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भारत
राजनीति
खंभात दंगों की निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए मुस्लिमों ने गुजरात उच्च न्यायालय का किया रुख
याचिका के मुताबिक पुलिस कथित तौर पर हिंदुओं और मुस्लिमों के द्वारा दायर की गई प्राथमिकियों पर जानबूझकर अलग-अलग तरीके से और दुर्भावनापूर्ण तरीके से जांच कर रही है।
दमयन्ती धर
12 May 2022
Khambhat

गुजरात के आणंद जिले में खंभात के मुस्लिम रहवासियों ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर कहा है कि 10 अप्रैल को रामनवमी के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के वे पीड़ित पक्ष हैं। याचिका को चार मुस्लिम निवासियों - वसीमभाई वोरा (35), इम्तियाजभाई वोरा (41), शाकिरहुसैन शैख (35), और इस्माइलभाई वोरा (65) के द्वारा दायर किया गया है, जिनके घर और दुकानें इस घटना में क्षतिग्रस्त कर दिए गये हैं।

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि मामले की जांच को या तो राज्य सीआईडी को स्थानांतरित कर दिया जाय या इसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सुपुर्द कर दिया जाए। उनका दावा है कि स्थानीय पुलिस ने अभी तक हिंसा के बाद दर्ज की गई दो प्राथमिकियों में से सिर्फ एक की ही जाँच पर अपनी तत्परता दिखाई है और यह वह है जिसे इलाके के हिन्दुओं के द्वारा दायर किया गया।

अदालत से हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका में लिखा है, “पुलिस ने अपने धार्मिक पूर्वाग्रह को प्रदर्शित किया है। पुलिस ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भीड़ को उकसाने का काम किया था।” याचिका में मांग की गई है कि “दोनों प्राथमिकियों के संबंध में गैर-पारदर्शी, अनुचित, भेदभावपूर्ण व्यवहार के लिए जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय, नागरिक एवं आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाये।”

याचिकाकर्ताओं के द्वारा दायर दूसरी प्राथमिकी में नामित आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की भी मांग की है, जो रामनवमी शोभायात्रा का नेतृत्व कर रहे थे। उनका कहना है कि “दृश्य मीडिया की उपलब्धता के बावजूद, जांच को सुचारू एवं संतोषजनक ढंग से नहीं चलाया जा रहा है।”

याचिका में कहा गया है कि “इस घटना के बाद 10 अप्रैल के दिन खंभात सिटी पुलिस थाने में दो प्राथमिकी दर्ज की गई थी।” याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि अभी तक जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वे सभी लोग समाज के एक ही वर्ग से संबंधित हैं, अर्थात अल्पसंख्यक हैं, और यह कि “जांच को धार्मिक पूर्वाग्रह के आधार पर एकतरफा चलाया जा रहा है।”

याचिका में आगे कहा गया है कि क्षेत्र के मुसलमानों के द्वारा दायर की गई दूसरी प्राथमिकी पर अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। इसमें आगे कहा गया है कि हिंसा के परिणामस्वरूप चार गुमटी नुमा दुकानों, एक दूकान, एक इमारत और एक घर को लूटा और जला दिया गया और समाज के एक वर्ग की भावनाओं को आहत करने के लिए एक दरगाह को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि पहली प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 149 (गैरक़ानूनी रूप से एकत्रित होना), 147 (दंगा करना), 337, 338 (तैश या लापरवाही से हुई चोट या गंभीर चोट), 307 (हत्या का प्रयास), 332 (लोक सेवक को स्वैच्छिक चोट), 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), और 302 (हत्या) के तहत प्रथिमिकी दर्ज की गई थी। इस प्राथमिकी पर अपनी जांच के दौरान आणंद पुलिस ने 30 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं।

दूसरी प्राथमिकी को प्रारंभ में 27 अप्रैल को दर्ज किया गया था। इसमें आईपीसी की धारा 143, 149 (गैरक़ानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा करने), 337 (जल्दबाजी या बेध्यानी में चोट पहुंचाने का कृत्य) और 504 (सार्वजनिक शांति को भंग करने के लिए जानबूझकर उकसाने का कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में जाकर आईपीसी की धारा 435, 436 (शरारतपूर्ण आगजनी), 447 (आपराधिक अतिक्रमण) और 427 (पचास रूपये या उससे अधिक की राशि के नुकसान को जानबूझकर करने का कृत्य) के तहत अपराधों को प्रथिमिकी में जोड़ा गया था। इस प्राथमिकी की जाँच को स्थानीय पुलिस के द्वारा किया जाना अभी बाकी है।

खंभात के मुस्लिम निवासियों की तरफ से चार याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि, “पहली एफआईआर  प्राथमिकी के आधार पर तो रोज-ब-रोज एक नई गिरफ्तारी की जा रही है, जबकि दूसरी एफआईआर पर कोई कार्यवाई नहीं की जा रही है। वही पुलिस दोनों एफआईआर पर तहकीकात कर रही है और जानबूझकर, सुविचारित तरीके से और दुर्भावनापूर्ण तरीके से, दूसरी एफआईआर से उत्पन्न होने वाले अपराधों पर कोई कार्यवाई नहीं कर रही है। ऐसे में यह जांच पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण, साफ़-साफ़ मनमानेपूर्ण ढंग से, और अत्यंत भेदभावपूर्ण है।”

खंभात शहर से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित शक्करपुर में पटेलों का प्रभुत्व है और करीब 1000 घरों में से सिर्फ 200-250 मुस्लिम परिवार ही हैं जो गाँव के एक छोर पर रहते हैं।

10 अप्रैल को गाँव में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति तब देखने को मिली थी जब रामनवमी के अवसर पर एक रैली गाँव के मुस्लिम बहुल हिस्से से होकर गुजरी, वहां पर रुकी। स्थानीय दरगाह के सामने जोर-जोर से भड़काऊ संगीत बजाया गया।

दंगों के बाद जाकर आणंद पुलिस हरकत में आई और उसने गाँव के मुस्लिम युवाओं को हिरासत में लेकर दावा किया कि यह हिंसा एक ‘पूर्व नियोजित साजिश’ थी और स्थानीय स्लीपर सेल माड्यूल को “विदेशों से वित्तपोषित” किया जा रहा था। इन्हें मौलवियों द्वारा सक्रिय किया गया था।

आणंद जिले के पुलिस अधीक्षक अजीत राजियान ने 13 अप्रैल को आयोजित एक संवावदाता सम्मेलन में कहा, “खंभात में रामनवमी की रथयात्रा के दौरान, पथराव और आगजनी की एक घटना हुई जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हुए थे। इसकी जांच के लिए एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था, जिसमें मामले की जाँच के लिए साइबर विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। मुख्य आरोपी, रज्जाक हुसैन पटेल मौलवी पास की दरगाह से है। उसे यात्रा के लिए पुलिस की इजाजत के बारे में पता चला और और उसने यह सारी साजिश रची। यह पूरी तरह से पूर्व-नियोजित था और उनकी योजना के मुताबिक, दंगों से ठीक एक दिन पहले आरोपियों ने सांप्रदायिक अशांति को पैदा करने की अपनी योजना को अंजाम देने के लिए अपने परिवार के लोगों को दूसरे स्थानों पर भेज दिया था। उनका मकसद इस बात को सुनिश्चित करना था कि भविष्य में इस प्रकार की कोई यात्रा न हो सके। हमने इससे संबंधित चैट, ऑडियो रिकॉर्डिंग और संदेशों को बरामद कर लिया है।”

15 अप्रैल को, मुस्लिम पुरुषों की गिरफ्तारी के दो दिन बाद, अतिक्रमण विरोधी अभियान में शक्करपुर में मुसलमानों से संबंधित कई दुकानों को जमींदोज कर दिया गया था, और कई अन्य लोगों को बेदखली के नोटिस थमा दिए गए।

खंभात में एक मुस्लिम की दुकान पर अतिक्रमण विरोधी अभियान का नोटिस

पुलिस के द्वारा गिरफ्तारियों के बाद, शक्करपुर के मुस्लिम पुरुष महिलाओं, बच्चों और मुट्ठीभर बूढों को पीछे छोड़कर गाँव से भाग गए। महिलाओं का दवा है कि इसके बाद से ही उन्हें गाँव के भीतर सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है और अपने बच्चों और खुद को खिलाने के लिए उन्हें विभिन्न मुस्लिम संगठनों से दान में मिलने वाले भोजन पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Muslims Move Gujarat High Court Demanding Fair Probe Into Khambhat Riots

Khambhat
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Hindu Muslim Riot
Communal Riot
Ram Navami Violence

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