NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
मनमानी : पतंजलि समेत निजी आयुष कॉलेज बढ़ी फीस लौटाने को तैयार नहीं!
उत्तराखंड में कोर्ट और सरकार के आदेश के बाद भी छात्रों को राहत नहीं। हरिद्वार के पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज में छात्रों के साथ मारपीट के बाद आयुष स्टुडेंट्स की निराशा और बढ़ी।
वर्षा सिंह
27 Nov 2019
पतंजलि समेत निजी आयुष कॉलेज

हरिद्वार के पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज में छात्रों के साथ हुई मारपीट के बाद आयुष स्टुडेंट्स की निराशा और बढ़ गई है। देहरादून के परेड ग्राउंड में बढ़ी हुई फीस के खिलाफ निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों के स्टुडेंट्स रोज़ाना धरने पर बैठ रहे हैं। एक अक्टूबर से शुरू हुआ अनशन और अब धरना अभी खत्म नहीं हुआ। जबकि 21 नवंबर को उत्तराखंड सरकार ने बैठक कर निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों को बढ़ी हुई फीस लौटाने को कहा है। इसके बाद छात्र-छात्राओं को उम्मीद जगी थी कि शायद अब उनका संघर्ष पूरा होगा, लेकिन अभी ऐसी उम्मीद नहीं दिख रही है।

इसे भी पढ़ें : दिल्ली से उत्तराखंड तक : पढ़ने की जगह आंदोलन क्यों कर रहे छात्र? 

आचार्य बालकृष्ण पर छात्रों के आरोप

22 नवंबर को सभी 13 आयुर्वेदिक कॉलेजों में राज्य सरकार के फीस वापस करने संबंधी आदेश का पत्र पहुंचा। अपनी कक्षाओं से बाहर महंगी शिक्षा के खिलाफ लड़ रहे छात्र अपने-अपने कॉलेज पहुंचे। हरिद्वार के पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज के स्टुडेंट्स भी धरना छोड़ कॉलेज पहुंचे। उन्होंने फीस के मुद्दे पर प्रिंसिपल डॉ डीएन शर्मा से बात की। प्रिंसिपल ने स्टुडेंट्स को आचार्य बालकृष्ण से बात करने को कहा।

अगले दिन करीब 90 बच्चे आचार्य बालकृष्ण के पास पहुंचे। कॉलेज में मुश्किल न हो, इसलिए नाम नहीं ज़ाहिर करने की बात कह, यहां के सीनियर छात्र ने बताया कि आचार्य बालकृष्ण ने सभी स्टुडेंट्स को तीन घंटे इंतज़ार कराया। इसके बाद वे अपने सुरक्षा गार्ड्स के साथ उनसे मिलने आए। छात्र बताता है कि जब बढ़ी हुई फीस लौटाने के बारे में पूछा गया तो बालकृष्ण ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के शासनादेश को नहीं मानते। बल्कि ये भी कहा कि जब कोर्ट के आदेश पर फीस नहीं वापस हुई, तो अब कैसे वापस कर दें। छात्रों के मुताबिक आचार्य बालकृष्ण ने उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की। इस बीच एक स्टुडेंट वीडियो बना रहा था। ऐसा करते देख लेने पर सभी स्टुडेंट्स की मौजूदगी में उन्होंने उस छात्र को मारा। छात्र के मुताबिक इसके बाद सुरक्षा गार्ड्स बच्चों को मारने लगे। घटना का एक वीडियो भी आया है। जिसमें एक छात्र रो रहा है और बहुत से छात्र बालकृष्ण के खिलाफ नारे लगा रहे हैं।

पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज में स्टुडेंट्स के साथ मारपीट का आरोप.jpeg

छात्र बताता है कि वहां मौजूद सभी स्टुडेंट्स के फोन जब्त कर लिए गए। करीब तीन घंटे बाद डाटा डिलीट करने के बाद फोन वापस किए गए। सीनियर छात्र के मुताबिक हमें डराया-धमकाया जा रहा है। फीस वापस लौटाने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं देती।

इस मामले में पतंजलि कॉलेज का पक्ष जानने के लिए हमने कॉलेज में संपर्क करने की कोशिश की। कॉलेज के प्राचार्य डॉ डीएन शर्मा ऑफिस में नहीं मिले। उनके मोबाइल नंबर पर इनकमिंग की सुविधा बंद का मैसेज आ रहा है। पतंजलि कॉलेज निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों की एसोसिएशन में भी शामिल नहीं है।

इसे देखें : उत्तराखंड मेडिकल कॉलेज: बढ़ती फ़ीस, पिसते बच्चे 

ओम आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज पर छात्रों को प्रवेश न करने देने का आरोप

हरिद्वार में ओम आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज की प्रगति जोशी कहती हैं कि मुख्यमंत्री का आदेश लेकर हम तीन बच्चे कॉलेज गए तो हमें गेट के अंदर भी नहीं घुसने दिया। हमारे साथ एक एसआई और दो कांस्टेबल भी थे। उन्हें अंदर जाने दिया और हमसे कहा कि तुम्हारी एंट्री नहीं है। एसआई को कहा गया कि फीस के संबंध में कॉलेज प्रशासन अभी बैठक करेगा और फिर फ़ैसला लेगा कि क्या करना है।

 परेड ग्राउंड में प्रदर्शन कर रहे छात्र बताते हैं कि देहरादून के बीहाइव आयुर्वेदिक कॉलेज ने भी प्रदर्शनकारी स्टुडेंट्स को प्रवेश नहीं करने दिया। रुड़की के बीएफआई आयुर्वेदिक कॉलेज के बच्चों को अपने डॉक्युमेंट्स ले जाने को कहा गया।

ताला लगाने को तैयार हैं निजी आयुर्वेदिक कॉलेज!

उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज के शिवम शुक्ला कहते हैं कि राज्य सरकार के आदेश के बाद सभी स्टुडेंट्स दो दिन लगातार क्लास में गए। डायरेक्टर और चेयरमैन ने परीक्षा देने से भी मना नहीं किया। लेकिन जब हमने फीस लौटाने कहा तो कॉलेज प्रबंधन ने पूछा कि दूसरे कॉलेज क्या कर रहे हैं। शिवम बताते हैं कि कई कॉलेजों ने ये जवाब दिया है कि हम अपने संस्थान पर ताला लगा देंगे। इस पर प्रबंधन ने कहा कि फिर हम भी ताला लगा देंगे। शिवम कहते हैं कि मैं फाइनल इयर में हूं। मेरी फीस तो उन्हें लौटानी पड़ेगी। जूनियर बच्चों की फीस आगे एडजस्ट की जा सकती है। लेकिन प्रबंधन का रवैया उन्हें बेहद नकारात्मक लगा। शिवम कहते हैं कि कॉलेज जाने का कोई फायदा नहीं है, वे फीस लौटाने वाले नहीं।

निजी कॉलेजों ने क्यों नहीं चस्पा किया शासनादेश

शासनादेश के आधार पर फीस बढ़ाने वाले निजी कॉलेजों को उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने निर्देश दिए कि वे राज्य सरकार के नए शासनादेश को अपने नोटिस बोर्ड और वेबसाइट पर चस्पा करें। एक-दो कॉलेज को छोड़कर किसी ने भी बढ़ी फीस लौटाने के शासनादेश को नोटिस बोर्ड पर नहीं लगाया।

उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज ने नहीं चस्पा किया फीस लौटाने का नोटिस.jpeg

निजी आयुर्वेदिक कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष का जवाब

उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज के चेयरमैन और निजी  आयुर्वेदिक कॉलेजों  की एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अश्विनी कॉम्बोज कहते हैं कि दो-तीन दिनों में सभी कॉलेजों के साथ बैठक कर फीस के मुद्दे पर सर्वसम्मति से फ़ैसला लिया जाएगा।  वह कहते हैं कि सरकार ने बढ़ी हुई फीस वापस करने को कहा है लेकिन हम अचानक से इतने पैसों का इंतज़ाम कैसे करेंगे।

कॉलेज में स्टुडेंट्स के प्रवेश पर रोक के मुद्दे पर वह कहते हैं कि हमने बच्चों से ये लिखकर देने को कहा है कि इतने समय तक आप कहां थे।

डॉ कम्बोज कहते हैं कि सरकार ने हमें फीस लौटाने के लिए एक महीने का समय दिया है, तो स्टुडेंट्स को इतना इंतज़ार करना चाहिए। वह बताते हैं कि बढ़ी हुई फीस पर ही एडमिशन हुआ था। फीस कमेटी न बनाने की वजह से हाईकोर्ट ने टेक्निकल ग्राउंड पर फीस रिजेक्ट की थी।

उनका कहना है कि सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेजों को सरकार की ओर से हर वर्ष 43 करोड़ रुपए अनुदान मिलता है। इसके बाद भी वे एक लाख 78 हज़ार रुपए फीस लेते हैं। फिर बिना किसी अनुदान के चलने वाले निजी कॉलेज मात्र 80 हज़ार रुपये फीस के बूते कॉलेज के खर्च कैसे चलाएंगे। वह कहते हैं कि हमने करोड़ों रुपये लगाकर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। मेडिकल कॉलेज की फीस तो बीस लाख रुपये तक है।

गरीब और मध्य वर्ग के बच्चे उच्च शिक्षा कैसे हासिल करेंगे। इस पर डॉ. कम्बोज कहते हैं कि ऐसी स्थिति में सरकार को मदद करनी चाहिए। सवा दो लाख रुपए फीस ज्यादा नहीं है। वह चौथी-पांचवी क्लास के बच्चों की फीस से तुलना करते हैं और कहते हैं कि पांचवी में बच्चे को पढ़ाने के लिए मां-बाप सालाना डेढ़ लाख रुपए तक खर्च कर रहे हैं। हमसे उम्मीद की जा रही है कि हम 80 हज़ार रुपये में पढ़ाएं।

राज्य सरकार का नया आदेश

छात्रों के प्रदर्शन का चौतरफा दबाव पड़ने पर 21 नवंबर की शाम मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में एक बैठक की गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस सम्बन्ध में उच्च न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये भी जरूरी कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही आयुर्वेद छात्रों की फीस नए सिरे से तय करने के लिए स्थायी फीस निर्धारण समिति जल्द गठित करने की बात कही गई। जिसमें नैनीताल हाईकोर्ट के जज को अध्यक्ष पद पर नामित करने के लिए अनुरोध किया गया। बैठक में तय किया गया कि फीस निर्धारण समिति के अनुसार ही आगे की कार्रवाई होगी। इस दौरान निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों से एक महीने के भीतर बढ़ी फीस स्टुडेंट्स को लौटाने को कहा गया।

students protest
protest against patanjali
UTTARAKHAND
ayurved college uttarakhand
Fee Hike
Patanjali
balkrishna
acharya balkrishna
ramdev college
Baba Ramdev

Related Stories

बीएचयू: लाइब्रेरी के लिए छात्राओं का संघर्ष तेज़, ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 

बीएचयू: 21 घंटे खुलेगी साइबर लाइब्रेरी, छात्र आंदोलन की बड़ी लेकिन अधूरी जीत

उत्तराखंड चुनाव: राज्य में बढ़ते दमन-शोषण के बीच मज़दूरों ने भाजपा को हराने के लिए संघर्ष तेज़ किया

‘(अ)धर्म’ संसद को लेकर गुस्सा, प्रदर्शन, 76 वकीलों ने CJI को लिखी चिट्ठी

देहरादून: प्रधानमंत्री के स्वागत में, आमरण अनशन पर बैठे बेरोज़गारों को पुलिस ने जबरन उठाया

उत्तराखंड: NIOS से डीएलएड करने वाले छात्रों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए अनुमति नहीं

उत्तराखंड: विकास के नाम पर 16 घरों पर चला दिया बुलडोजर, ग्रामीणों ने कहा- नहीं चाहिए ऐसा ‘विकास’

मेडिकल छात्रों की फीस को लेकर उत्तराखंड सरकार की अनदेखी

उत्तराखंड: आंगनबाड़ी कार्यकर्ती एवं सेविका कर्मचारी यूनियन का विधानसभा कूच 


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License