NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नासिक में 25000 किसानों ने किया विरोध प्रदर्शन , सरकार को दी चेतावनी
उनकी यह माँग भी है कि सरकार उन्हें एक हेक्टेयर ज़मीन पर 50,000 रुपये का मुआवज़ा दे। किसान पानी की तात्कालिक सुविधा देने और मवेशियों के लिए चारे की माँग कर रहे हैं। सूखे की वजह से किसान और खेत मज़दूर बेरोज़गार हो गए हैं यही वजह है कि उनकी माँगों में रोज़गार की माँग भी शामिल है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Nov 2018
farmers protest

कृषि संकट के गहरे होने के साथ ही महाराष्ट्र के किसानों का संघर्ष भी तेज़ होता जा रहा है। 14 नवंबर, शनिवार को महाराष्ट्र के नासिक के किसानों ने फिर एक विरोध प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले नासिक के गोल्फ क्लब से अंबेडकर स्टेचू तक मार्च निकाला, जिसमें किसान 25,000 मौजूद थे।

दरअसल, नासिक इलाके के किसान इस समय सूखे की मार को झेल रहे हैं। किसानों की माँग है कि सरकार इस इलाके को सूखा ग्रस्त घोषित करे और उन्हें राहत प्रदान करे। उनकी यह माँग भी है कि सरकार उन्हें एक हेक्टेयर ज़मीन पर 50,000 रुपये का मुआवज़ा दे। किसान पानी की तात्कालिक सुविधा देने और मवेशियों के लिए चारे की माँग कर रहे हैं। सूखे की वजह से किसान और खेत मज़दूर बेरोज़गार हो गए हैं यही वजह है कि उनकी माँगों में रोज़गार की माँग भी शामिल है।

किसान नेताओं का कहना है कि इलाके में भू-जल स्तर बहुत गिर गया है और कुएँ सूख गए हैं। इस वजह से खरीफ की फसल खराब हो गयी है और बारिश की कमी की वजह से रबी के मौसम की फसलों पर भी असर पड़ा है।

किसान मार्च का नेतृत्व किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धावले, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायक जे पी गवित और किसान सभा के दूसरे नेताओं ने किया। सभी नेताओं ने अपनी बात रही और ज़िला कलेक्टर को माँगपत्र दिया।

नासिक के किसान पश्चिम से जाने वाली नदियों के पानी को रोककर उसे मराठवाड़ा की ओर संचालित करने की माँग भी कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि मराठवाड़ा के किसानों लगातर सूखे से प्रभावित रहे हैं, इसीलिए इस तरह की योजना सरकार को लागू करनी चाहिए।

इन माँगों के अलावा किसान अपनी पुरानी माँगों पर टिके हुए हैं। जिनमें कर्ज़ माफी, जंगल की ज़मीन के पट्टे और लागत का डेढ़ गुना दाम आदि माँगें शामिल हैं।

कुछ ही दिन पहले किसान सभा ने मुंबई में इन्हीं मुद्दों को लेकर एक अधिवेशन किया था। 12 नवंबर को हुए इस अधिवेशन में किसान सभा और माकपा के नेताओं के अलावा राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी के शरद पवार और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान भी शामिल हुए। नेताओं ने मौजूदा सरकार के खिलाफ भाषण दिये और कहा कि लोकसभा चुनावों में इस किसान विरोधी सरकार को हटाने का काम करेंगे। इस अधिवेशन में महाराष्ट्र के 23 ज़िलों से आए 5,000 किसान शामिल हुए।

किसान सभा ने इस बार के संसद सत्र में किसानों के हक़ में दो बिल पास करने की माँग की है। इन बिलों के ज़रिये किसान कर्ज़ माफी और लागत का डेढ़ गुना दाम पाने का प्रयास कर रहे हैं। यहाँ मार्च महीने में हुए नासिक से मुंबई के ऐतिहासिक किसान लॉन्ग मार्च पर एक फिल्म भी दिखाई गयी।

अक्टूबर में पालघर और ठाणे में किसानों ने ज़ोरदार आंदोलन किया और उनकी कई माँगों को मनवाया था। माकपा के नेतृत्व में 10 से 13 अक्टूबर तक किसानों ने सात तहसीलों का घेराव किया था। वह बुलेट ट्रेन परियोजना, मुंबई-वडोदरा हाईवे और नदी जोड़ने की योजना के खिलाफ थे और वन अधिकार अधिनियम के लागू किये जाने की माँग कर रहे थे। साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार के बाकी स्थानीय मुद्दों को भी पार्टी उठा रही थी। 

इस प्रदर्शन के बाद सरकार ने वन अधिनियम 2006 के तहत आदिवासी किसानों को जंगल ज़मीन के पट्टे देने का आदेश दिया। साथ ही राशन कार्ड बनवाने और दूसरी माँगों को भी माना गया। लेकिन ज़मीन के पट्टे अब तक नहीं मिले हैं।

इस साल मार्च के महीने में हुए किसान लॉन्ग मार्च, जिसमें 40,000 से ज़्यादा किसान शामिल थे, के बाद किसान लगातार अपनी माँगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह सभी उन्हीं प्रदर्शनों की कड़ी हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए देश भर के किसान 29 नवंबर को दिल्ली में पैदल चलकर आएंगे। इस मार्च को किसान मुक्ति मार्च कहा जा रहा है।

किसान सभा के नेता अशोक धावले ने कहा है कि "महाराष्ट्र सरकार ने मार्च में हुए लॉन्ग मार्च के समय जो माँगे मानी गयी थी, उन्हें ठीक ढंग से लागू नहीं किया गया है। किसान सभा छोटे और माध्यम किसानों के लिए पूरी कर्ज़ माफी की माँग की थी, लेकिन कर्ज़ माफी पूरे तरीके से नहीं की है। साथ ही ज़मीन के पट्टे की माँग और न्यूनतम समर्थन मूल्य की माँग भी नहीं मानी गयी है।"

Maharashtra
farmer's mahapadav
nasik
Farmer protest
farmers march
AIKS
CPIM

Related Stories

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया

महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया

पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा

श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर


बाकी खबरें

  • श्रुति एमडी
    किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप
    18 May 2022
    खनन की अनुमति 3 फ़ीट तक कि थी मगर 20-30 फ़ीट तक खनन किया जा रहा है।
  • मुबाशिर नाइक, इरशाद हुसैन
    कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट
    18 May 2022
    स्थानीय कारीगरों को उम्मीद है कि यूनेस्को की 2021 की शिल्प एवं लोककला की सूची में श्रीनगर के जुड़ने से पुरानी कला को पुनर्जीवित होने में मदद मिलेगी। 
  • nato
    न्यूज़क्लिक टीम
    फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने
    17 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के विस्तार के रूप में फिनलैंड-स्वीडन के नेटो को शामिल होने और तुर्की के इसका विरोध करने के पीछे के दांव पर न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सोनिया यादव
    मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!
    17 May 2022
    देश में मैरिटल रेप को अपराध मानने की मांग लंबे समय से है। ऐसे में अब समाज से वैवाहिक बलात्कार जैसी कुरीति को हटाने के लिए सर्वोच्च अदालत ही अब एकमात्र उम्मीद नज़र आती है।
  • ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    17 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। कोर्ट ने कथित शिवलिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखने और नमाज़ जारी रखने के आदेश दिये हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License