NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
संस्कृति
भारत
राजनीति
नए भारत के विचार को सिर्फ़ जंग चाहिए!
भाजपा यह अच्छी तरह से जानती है कि भारत का विचार, जबरन लागू की जा रही एकरूपता, आक्रामक विलक्षणता और एक अखंड भविष्य की योजना के माध्यम से ही जीवित और विकसित हो सकता है।
अमृता दत्ता
25 Jun 2019
Translated by महेश कुमार
नए भारत के विचार को सिर्फ़ जंग चाहिए!

भारत क्या है? हमें इसके बारे में थोड़ा अधिक बताएँ' - भारत में और यूरोप में एक सामाजिक वैज्ञानिक होने के नाते, मुझसे अक्सर यह सवाल पूछा जाता है। मेरा मानना ​​है कि मेरे कई सहयोगियों के भी इसी तरह के अनुभव हैं। भारत के बारे में बात करते हुए, मैं चकित रह जाती हूँ - वास्तव में भारत है क्या? क्या यह भूभाग है? क्या यह एक संस्कृति है? क्या ये लोग हैं? क्या भारत में कोई ऐसे विलक्षणता है जो सभी स्थानों में फैली हुई है? परिभाषा के अनुसार (हालांकि 'परिभाषाओं' की बाध्यकारी प्रवृति की कभी भी बड़ी प्रशंसक नहीं रही), हर राष्ट्र उसकी सामान्य संस्कृति/धर्म/भाषा आदि से बनकर निकलते हैं। इस उदाहरण  का समर्थन करने के लिए बहुत से तथ्य मौजूद हैं जैसे- बांग्लादेश, पाकिस्तान, इज़राइल और इसी तरह के अन्य देश इसी आधार पर बने और जन्मे। अन्य मामलों में भी, राष्ट्र सामान्य राजनीतिक लक्ष्यों के माध्यम से भी उभरते हैं - एक बाहरी दुश्मन के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए। हमारे यहाँ हमारा देश जिसका नाम भारत है, वह औपनिवेशिक संघर्ष से निकलकर सामने आया। कहने की ज़रूरत नहीं है कि भारत एक औपनिवेशिक का निर्माण है। नतीजतन, यहाँ विशेष रूप से भाषा पर आधारित आंतरिक संघर्ष और पहचान के दावे कभी बंद नहीं हुए हैं। अनेकता में एकता एक मिथक है, एक ऐसा मिथक है जो राष्ट्र की कल्पना को एक साथ रखता है।

वर्तमान हालात के संदर्भ में जब हिंदू राष्ट्र के विचार के तहत भारत का संघवाद दांव पर लगा है, इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत केवल तभी एक भूभाग के रूप में बच सकता है, यदि डैश कि संघीय संरचना को बरक़रार रखा जाता है। इस दृष्टि से, हमारा लक्ष्य विविधता नहीं बल्कि एकता होना चाहिए। नहीं तो राज्यों का पलायन जारी रहेगा और एक दिन ऐसा आएगा जब सब कुछ होगा लेकिन वास्तव में भारत नहीं होगा। हालांकि, संघवाद का जश्न देश की वर्तमान राजनीतिक संस्कृति के तहत होने की संभावना नहीं है, जो कि संस्कृतियों, भाषाओं और पहचानों के समरूपीकरण की दिशा में एक आक्रामक अभियान से कम नहीं है। यदि भारत ख़ुद को फिर से संगठित करता है और भारत एक संयुक्त राज्य के रूप में उभरता है तो संघवाद को हासिल किया जा सकता है। अन्यथा, राष्ट्र-निर्माण की दिशा में उठा हर क़दम एक दबाव की तरह लगता है।

हालांकि, राष्ट्र को एक रखने में, स्वाभाविक रूप से बहुत सी चीज़ों का अभाव है, यह मोदी के तहत भारतीय जनता पार्टी का एक मास्टर स्ट्रोक है जो लगातार एक बाहरी आम दुश्मन के इर्द-गिर्द घूमती कथाओं को बुनता रहता है। एक दूसरे के साथ संघर्ष में लोग केवल एक बाहरी ख़तरे की वजह से ही एक साथ रह सकते हैं - चाहे वह ख़तरा वास्तविक हो या गढ़ा गया हो। इस बाहरी दुश्मन का मुक़ाबला करने के लिए यानी राष्ट्रवाद का विचार, जो सबसे बड़ा यानी लोगों से भी बड़ा हो गया है, इसके लिए सबको खड़ा होना चाहिए, और इस विचार को ज़िंदा रखने के लिए हमें बाहरी दुश्मन बनाने की ज़रूरत है – इस मामले में पाकिस्तान एक स्थाई दुश्मन है जबकि चीन नया प्रवेश है। आख़िरकार, पाकिस्तान के प्रति एक आम द्वेष के अलावा मराठी और ओड़िया का इससे जुड़ने के लिए का क्या रखा है – वह कि पाकिस्तान भारत का दुश्मन है! भाजपा एक दूरदर्शी दल है, वे इसे बहुत अच्छी तरह से देख सकते हैं - कि भारत का विचार अब केवल जबरन समरूपता, आक्रामक विलक्षणता और एक अखंड भविष्य की योजना के माध्यम से ही जीवित रह सकता है।

नतीजतन, समय की ज़रूरत न केवल अनैतिहासिक होने की है, बल्कि इतिहास विरोधी होने की भी है। बिंदु सरल है - विविधता को ख़ारिज करना और किसी भी क़ीमत पर एकरुपता की एकता को लागू करना है। जब अमित शाह कहते हैं कि देशद्रोहियों को पाकिस्तान जाना चाहिए, तो उनका मतलब है कि हमारे साथ मिलकर पाकिस्तानियों से नफ़रत करने में हमारा साथ दो। जब सरकार हिंसक भीड़ जुटा कर ‘दूसरों’ को क़त्ल करने की अनुमति देती है, तो यह विविधता को पीछे धकेल कर एकता के अपने मिशन के लिए हिंसा को प्रोत्साहित करती है। यहाँ, यह भी याद रखना होगा कि राष्ट्रवाद का विचार क्षेत्रीयता के इर्द-गिर्द तैयार हुआ है, न कि लोगों के बारे में। इसलिए, यह कश्मीर है जिसके बारे में भारत इतनी इच्छा रखता है, कश्मीरियों की नहीं। यह पूर्वोत्तर है जिसे भारत हाथ से नहीं जाने देना चाहेगा, लेकिन वहाँ के लोगों को सम्मान के साथ नहीं बुलाएगा।

भारतीय राज्य के प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के अपने दूसरे कार्यकाल के तहत असंतोष की आवाज़ के ख़िलाफ़ जारी हिंसा के मद्देनज़र, भाजपा सरकार ने भारत के गले के ठीक नीचे एकता लाने के लिए किस हद तक जाने की योजना बनाई है। संयोग से, कोई भी आश्चर्य जता सकता है – कि क्या भारत कभी भी सच्चे अर्थों में संघवाद राष्ट्र बन सकता है? अन्यथा, क्या हमें वास्तव में ऐसी बलपुर्वक लागू व्यवस्था को आत्मसात करने की आवश्यकता है; अधिक महत्वपूर्ण बात तह है कि आख़िर किस क़ीमत पर? आख़िरकार, इसे रोकने से पहले हमें कितनी ओर ज़िंदगियों का बलिदान देना होगा? जवाब हवा में उड़ रहा है, लेकिन सुनने के लिए कौन तैयार है?

लेखिका कोलोन विश्वविद्यालय में इंडो-जर्मन प्रवास पर एक शोधकर्ता हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।

Idea Of India
BJP government
hindu rashtra
Narendra modi
Unity in Diversity
Kashmir
Pakistan
Amit Shah

Related Stories

अब भी संभलिए!, नफ़रत के सौदागर आपसे आपके राम को छीनना चाहते हैं

यूपी: कानपुर में नाबालिग की मिली अधजली लाश, ‘रामराज्य’ के दावे पर फिर उठे सवाल!

त्रिपुरा: भीड़ ने की तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या, आख़िर कौन है बढ़ती लिंचिंग का ज़िम्मेदार?

राजस्थान : फिर एक मॉब लिंचिंग और इंसाफ़ का लंबा इंतज़ार

आओ जाति-जाति खेलें!

किसानों के समर्थन में ‘भारत बंद’ सफल, बीजेपी शासित राज्यों में भी रहा असर, कई नेता हिरासत में या नज़रबंद रहे

'ऐश्वर्या ने आत्महत्या नहीं की, उन्हें सरकार के भ्रष्ट सिस्टम ने मारा है'

योगी जी, मोदी जी, हाथरस पर दुनिया की है नज़र

नए भारत में न्याय नहीं, अन्याय पर जश्न

हाथरस की दलित बेटी को क्या न्याय मिल सकेगा?


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: मुझे गर्व करने से अधिक नफ़रत करना आता है
    01 May 2022
    जब गर्व खोखला हो तो नफ़रत ही परिणाम होता है। पर नफ़रत किस से? नफ़रत उन सब से जो हिन्दू नहीं हैं। ….मैं हिंदू से भी नफ़रत करता हूं, अपने से नीची जाति के हिन्दू से। और नफ़रत पाता भी हूं, अपने से ऊंची…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    मई दिवस ज़िंदाबाद : कविताएं मेहनतकशों के नाम
    01 May 2022
    मई दिवस की इंक़लाबी तारीख़ पर इतवार की कविता में पढ़िए मेहनतकशों के नाम लिखी कविताएं।
  • इंद्रजीत सिंह
    मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश
    01 May 2022
    इस बार इस दिन की दो विशेष बातें उल्लेखनीय हैं। पहली यह कि  इस बार मई दिवस किसान आंदोलन की उस बेमिसाल जीत की पृष्ठभूमि में आया है जो किसान संगठनों की व्यापक एकता और देश के मज़दूर वर्ग की एकजुटता की…
  • भाषा
    अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश
    30 Apr 2022
    प्रधान न्यायाधीश ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कहा न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के…
  • भाषा
    जनरल मनोज पांडे ने थलसेना प्रमुख के तौर पर पदभार संभाला
    30 Apr 2022
    उप थलसेना प्रमुख के तौर पर सेवाएं दे चुके जनरल पांडे बल की इंजीनियर कोर से सेना प्रमुख बनने वाले पहले अधिकारी बन गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License