NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
समाज
भारत
राजनीति
मेरिट को सिर्फ परीक्षा में प्रदर्शन से मत आंकिए : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी पदोन्नति में आरक्षण पर कर्नाटक के कानून को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र या राज्य के मामलों में प्रशासन की दक्षता को समग्रता के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
11 May 2019
Supreme Court

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक सरकार के 2018 के उस कानून को बरकरार रखा जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति एवं वरिष्ठता क्रम में आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उन्हें शासन में प्रतिभागी बनाना ‘एक समान नागरिकता को अंतर्निहित करना है।’ न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि एससी-एसटी वर्गों से पदोन्नति पाने वाले दक्ष नहीं हैं या उनकी नियुक्ति से दक्षता कम हो जाएगी क्योंकि यह ‘रुढ़िवादी संकल्पना’ है।

पीठ ने कहा कि केंद्र या राज्य के मामलों में प्रशासन की दक्षता को समग्रता के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जहां समाज के अलग अलग वर्ग जनता द्वारा और जनता के लिए शासन की सच्ची महत्वाकांक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अपने फैसले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'अनुसूचित जाति एवं जनजाति को आरक्षण दिया जाना मेरिटोक्रेसी यानी मेरिट को प्राथमिकता वाली व्यवस्था के सिद्धांत के खिलाफ नहीं है। मेरिट को संकुचित दायरे में नहीं रखा जा सकता और इसे महज परीक्षा में रैंक के तौर पर ही नहीं देख सकते। इसे समाज में समानता को बढ़ाने के तौर पर भी देखना चाहिए। इसके अलावा लोक प्रशासन में विविधता का ख्याल भी रखा जाना चाहिए।' 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के एक आलेख का भी जिक्र किया है। इस लेख में कहा गया है कि जो लोग कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक लेते हैं, वही मेधावी हैं, बाकी नहीं, तो यह विकृत सोच है। अगर विविधता और अनेकता को तरजीह नहीं दी गई तो हमारा समाज असमानता के चुंगल से नहीं निकल पाएगा। 

शीर्ष अदालत ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया जिनमें कर्नाटक सरकार के एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित2018 के कानून की वैधता को चुनौती दी गई थी।

आपको बता दें कि कर्नाटक से पहले कई अन्य राज्यों ने भी एससी-एसटी वर्ग को प्रोन्नति में आरक्षण का नियम बनाया था, लेकिन अदालत से मंजूरी नहीं मिल सकी थी।

 (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

SC
Supreme Court
exam paper
sc-st
Reservation
karnataka
merit
Reservation Policy
scheduled tribes
Scheduled Caste

Related Stories

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

कर्नाटक: वंचित समुदाय के लोगों ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों, सूदखोरी और बच्चों के अनिश्चित भविष्य पर अपने बयान दर्ज कराये

दिल्ली में गूंजा छात्रों का नारा— हिजाब हो या न हो, शिक्षा हमारा अधिकार है!

कर्नाटक: हिजाब पहना तो नहीं मिलेगी शिक्षा, कितना सही कितना गलत?

नीतीश सरकार ने एससी-एसटी छात्रवृत्ति फंड का दुरूपयोग कियाः अरूण मिश्रा

10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण अप्रमाणिक और निराधार: डेटा

अगर वे सिर्फ अंग्रेजी सीख लेते हैं तो ओबीसी आरक्षण का फायदा उठाने की स्थिति में आ सकते हैं

4जी के दौर में 2जी: कश्मीरी छात्रों पर भारी पड़ता कभी न ख़त्म होने वाले लॉकडाउन


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License