NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
मंगलयान, विज्ञान और मोदी
प्रबीर पुरुकायास्थ
27 Sep 2014

इसरो का मंगल मिशन यानी मंगलयान अब मंगल के सबसे करीब आखिरी कक्षा में प्रवेश कर गया है। 650 मिलियन किलोमीटर की यात्रा कर,मंगलयान को लाल गृह के  संपर्क में लाते हुए,24 सितम्बर को अभियान को सफलता मिली। अब वह मंगल ग्रह का चक्कर लगाते हुए अपने अनेक यंत्रो के जरिये, जिसमे एक कलर कैमरा भी शामिल है, कई आकड़ें भेज रहा है। अब हमारे पास मंगलयान द्वारा भेजी गई मंगल ग्रह की रंगीन फोटो भी है। इसरो वैज्ञानिको द्वारा यह ज़ोर देकर कहा गया कि मिशन का मुख्य उद्देश्य मंगल ग्रह के अन्वेषण या उसके वातावरण का वैज्ञानिक अन्वेषण मकसद नहीं है बल्कि एक जटिल अंतर ग्रहीय मिशन है जिसके तहत उसके नेविगेशन, डिजाइन, रिमोट कंट्रोल के रूप में उसके इंजन की फायरिंग शामिल है और उन सभी सभी तत्वों की जांच करना है जो इस तरह के जटिल मिशन में मूल रूप से काम करती है. आदि शामिल है। और अब ये सारे मकसद बिना किसी रुकावट के हासिल कर लिए गए हैं और इसरो को इसके लिए बधाई भी मिलनी चाहिए।

इसरो की कामयाबी की बड़ाई करते हुए हमें ये भी याद रखना चाहिए , कि जब तक भारत जीएसएलवी लांच मशीन, तुषार जनिक इंधन मशीन आदि में सफलता नहीं प्राप्त कर लेता तब तक उसके  पास भारी अंतरिक्ष उपकरण भेजने की क्षमता नहीं रहेगी। पीएसएलवी लांच यान, भारतीय अंतरिक्ष योजना का सबसे सफल अंग सबसे भरोसेमंद तो सिद्ध जरुर हुआ है पर अभी भारी अंतरिक्ष यान भेजने की क्षमता इसमें नहीं है।यही कारण है कि मंगलयान की आकड़ें पैदा करने के वैज्ञानिक क्षमता बेहद सीमित है। क्योंकि इसे भेजने वाली मशीन की क्षमता मात्र १५ किलो थी और इसके कारण यान में लगे उपकरणों की संख्या 5 पर सीमित कर दी गई थी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए की इसरो अपने जीवन के अधिकतर समय में आर्थिक प्रतिबंधो के अन्दर रहा है, और यह उपलब्धि  इसरो की स्वायत्ता, विज्ञान में स्वदेशी क्षमता का प्रतीक है। .

पर एक चीज ने पुरे माहौल में किरकिरी पैदा कर दी और वह है, बंगलौर में इसरो के मुख्यालय से नरेंद्र मोदी का भाषण। जैसे ही मंगलयान ने गृह की कक्षा में प्रवेश लिया, मोदी ने एक लम्बा भाषण देते हुए पुरे मिशन का श्रेय खुद को दे दिया। उन्होंने राजकोट से अपने संबंधो की चर्चा की, जहाँ एक उपकरण के कुछ हिस्सों का निर्माण किया गया था। पर वे इसरो के जनक होमी भाभा जिन्होंने इसरो की नीव राखी, विक्रम साराभाई और सतीश धवन जिन्होंने इसरो को आगे बढाया, आदि का कोई जिक्र नहीं किया। यहाँ तक कि राधा कृष्णन, जो इसरो के वर्तमान अध्यक्ष हैं और जो मोदी के बगल में खड़े थे, उन्हें भी एक शब्द बोलने का अवसर नहीं मिला। वाजपाई को छोड़ कर और किसी राजनीतिग्य का उल्लेख भी नहीं किया गया,नेहरु का भी नहीं जिसने विज्ञान के जरिये ही भारत को उन्नति का रास्ता दिखाया और इसरो का गठन किया। ना ही मनमोहन सिंह का जिक्र किया गया जिसके कार्यकाल में मंगल मिशन की रूपरेखा तय की गई और शुरुआत भी। यह मात्र एक दम्भी और असभ्य भाषण था। एक मसखरे ने कहा कि मंगलयान के इंजन 24 मिनट तक सफलतापूर्वक चलते रहे वहीँ मोदी उससे भी अधिक समय असफल रूप से।   

मंगल मिशन का एक और हिस्सा था भारतीय मीडिया का कट्टर राष्ट्रवाद। इस मिशन को इस तरह बना दिया गया था मानो जैसे कि यह कोई दौड़ हो और भारत पहली ही बार में प्रथम आ गया हो। विज्ञान को एक सामूहिक प्रयास नहीं बल्कि इन्चेओं में चल रहे एशियाड खेलो की एकल प्रतियोगिता में बदल दिया गया। इसमें कोई शक नहीं है कि इसरो ने बड़ी सफलता हासिल की है, पर इसे अनेक परिदृश्यों में देखना चाहिए। कई अनेक मंगल मिशन और हैं।जिसमे नासा का क्यूरोसिटी और अपारच्युनिटी जो मंगल की साथ पर घूम रहे हैं, यूरोपियन अंतरिक्ष संस्थान के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर, मार्स रिकोन्नैस्सं और मार्स ओडिसी भी शामिल हैं। इसरो के मंगल यान के अलावा नासा के मैवेन को भी मंगल की कक्षा में स्थापित किया गया है। और मंगल के बारे में और अधिक जानकारी और आकड़ें हमें इन सभी वर्तमान और पुराने मिशनो से प्राप्त होगी केवल “हमारे” मंगलयान से नहीं। हाँ, मंगलयान ने अनेक और दरवाजे जरूर खोल दिए हैं पर प्रतियोगिता में नहीं, सहयोग में।

इसरो के मंगलयान और नासा के मैवेन ने अब आकड़ें भेजने भी शुरू कर दिए हैं। मंगलयान के दो रंगीन चित्रों में, एक में मंगल का वायुमंडल दिख रहा है तो दुसरे चित्र में मंगल की सतह जिसमे ज्वालामुखी के कारण बड़े आकर के सुराख़ दिख रहे हैं। मैवेन के अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रोस्कोपी चित्रों के जरिये ग्रह  के वायुमंडल में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन की मौजूदगी दिख रही है। हाइड्रोजन के कण ऊपर की तरफ बढ़ रहे हैं वही भारी ऑक्सीजन के कण सतह पर हैं।

मंगलयान के कैमरे द्वारा ली गई चित्र में दिखता वायुमंडल, जिससे 8,449 किलोमीटर की उचाई से लिया गया है।

मंगल के सतह की तस्वीर जिसे 7,300 किलोमीटर की उचाई से लिया गया है।

मैवेन द्वारा भेजी गई तस्वीर में मंगल के अल्ट्रावायलेट तरंगो के तीन चित्र, चौथे चित्र में बाकि तीन चित्रों का संगम दिख रहा है। दाहिनी ओर नीचे चमकता क्षेत्र या तो पोलर बर्फ या बादलों के कारण चमकती रौशनी है।

क्या मंगलयान, ग्रह में जीवन से जुड़ी पहेली को सुलझा पायेगा? जो टीवी में समाचार पढ़ रहे लोगो को ध्यान से सुन रहे थे जिसमे यह कहा जा रहा था कि मंगलयान जीवन खोजेगा, उन्हें थोड़ी निराशा हाँथ लगेगी। मंगलपर जीवन खोजने की उम्मीद लगभग निम्न है। हम यह खोज रहे हैं कि शायद ऐसी किसी जीवन की कड़ी हाँथ लग जाए जो कभी मंगल पर रहा करती थी, और जो गायब हो गई हैं, वायुमंडल में मौजूद पानी के साथ। इसलिए यान में लगा मीथेन नापने वाला यंत्र उपयोगी है। मीथेन की खोज से यह साबित किया जा सकता है कि मंगल की सतह पर बैक्टीरिया हो सकते हैं, क्योंकि मीथेन इन बैक्टीरिया का संभावित चिन्हक हो सकता है। वैसे मीथेन का भूगर्भीय क्रिया होने की सम्भावना जीवित है, अगर मंगलयान वायुमंडल की उपरी सतह में मीथेन खोजने में सफल होता है तो। यह निश्चित ही एक महत्वपूर्ण खोज हैI

अनुवाद- प्रांजल

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

 

एस्कपे वेलोसिटी
ग्रेविटी
जीएसएलवी
इसरो
मंगलयान
मंगल
नरेन्द्र मोदी
नासा.पीएसएलवी
अंतरिक्ष

Related Stories

मोदी का अमरीका दौरा और डिजिटल उपनिवेशवाद को न्यौता

गुजरात की पर्दापोशी करने के लिए कुपोषण सर्वे के आंकड़े दबाए

विकसित गुजरात की कुपोषित सच्चाई

रक्षा ढांचे में व्याप्त असुरक्षा

परमाणु दायित्व कानून और अंकल सैम की मनमानी

संघी मिथक का विज्ञान पर प्रहार

आईपी पर समर्पण: कभी वापस न लौटने की तरफ


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License