NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
राजनीति
'मॉडल' गुजरात में दलितों की बदतर जिंदगी
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के 19 वर्षों के निर्बाध शासन के बाद भी दलित समुदायों की स्थिति चिंताजनक है।
पृथ्वीराज रूपावत
02 Dec 2017
गुजरात दलित

नवसृजन ट्रस्ट नामक एक ग़ैर-सरकारी संगठन 15 अगस्त 2017 को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी को यह सुनिश्चित करने के लिए एक ज्ञापन देना चाहता था कि वह वर्ष 2047 तक राज्य में कम-से-कम एक गांव को 'छुआछूत मुक्त' घोषित करें। रुपानी के पास उनसे मिलने का समय नहीं था और संगठन के सदस्यों ने यह ज्ञापन गांधीनगर के कलेक्टर को एक विशाल राष्ट्रीय ध्वज के साथ सौंप दिया। नवसृजन ने पहले 'छुआछूत प्रथा' को लेकर गुजरात के 14 जिलों में एक सर्वेक्षण किया था और पाया कि इस तरह के 98 प्रकार की प्रथाएँ अभी भी मौजूद हैं। ये सर्वेक्षण 2007 से 2010 के दौरान किया गया था।

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के 19 वर्षों के निर्बाध शासन के बाद भी दलित समुदायों की स्थिति चिंताजनक है और इस औद्योगिक और विकसित राज्य में अभी भी मध्ययुगीन रीति-रिवाज क़ायम है। राज्य में दलित अधिकांश कृषि मजदूर और छोटे/सीमांत किसान हैं और शहरी अर्थव्यवस्थाओं के निचले पायदान पर हैं। और वे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अकथनीय क्रूरता का लगातार सामना कर रहे हैं।

राज्य में बीजेपी शासन के अधीन अनुसूचित जातियों के लोगों के खिलाफ अपराध/अत्याचार की घटनाओं में वृद्धि हुई है। दलितों के खिलाफ अपराधों की घटनाओं के मामले में 2002 से 2005 के बीच सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में गुजरात आठवां स्थान पर रहा था, जबकि हाल में जारी किए गए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ 2016 में 5 वें स्थान पर पहुंच गया। इस श्रेणी में कुल संज्ञेय अपराधों की दर 32.5% रही जबकि भारत में 20.3% दर्ज की गई। यह राज्य में दलितों के निरंतर उत्पीड़न का एक स्पष्ट संकेत है।

हाल के दिनों में दलितों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं राज्य भर में व्यापक रूप से सामने आई हैं। कुछ महीने पहले दलित युवक द्वारा अपनी पसंद का स्टाइलिश मूंछ रखने को लेकर ऊंची जाति के लोगों द्वारा हमला करने का मामला सामने आया था। विरोध में सैकड़ों दलितों ने ‘Mr. Dalit’ नाम से सोशल मीडिया अभियान चलाया है जिसके ज़रिए वे ट्विटर और व्हाट्सएप पर स्टाइलिश मूंछों की तस्वीरों को शेयर किया।

जुलाई 2016 में राज्य ने ऊना में हुई घटना पर दलित समुदायों के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। ऊना घटना में चार युवा दलित पुरुषों को एक कार से बांध कर उन्हें उच्च जाति के लोगों द्वारापीटे जाना का मामला सामने आया था। दलित युवकों को कथित तौर पर गाय की हत्या के मामले में प्रताड़ित किया गया था। ये दलित युवक वास्तव में प्राकृतिक रूप से मरे गाय का शव हटा रहे थें।याद रखें कि यह दलित जाति का एक पारंपरिक व्यवसाय है और वास्तव में यह काम पशु शवों के समुचित और सुरक्षित निपटान के लिए जरूरी है जो कि कोई भी करने को तैयार नहीं है। कथित गौरक्षकों द्वारा दलितों के खिलाफ किए गए इन हमलों से दलितों के बीच बेहद नाराज़गी है और असंतोष का कारण बन गया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद स्वघोषित 'गौरक्षकों' की गाय-संबंधी हिंसा बढ़ गई है। मई 2014 से अब तक इस तरह की क़रीब 68 घटनाएँ हुईं हैं।

वकील और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच और ऊना दलित अत्याचार लड़ाई समिति के संयोजक जिग्नेश मेवानी गुजरात में ऊना घटना के बाद दलित आंदोलन के अग्रदूत बन कर सामने आए। हर भूमिहीन दलित को पांच एकड़ जमीन का वितरण उनकी प्रमुख मांग है। साथ ही, वह गुजरात हाईकोर्ट में राज्य में कृषि भूमि सीलिंग अधिनियम के उचित कार्यान्वयन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के भूमिहीन लोगों को 56,873 एकड़ से अधिक भूमि का उचित आवंटन है। दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों में मेवानी ने उत्तर गुजरात के वडदाम निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन परचा दाख़िल किया है।

इन सभी घटनाओं में दिखाई देने वाला नया क्रोध आने वाले चुनावों में बीजेपी की संभावनाओं के लिए बेहतर नहीं है। अगर यह संघटित हो जाता है तो सत्तारूढ़ दल को एक और झटका दे सकता है जो गुजरात में सत्ता बनाए रखने के लिए काफ़ी जोर लगा रहा है। बीजेपी ने गुजरात को अक्सर 'विकास के मॉडल' के रूप में प्रस्तुत किया है। 

Dalit atrocities
Gujrat model
gujarat elections 2017

Related Stories

आर्टिकल 15 : लेकिन राजा की ज़रूरत ही क्या है!

100 से ज़्यादा फिल्मकारों की भाजपा को वोट न देने की अपील

हमारा समाज भिन्न-भिन्न स्तरों पर महिलाओं और दलितों के खिलाफ पूर्वागृह रखता है - एक नया अध्ययन

‘राम’ बनाम ‘हज’ : गुजरात में असंतोष दबाने के लिए पुन: साम्प्रदायिक ज़हर फैलाने की भाजपा की साजिश


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License