नोटबंदी को लेकर आरटीआई के जरिये हुआ नया खुलासा कई सवाल खड़े करता है। इसी मुद्दे पर हमने बात की न्यूज़क्लिक के एडिटर इन चीफ प्रबीर पुरकायस्थ से जिनका कहना है कि अब सबकुछ जनता की अदालत में है और वह ही फैसला करना है।
नोटबंदी को लेकर आरटीआई के जरिये हुआ नया खुलासा कई सवाल खड़े करता है। इसी मुद्दे पर हमने बात की न्यूज़क्लिक के एडिटर इन चीफ प्रबीर पुरकायस्थ से जिनका कहना है कि अब सबकुछ जनता की अदालत में है और वह ही फैसला करना है। नोटबंदी को लेकर आरटीआई के जरिये हुआ नया खुलासा कई सवाल खड़े करता है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिरकार वह क्या कारण था कि आरबीआई डायरेक्टरों की राय को नज़रअंदाज़ कर नोटबंदी का लाभ लिया गया। आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेशेक को सूचना के अधिकार के तहत नोटबंदी के 28 महीने बाद मिली जानकारी के मुताबिक आरबीआई की दिशा केंद्रीय बोर्ड की बैठक में नोटबंदी से कालाधन पर किसी तरह का असर न पड़ने की बात कही गयी थी। साथ ही कहा गया था कि देश और दुनिया के बाजार में फर्जी नोटों के संचालन पर भी कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है। इसके अलावा बैठक में अर्थव्यवस्था के कैशलेस होने की बात को भी खारिज कर दिया गया था। वेंकटेश ने यह जानकारी कॉमनवेल्थ ह्यूमन राईट इनिशियन को दी (सीएचआरआई) की वेबसाइट पर रखा गया है।
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