NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
महाराष्ट्र महापड़ाव: मुंबई के आज़ाद मैदान पहुंचा हज़ारों किसानों का जत्था, आंदोलन जारी
कृषि क़ानूनों के खिलाफ महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों से निकल कर हजारों किसानों का जत्था रविवार को मुंबई पहुंच गया। ये किसान महाराष्ट्र के गवर्नर से मिलकर इन क़ानूनों को रद्द करने की मांग करेंगे। 
अमेय तिरोदकर
25 Jan 2021
महाराष्ट्र महापड़ाव

मुंबई: महाराष्ट्र में महापड़ाव आंदोलन के दूसरे दिन यानी रविवार को बेहद सुबह हजारों किसान और श्रमिक कसारा घाट पहुंच गए। राज्यों के कोने-कोने से आए किसानों और श्रमिकों के विशाल जत्थे ने शाम को मुंबई पहुंच कर यहां के आजाद मैदान में डेरा डाल दिया। राजधानी तक की यात्रा के दौरान रास्ते में उन्हें अपार जन समर्थन हासिल हो रहा है।

कृषि कानूनों के खिलाफ महाराष्ट्र में जबरदस्त आंदोलन चल रहा है। इन कानूनों के खिलाफ यहां के किसानों के सफल मार्च और आंदोलन की वजह से मुंबई दिल्ली के बाद किसान आंदोलन का दूसरा बड़ा केंद्र बन कर उभरा है। दिल्ली के बॉर्डर पर किसान कृषि कानून खत्म करवाने के लिए अब तक डटे हुए हैं।

किसानों के जत्थे में हर उम्र के लोग शामिल हैं। पालघर से वाहन जत्थे में शामिल होने आईं तिरू 70 साल की हैं। दहानू तहसील के अपने गांव से वह एक साथी किसान के साथ कसारा आई हैं ताकि वाहन जत्थे में शामिल हो सकें। तिरु ने कहा, “मेरे साथ गांव की 20 महिलाएं हैं। कुछ पुरुष भी आए हैं। दिल्ली सरकार किसानों की नहीं सुन रही है। अब हम सरकार को अपनी बात सुना कर रहेंगे।”

रविवार सुबह तक जत्थे में शामिल होने के लिए 20 हजार किसान पहुंच चुके थे। किसानों में केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ काफी रोष है। कृषि कानूनों पर मोदी सरकार के अड़ियल रवैये पर वे खासे खफा हैं। नासिक में वानी से आए 75 साल के किसान देवराम भीखा यादव मोदी के बारे में कहते हैं, “हमने आपको सत्ता दी। हमने आपको कंधे पर उठाया। आपको नेता बनाया और जब आपको सत्ता मिल गई तो आप हमारी ही नहीं सुन रहे हैं। और तो और आप हमारे ही खिलाफ कानून बना रहे हैं। आपको हमारी बात सुननी होगी। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपको पद छोड़ना होगा। आपको सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। ”

किसानों और श्रमिकों के इस जत्थे का हर जगह स्वागत हो रहा है। जत्थे का खरड़ी, शाहापुर, ठाणे, बिखरोली कन्नमवार नगर में जोरदार अभिनंदन हुआ। कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, लोक भारती, पिजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ने भी सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जत्थे का स्वागत किया गया।

इस बीच, मुंबई के गुरु सिंह गुरुद्वारा में लंगर की तैयारी चल रही थी। सैकड़ों लोग राशन लाने और भोजन बनाने में मदद कर रहे थे। जत्थे में शामिल किसान आजाद मैदान के फोर्ट एरिया में धरना देंगे। रविवार की शाम तक महापड़ाव में शामिल होने के लिए 35 हजार किसान मुंबई पहुंच सकते हैं। 

हिंद मजदूर संघ के एन के धूमल ने कहा, “ ये किसान हमारे रोज के अन्नदाता हैं। आज वे सड़कों पर उतर कर लड़ाई लड़ रहे हैं। इसलिए उनकी मदद करना और उनकी जरूरतों पर ध्यान देना हमारा कर्तव्य है।”

महाराष्ट्र के 100 से ज्यादा संगठनों ने इस महापड़ाव का आयोजन किया है। इस महापड़ाव को इन संगठनों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। सोमवार तक इस महापड़ाव में और भी किसानों और श्रमिकों के शामिल होने की उम्मीद है। पुणे और आसपास के औद्योगिक शहरों से साइकिल पर सवार होकर इस आंदोलन में शामिल होने के लिए लोग आ रहे हैं। ये उद्योगों में काम करने वाले कामगार हैं, जो इस महापड़ाव में शामिल होकर मौजूदा श्रम कानूनों के खिलाफ आवाज उठाएंगे।

रविवार को जालना जिले से नासिक आकर जत्थे में शामिल हुए 39 साल के प्रभाकर चोरमारे ने ‘न्यूजक्लिक’ से कहा, “सरकार ने इन कानूनों को बनाने से पहले हम लोगों से कोई मशवरा नहीं किया। वे हमें इनके अच्छे पहलुओं को दिखाते रहे। लेकिन हमारे फसलों की बिक्री पर रेट की गारंटी कौन लेगा? पहले रेट तय थे। अब क्या होगा। अगर फसल न बिके तो क्या होगा? ये सवाल बड़े अहम हैं। इन कानूनों में इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। यही वजह है कि हम इन कानूनों का विरोध करने आए हैं।

इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें। 

Maharashtra Mahapadav: Farmers’ March Reaches Azad Maidan in Mumbai, Agitation Continues

mahapadav
Farmers’ Protest
Mumbai
Azad Maidan
Nashik-Mumbai March
Farm Laws
Farmers’ March
Narendra modi

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License