विधि, राफेल सौदा, 'बहुलतावाद' और इसी तरह के अन्य गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर उनका तवज्जो चाहता था और इस पर गंभीरता से बहस करने की आवश्यकता थी।

लेकिन मोदी ने सोचा कि वह बांटने वाली रणनीति का सहारा लेकर बेहतर कर रहे हैं और इसरार कर रहे हैं कि आम चुनाव उनके इर्द गिर्द होने चाहिए। इस तरह की महत्वाकांक्षा ने अंततः उनकी बरबादी को साबित कर दिया। इसने उन्हें सभी सीमाओं को पार करने और अपनी खुद की प्रतिभा के बारे में झांसा देने के लिए प्रेरित किया कि वे इंटरनेट चलन में आने से एक दशक पहले ईमेल भेजते थे या बादल में रॉकेट विज्ञान के कार्य विधि को जानते थे आदि। यकीनन इन बयानों की किरकिरी हुई। और एक महिला प्रतिद्वंद्वी ने उन पर हमला किया। मायावती ने मोदी के चारों ओर बने वातावरण को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया।

फिर भी मायावती ने जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह शायद मोदी के पारिवारिक जीवन या कथित दोष के बारे में नहीं थी बल्कि आने वाले निर्णायक दिनों में उनकी खुद की पार्टी का विचार है क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति महत्वपूर्ण दौर में पहुंच चुकी है। बीजेपी प्रवक्ता आपस में चर्चा कर रहे हैं कि सत्तारूढ़ पार्टी अगली सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल करने में विफल होने की स्थिति में कई अवसरवादियों जैसे तेलंगाना राष्ट्र समिति, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और मायावती के नेतृत्व वाली बसपा पर भरोसा कर सकती है।

एक झटके में ही मायावती ने इन बेबुनियाद बातों को खारिज कर दिया है। उन्होंने लोगों से इस तरह के व्यक्ति को वोट न देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "यह मोदीजी की पत्नी के लिए भी उनका वास्तविक सम्मान होगा।" महत्वपूर्ण बात ये है कि मायावती ने स्पष्ट किया कि वह कभी भी मोदी के साथ राजनीतिक गठबंधन के बारे में विचार नहीं करेंगी। बेशक मायावती एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं जिनका मोदी की तुलना में राष्ट्रीय राजनीति में काफी ज़्यादा अनुभव है। उन्हें हिंदी पट्टी में उथल पुथल का एहसास होना चाहिए। मायावती ने हाल में कहा कि केंद्र में मोदी की अगुवाई वाली दूसरी सरकार की संभावना तेजी से घट रही है।

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

failure of BJP
policies Failure
Narendra modi
modi sarkar
BJP
sarcasm
rajiv gandhi
Nitin Gadkari
2019 आम चुनाव
2019 elections

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप
    21 May 2022
    पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ क्य है? दिल्ली के दो लोगों ने अपनी धार्मिक भावना को ठेस लगने की शिकायत की और दिल्ली…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली
    21 May 2022
    अदालत ने लाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने पर राहत दी।
  • सोनिया यादव
    यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?
    21 May 2022
    प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक खुद औचक निरीक्षण कर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। हाल ही में मंत्री जी एक सरकारी दवा गोदाम पहुंचें, जहां उन्होंने 16.40 करोड़…
  • असद रिज़वी
    उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण
    21 May 2022
    भारत निर्वाचन आयोग राज्यसभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा  करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है। मतदान 10 जून को…
  • सुभाष गाताडे
    अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !
    21 May 2022
    ‘धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरपन हमारी प्रगति में बहुत बड़े बाधक हैं। वे हमारे रास्ते के रोड़े साबित हुए हैं। और उनसे हमें हर हाल में छुटकारा पा लेना चाहिए। जो चीज़ आजाद विचारों को बर्दाश्त नहीं कर सकती,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License