NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
नियामगिरी : कंपनी ‘विकास’ के बढ़ते अंधेरे के ख़िलाफ़ आदिवासियों का प्रतिवाद
तमाम सत्ताधारी राजनीतिक दलों की संगठित चुप्पी के बावजूद प्रदेश की राजधानी भुवनेश्वर में विभिन्न सामाजिक व मानवाधिकार संगठनों, वामपंथी दलों तथा जन संगठनों द्वारा इस दमन–हत्याकांड के खिलाफ प्रतिवाद किया जा रहा है।
अनिल अंशुमन
26 Mar 2019
वेदांता गोलीकांड के विरोध में प्रदर्शन
फोटो साभार

पहली नज़र में शायद ही यकीन हो कि लोकतन्त्र के जिस महापर्व में मतदाताओं का वोट पाने के लिए राजनीतिक दलों व उनके प्रत्याशियों को तमाम पापड़ बेलने पड़ते हैं, चुनाव से कुछ दिन पूर्व ही उनपर ही गोली चलवा दी जाए। इतना ही नहीं इस कांड में “फिर एक बार ....” के नाम पर वोट मांग रहे केंद्र के सत्ताधारी दल और उसके खिलाफ खड़े तथाकथित विपक्षी दल की राज्य सरकार, दोनों की भूमिका भी एक जैसी ही रही।

प्राप्त खबरों के अनुसार ऐसा कारनामा हुआ गत 18 मार्च को ओडिशा राज्य के नियामगिरी पहाड़ी क्षेत्र स्थित लांजीगढ़ वेदांता लिमिटेड ईस्टर्न इंडियन अल्युमीना रिफायनरी कंपनी के अपने ही परिसर में। जहां कंपनी की वादाखिलाफी और मनमानी के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से आवाज़ उठा रहे स्थानीय गांवों के आदिवासी–दलितों पर कंपनी गार्डों और ओडिशा पुलिस ने बेवजह फायरिंग कर एक निर्दोष की जान ले ली तथा कइयों को घायल कर दिया। हैरानी की बात है कि चुनाव के समय इतनी संवेदनशील घटना होने पर भी केंद्र में सत्तारूढ़ दल का कोई भी राष्ट्रभक्त नेता नहीं पहुंचा जबकि एक विदेशी कंपनी ने ये गोली कांड किया। और न ही राज्य में सत्तारूढ़ केंद्र के विपक्षी दल की सरकार का ही कोई नेता-नुमाइंदा पीड़ितों की सुध लेने आया। गोलीकांड के तुरत बाद ही पूरे इलाके में निषेधाज्ञा लागू किए जाने से आसपास के सभी गांवों के लोग पुलिसिया दमन के डर के साये में फिर से जीने को मजबूर हो गए हैं।

वेदनता 1.jpg

ओडिशा के नियामगिरी पर्वतीय क्षेत्र स्थित कालाहांडी ज़िले के लांजीगढ़ में पिछले कई वर्षों से वेदांता की अल्युमिनियम रिफायनरी कंपनी चल रही है। 2003–04 में शुरू होने वाली ब्रिटेन की वेदांता कंपनी की इस परियोजना के खिलाफ शुरू से ही स्थानीय आदिवासियों का प्रतिवाद जारी रहा है। फिर भी 2004 के विधानसभा चुनाव पूर्व राज्य बीजू जनता दल सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसका शिलान्यास किया। इसे ‘विनिवेश से विकास’ की जनहित योजना बताकर स्थानीय लोगों को इसमें रोजगार दिये जाने की घोषणा भी की। इस परियोजना के लिए कंपनी का लठैत बनकर राज्य सरकार ने ज़मीन अधिग्रहण के लिए लाठी–गोली और दमन का भरपूर सहारा लिया। लेकिन आदिवासियों-मूलवासियों व सामाजिक–मानवाधिकार संगठनों के व्यापक विरोध के कारण लोभ और झांसे से ज़मीनें हासिल कर लीं। साथ ही जनहित के नाम पर दिखावे के लिए कंपनी से लिखित करार करा दिया। जिसमें क्षेत्र के सभी गांवों में मुफ्त शिक्षा, स्वस्थ्य, बिजली व पानी इत्यादि सुविधाएं देने का वायदा किया गया। जो शुरू के कुछ वर्षों तक ही लागू हुआ। कंपनी में रोजगार देने के करार के नाम पर लगभग 3000 स्थानीय लोगों की अस्थायी बहाली कर बकियों को चलता कर दिया गया।

जैसे जैसे कंपनी का मुनाफा और खनन कार्य स्थायित्व ग्रहण करने लगा, स्थानीय जनता से किए सभी गए करार पर अमल रोक दिया गया। फलतः बिजली–पानी–शिक्षा और स्वास्थ्य इत्यादि की निःशुल्क सभी सुविधाएं बंद कर दी गयीं। स्थायी रोजगार के नाम पर कंपनी में अनुबंध पर बहाल हुए लोगों में से किसी को भी स्थायी नहीं किया गया। इसे लेकर कंपनी प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन को कई बार लिखित ज्ञापन भी दिया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

अंततोगत्वा 18 मार्च को पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत वेदांता कंपनी की वादा खिलाफी और स्थायी नौकरी के सवाल को लेकर स्थानीय गांवों के सैकड़ों ग्रामीण व आदिवासी कंपनी गेट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पहुंच गए। जिनसे बिना कोई वार्ता और पूर्व सूचना दिये, वहाँ तैनात कंपनी के हथियारबंद गार्डों और ओडिशा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें एक ग्रामीण की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी औए अनेक महिला–पुरुष घायल हो गए। जवाब में आक्रोशित आदिवासियों की ओर से भी कुछ पत्थर चलाये गए और झड़प में ओडिशा प्रदेश पुलिसबल का एक सिपाही मारा गया। कंपनी व प्रशासन ने अफवाह फैला दी कि रिफायनरी के अंदर अनुबंधकर्मियों ने ही सुरक्षाकर्मियों से झड़प कर स्थिति बेकाबू कर दी थी इसलिए मजबूरन गोली चलानी पड़ी। प्राप्त खबरों में अभी तक प्रदेश की सरकार से घटना की विशेष जांच पड़ताल संबंधी न तो कोई आदेश जारी हुआ है और न ही आंदोलनकारियों व कांड के पीड़ितों से मिलने सरकार की कोई टीम ही आई है।

तमाम सत्ताधारी राजनीतिक दलों की संगठित चुप्पी के बावजूद प्रदेश की राजधानी भुवनेश्वर में विभिन्न सामाजिक व मानवाधिकार संगठनों, वामपंथी दलों तथा जन संगठनों द्वारा इस दमन–हत्याकांड के खिलाफ प्रतिवाद किया जा रहा है। केंद्र व राज्य सरकार के संरक्षण में हो रही कॉर्पोरेट हिंसा के खिलाफ प्रदेश की अन्य लोकतांत्रिक व प्रगतिशील ताक़तें भी एकजुट हो रही हैं।  

देश में संसदीय चुनाव की प्रक्रिया शुरू है और ओडिशा में इसके साथ विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इस लिहाज से नियामगिरी का यह इलाका जो पिछले कई वर्षों से यहाँ के बेशुमार बक्साइट खनन के लिए ब्रिटेन से आई वेदांता कंपनी के खिलाफ पूरे इलाके के आदिवासी–किसानों के विरोध आंदोलनों से काफी चर्चित रहा है। जिसे कुचलकर कंपनी राज को स्थापित करने में वर्तमान केंद्र की सरकार से मिल रहे संरक्षण के साथ साथ तथाकथित केंद्र विरोधी प्रदेश बीजद की सरकार भी जुटी हुई है। प्रदेश के वामपंथी दलों को छोड़ भाजपा व कांग्रेस समेत लगभग सभी का मौन समर्थन है। ऐसे में, जब इस पूरे इलाके के ग्रामीण गरीब व दलित-आदिवासी जो पहले ‘विकास’ के नाम पर कंपनी हित में अपनी पारंपरिक ज़मीनों से बेदखल किए गए और अब कंपनी व सरकार के वादा खिलाफी–फरेब को झेल रहे हैं, इनसे क्या कहकर वोट मांगे जाएंगे? साथ ही यहाँ “एक भी वोटर छूटे ना ...” अभियान कैसे सफल होगा…?

Odisha
Niyamgiri Protest
vedanta
tribals
dalit-adiwasi
General elections2019
2019 आम चुनाव
Odisha Assembly Elections 2019
Narendra modi
BJP
bjd
Biju Janata Dal
Naveen Patnaik

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License