NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
राजनीति
मर गया देश, अरे जीवित रह गये तुम!!
मुक्तिबोध को आज याद करने का सबसे बेहतर तरीका है कि उनकी सबसे ज़रूरी कविता ‘अंधेरे में’ आज दिन के उजाले में घर, कॉलेज या चौराहे पर बा-आवाज़-ए-बुलंद पढ़ी जाए।
न्यूज़क्लिक टीम
13 Nov 2018
Muktibodh
मुक्तिबोध का यह प्रसिद्ध तैलचित्र मशहूर पेंटर हरिपाल त्यागी ने 1984 में बनाया था। साभार

हिन्दी के प्रमुख कवि गजानन माधव मुक्तिबोध का आज जन्मदिन है। 101वां जन्मदिन यानी सौवीं सालगिरह। 13 नवंबर, 1917 को उनका जन्म मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िला के श्योपुर कस्बे में हुआ था। 
उन्हें किस तरह याद किया जाए? 
एक तरीका तो यही है कि उनके बारे में बात की जाए। उनकी कविताएं-कहानी, लेख नये सिरे से पढ़े और पढ़ाए जाएं, समझे और समझाए जाएं। 
आज सबसे अहम तो ये किया जाए कि ‘चांद का मुंह टेढ़ा है’, ‘एक साहित्यिक की डायरी’ या ‘सतह से उठता आदमी’ या ‘विपात्र’ को अपनी किताबों की अलमारी से निकालकर फिर देखा-परखा जाए और फिर अपने दोस्तों, परिजनों या पड़ोसियों को पढ़ने के लिए दे दिया जाए। 
और ये सब करते हुए खुद से और औरों से पूछा जाए कि “पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?” 
इस कड़ी में एक काम सबसे पहले किया जाए कि उनकी सबसे ज़रूरी कविता ‘अंधेरे में’ आज दिन के उजाले में घर, कॉलेज या चौराहे पर बा-आवाज़-ए-बुलंद पढ़ी जाए। आइए इसका एक टुकड़ा हम भी पढ़ते हैं, आपके साथ।

"ओ मेरे आदर्शवादी मन, 
ओ मेरे सिद्धान्तवादी मन, 
अब तक क्या किया? 
जीवन क्या जिया!! 

उदरम्भरि बन अनात्म बन गये, 
भूतों की शादी में क़नात-से तन गये, 
किसी व्यभिचारी के बन गये बिस्तर, 

दुःखों के दाग़ों को तमग़ों-सा पहना, 
अपने ही ख़यालों में दिन-रात रहना, 
असंग बुद्धि व अकेले में सहना, 
ज़िन्दगी निष्क्रिय बन गयी तलघर, 
अब तक क्या किया, 
जीवन क्या जिया!! 
बताओ तो किस-किसके लिए तुम दौड़ गये, 
करुणा के दृश्यों से हाय! मुँह मोड़ गये, 
बन गये पत्थर, 
बहुत-बहुत ज़्यादा लिया, 
दिया बहुत-बहुत कम, 
मर गया देश, अरे जीवित रह गये तुम!! 
लो-हित-पिता को घर से निकाल दिया, 
जन-मन-करुणा-सी माँ को हंकाल दिया, 
स्वार्थों के टेरियार कुत्तों को पाल लिया, 
भावना के कर्तव्य--त्याग दिये, 
हृदय के मन्तव्य--मार डाले! 
बुद्धि का भाल ही फोड़ दिया, 
तर्कों के हाथ उखाड़ दिये, 
जम गये, जाम हुए, फँस गये, 
अपने ही कीचड़ में धँस गये!! 
विवेक बघार डाला स्वार्थों के तेल में 
आदर्श खा गये! 

अब तक क्या किया, 
जीवन क्या जिया, 
ज़्यादा लिया और दिया बहुत-बहुत कम 
मर गया देश, अरे जीवित रह गये तुम..."

Gajanan Madhav Muktibodh
मुक्तिबोध
hindi poet
hindi poetry
हिन्दी कवि
हिन्दी कविता
Andhere me

Related Stories

इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय में 9 से 11 जनवरी तक अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन

गोरख पाण्डेय : रौशनी के औजारों के जीवंत शिल्पी

‘वीरेनियत-3’ में कवि देवी प्रसाद मिश्र

"ज़र्द पत्तों का बन, अब मेरा देस है…"


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License