NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
आंदोलन
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
#metoo : कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर मंत्रियों के समूह का पुनर्गठन
तीन दिन पहले एक आरटीआई में ये सामने आया था कि ये कमेटी ख़त्म कर दी गई थी। उस आरटीआई के तीन दिन बाद, इस कमेटी का पुनर्गठन किया गया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 Jul 2019
Metoo
image courtsty:Livemint

सरकार ने कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने और कानूनी ढांचे को मजबूत करने के मुद्दों को देखने वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) का पुनर्गठन किया है। इसमें गृह मंत्री अमित शाह ने अपने पूर्ववर्ती राजनाथ सिंह की जगह ली है।

 

अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि पुनर्गठित मंत्रियों के समूह के अन्य सदस्यों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी शामिल हैं।

 

बता दें कि दो दिन पहले The Quint ने एक आरटीआई दायर की थी जिसमें पता चला था कि इस कमेटी को ख़त्म कर दिया गया है। उस आरटीआई के तीन दिन बाद यानी आज, इस कमेटी का गठन किया गया है।

इसे भी पढ़ें: #metoo :जिन पर इल्ज़ाम लगे वो मर्द अब क्या कर रहे हैं?

मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा पिछली सरकार में इस मुद्दे पर गठित मंत्रियों के समूह में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी शामिल थीं।

 

मंत्रियों के समूह का गठन अक्टूबर 2018 में कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने और उससे निपटने के लिए कानूनी एवं सांस्थानिक ढांचे को मजबूत करने के वास्ते अनुशंसाएं करना है।


गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘चुनाव के बाद नयी सरकार के गठन के साथ ही मंत्रियों के समूह ने पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया और वह उनसे मिले कई सुझावों का अध्ययन कर रहा है।’’

 

(भाषा से इनपुट के साथ)

#metoo
#MeToo Moment In India
metoo moement
sexual harassment
sexual harassment at workplace
violence against women
phantom films
Social Media
trolling
bullying
harasser men

Related Stories

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर कांड से लेकर गायघाट शेल्टर होम तक दिखती सिस्टम की 'लापरवाही'

यूपी: बुलंदशहर मामले में फिर पुलिस पर उठे सवाल, मामला दबाने का लगा आरोप!

दिल्ली गैंगरेप: निर्भया कांड के 9 साल बाद भी नहीं बदली राजधानी में महिला सुरक्षा की तस्वीर

जेएनयू में छात्रा से छेड़छाड़, छात्र संगठनों ने निकाला विरोध मार्च

असम: बलात्कार आरोपी पद्म पुरस्कार विजेता की प्रतिष्ठा किसी के सम्मान से ऊपर नहीं


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License