NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मोदी अकेले नहीं :  सभी ‘दक्षिण-पंथी सत्तावादी’ कोविड-19 से निपटने में बुरी तरह विफल साबित हुए
अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षणों एवं विभिन्न अध्ययनों में कोविड-19 की पहली लहर से निपटने के मामले में नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन को कमजोर पाया गया था। दूसरी लहर के प्रबंधन का मूल्यांकन और भी बदतर रहने वाला है।
पी. रमण
08 Jun 2021
मोदी अकेले नहीं :  सभी ‘दक्षिण-पंथी सत्तावादी’ कोविड-19 से निपटने में बुरी तरह विफल साबित हुए
तस्वीर साभार: बीजेपी/ट्विटर

राजनीतिक वैज्ञानिकों और लोकतंत्र के पहरुओं ने लोकलुभावन एवं निर्वाचित निरंकुशों के प्रदर्शन पर व्यापक अध्ययन का काम किया है — पहले कोरोना उभार के दौरान वी-डेम द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इसी शब्द का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने निष्कर्ष निकाला था कि मोदी सहित सभी दक्षिणपंथी ‘सांस्कृतिक’ लोकलुभावनवादियों के नेतृत्व वाले देशों में महामारी से निपटने में उनका प्रदर्शन बद से से बदतर रहा था।

पश्चिमी विश्लेषकों द्वारा आम तौर पर निर्वाचित सत्तावादियों को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है। एक दक्षिणपंथी लोकलुभावनवादी जो सांस्कृतिक तौर पर विभाजनकारी मुद्दों के बल पर पनपते हैं और दूसरे वामपंथी या सत्ता-प्रतिष्ठान विरोधी समूह, जो सामाजिक आर्थिक कार्यसूची को उठाते हैं। पश्चिमी नैरेटिव के मुताबिक, दक्षिणी अमेरिका की वेनेजुएला और क्यूबा जैसी अमेरिका विरोधी सरकारों का नेतृत्व इन ‘करिश्माई मजबूत नेताओं’ के हाथों में है।

पश्चिमी विश्लेषकों द्वारा हालिया अध्ययनों में पाया गया कि वामपंथी लोकलुभावन के पास कुल मिलाकर महामारी से निपटने का एक बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। उनमें से अधिकांश ने बेहद शीघ्रता से कार्यवाही की और तत्काल उपायों को अपनाया। इसके विपरीत, मोदी सहित सभी दक्षिणपंथी लोकलुभावनवादी कोविड-19 को रोक पाने में बुरी तरह से असफल साबित रहे।

2020 के एक अध्ययन में 17 लोकलुभावन नेताओं द्वारा कोविड-19 की प्रतिक्रिया में, संयुक्त राज्य अमेरिका में टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट के ब्रेट मायेर ने नरेंद्र मोदी को फिलीपींस के रोड्रिगो दुतेर्ते और हंगरी के विक्टर ओर्बन की श्रेणी में रखा था। अध्ययन किये गये 17 लोकलुभावन नेताओं में से पांच दक्षिणपंथी सांस्कृतिक लोकलुभावनवादी नेता हैं, जिनमें मोदी के मामले में विभाजनकारी हिंदुत्व भी शामिल है। अध्ययन में पाया गया है कि सभी पाँचों ने संकट को कम करके आंका था, जबकि सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी लोकलुभावनवादियों ने महामारी को गंभीरता से लिया है और त्वरित उपायों को प्रयोग में लाने का काम किया है।

ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पैट्रिक हेलर ने पाया कि जिन देशों का नेतृत्व निरंकुश व्यक्तियों द्वारा किया गया जैसे कि अमेरिका में (पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तहत), ब्राज़ील और भारत जैसे देश कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सबसे निराशाजनक प्रदर्शन करने वालों में से रहे हैं। ट्रम्प, बोल्सोनारो और मोदी जैसे लोग ‘जी-हुजूरी’ करने वाले लोगों से घिरे रहते हैं। वे कहते हैं है कि मसीहाई लोकलुभावनवाद, सामाजिक (सांप्रदायिक) ध्रुवीकरण, असुरक्षा की भावना एवं केन्द्रीयकरण के विषाक्त संयोजन ने उनके नेतृत्व में महामारी को बदतर बना डाला है।

चार्ल्स डार्विन विश्वविद्यालय की जोनाथन ए. लासो और मिरांडा बूथ लोकलुभावन नेताओं के बीच में कुछ साझी विशिष्टताओं को पाते हैं। ये उनके विज्ञान के प्रति आशावादी पूर्वाग्रह, लापरवाही, अस्पष्टता और अज्ञानता में में दिखती हैं। यह लोकलुभावन ताकतवर पुरुषों को उभरते संकटों का प्रबंधन करने के लिए अयोग्य बनाता है। लोकलुभावन सरकारें विज्ञान को चुप करा देने के लिए बदनाम हैं। अध्ययन कहता है कि, ऐसा इसलिए है क्योंकि साक्ष्य-आधारित नीति उनके सार्वजनिक नीति के दृष्टिकोण से मेल नहीं खाती हैं।

इसके अलावा, एसोसिएटेड प्रेस (एपी) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण कहा गया है कि जो देश कोविड-19 मौतों के मामले में शीर्ष स्थान पर हैं, वे सभी ‘लोकलुभावन, सांचों को तोड़ने वाले’ नेताओं के नेतृत्व के तहत हैं। सर्वेक्षण में वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक इंटर-अमेरिकन डायलाग के अध्यक्ष माइकल शिफ्टर के हवाले से कहा गया है कि “लोकलुभावन नेता अपनी प्रकृति में विशेषज्ञों और विज्ञान के प्रति तिरस्कार का भाव रखते हैं, क्योंकि इन्हें सत्ता-प्रतिष्ठान के हिस्से के तौर पर देखने की उनकी प्रवित्ति रहती है।”

पैट्रिक हेलर के सिवाय बाकी सभी अध्ययनों में, जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, 2020 के पहले कोविड उभार से संबंधित हैं, जब भारत के प्रदर्शन को बेहतर माना गया था। यह वह समय था जब नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी अपनी-अपनी टीका मैत्री और विश्वगुरु की डींग हांकने की खुमारी में मस्त थे। लेकिन अब कोरोना के दूसरे उभार के मूल्यांकन में जब भारत ने सभी देशों में हुई दैनिक मौतों में सबसे अधिक की सूचना दी है, तो इसका और भी अधिक बदतर होना अवश्यंभावी है।

पी. रमण एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और ट्रिस्ट विद स्ट्रांग लीडर पॉपुलिज़्म: हाउ मोदीज हाइब्रिड रिजीम मॉडल इज चेंजिंग पोलिटिकल नैरेटिव, इकोसिस्टम एंड सिम्बल्स के लेखक हैं। व्यक्त किये गये विचार व्यक्तिगत हैं।

अंग्रेजी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

Modi Not Alone: All ‘Right-wing Authoritarians’ Fared Badly in Tackling Covid-19

Narendra modi
COVID19
Second Wave
Populism
right wing politics
Rodrigo Duterte
Donald Trump
Coronavirus

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License