NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
नोटबंदी से दो साल में 50 लाख नौकरियां गईं
अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट (CSE) द्वारा मंगलवार को जारी ‘State of Working India 2019' रिपोर्ट में यह कहा गया है कि साल 2016 से 2018 के बीच करीब 50 लाख पुरुषों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 Apr 2019
unemployement

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यकाल बहुत से ऐसे कामों के लिए जाना जाएगा, जिन्हें सरकारें नहीं करती बल्कि कोई विज्ञापन कम्पनी करती है ताकि जनता उस उत्पाद के मोहजाल में फंसी रहे, जिसे विज्ञापन कम्पनी बेचने का काम करती है। लेकिन नोटबंदी की योजना ऐसी थी, जिसे उत्पाद भी नहीं कहा जा सकता। नोटबंदी लागू होने के बाद बहुत सारी ऐसी बातों का खुलासा हो रहा है,जिससे यह साबित होता है कि नोटबंदी किसी सरकार द्वारा भारतीय जनता के साथ किया अब तक का सबसे बड़ा क्रूर मज़ाक है। आरटीआई के बाद आई नई जानकारियों के बाद कि इस फैसले से आरबीआई का निदेशक मंडल सहमत नहीं था, अब मंगलवार को एक और खुलासा हुआ है कि  8 नवंबर 2016 को लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद बीते दो सालों में 50 लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं। इस नई रिपोर्ट के अनुसार, खासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 50 लाख लोगों ने नोटबंदी के बाद अपना रोज़गार खो दिया है।

अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट (CSE) द्वारा मंगलवार को जारी ‘State of Working India 2019'रिपोर्ट में यह कहा गया है कि साल 2016 से 2018 के बीच करीब 50 लाख पुरुषों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। 

'सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्लॉयमेंट' की ओर से जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अपनी नौकरी खोने वाले इन 50 लाख पुरुषों में शहरी और ग्रामीण इलाकों के कम शिक्षित पुरुषों की संख्या अधिक है। इस आधार पर रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि नोटबंदी ने सबसे अधिक असंगठित क्षेत्र को ही तबाह किया है।

'2016 के बाद भारत में रोजगार' वाले शीर्षक की इस रिपोर्ट के छठे प्वाइंट में नोटबंदी के बाद जाने वाली 50 लाख नौकरियों का जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2011 के बाद से कुल बेरोजगारी दर में भारी उछाल आया है। 2018 में जहां बेरोजगारी दर 6 फीसदी थी। यह 2000-2011 के मुकाबले दोगुनी है।

आठ नवंबर 2016 के आठ बजे रात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन से लागू हुआ नोटबंदी का फैसला भारत कभी नहीं भूल सकता। इस फैसले के बाद बैंकों में लगने वाली लंबी कतारें और इन कतारों में परेशान होते लोगों की तस्वीरें लोगों की स्मृतियों में हमेशा जिन्दा रहेंगी। इस फैसले की वजह से  दिन भर मजदूरी कर अपना पेट पालने वाले लोग शहर छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे थे। और जो गांवों में थे, उन्हें कई दिन भूखे रहना पड़ा। अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा चरमरा गया।

प्रधानमंत्री ने पहले कहा कि भारत में काले धन की परेशानी को जड़ से खत्म  करने के लिए, यह अभी तक का उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। इस कदम से आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी बीमारियों को बड़ा झटका लगेगा। लेकिन कुछ ही दिन बाद सरकार ने पाला  बदल गया। सरकार  यह तर्क देने लगी कि इससे कैशलैस इकॉनमी को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस में अभी हाल में ही  आरबीआई की  रिपोर्ट छपी। इंडियन एक्सप्रेस में छपी आरबीआई रिपोर्ट के तहत भारत में नकद में होने वाले लेन-देनों में कोई कमी नहीं आयी है। नोटबंदी के पहले के स्तर से अब तक नकद के चलन में 19.14 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। यानी नोटबंदी के पहले4 नवम्बर 2016 तक भारत में कुल नकद नोटों की संख्या 17.97 करोड़ रुपये थी जो 15  मार्च 2019 तक बढ़कर 21.41 लाख करोड़ हो गयी। इसका साफ़ मतलब है कि नोटबंदी की वजह से नकद लेन-देन में कोई बदलाव नहीं हुआ है।  बीते साल आरबीआई की सलाना रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि सरकार के उम्मीदों के बिल्कुल उल्टा लगभग पूरा का पूरा कैश सिस्टम में लौटा आया। इस रिपोर्ट के मुताबिक  नोटबंदी की वजह से  कुल 15.41 लाख करोड़ नोटबंदी की वजह से बाहर हो गई थी। इसमें 10,720 करोड़ छोड़ बाकी रकम बैंकों में वापस आ गई। यानी कुल  0.7 रकम ही सिस्टम से बाहर रही। जबकि उम्मीद की जा रही थी कि 3 लाख करोड़ की रकम  वापस नहीं आएगी। इस तरह से यह बात साफ है कि नोटबंदी से जुड़े सारे तर्क फेल हो गए।  साथ में यह भी हुआ कि लाखों लोगों को अपनी रोजी रोटी गंवानी पड़ी। अब तो यहां तक कहा जाता है कि इस दौर का जब इतिहास लिखा जाएगा तो यह लिखा जाएगा कि तो यह लिखा जाएगा कि सरकार का नोटबंदी फैसला जनता के साथ किया गया एक बड़ा क्रूर मज़ाक था। और मोदी एंड भाजपा विज्ञापन कम्पनी का यह सबसे खराब माल था। 

notebandi
notebandi and berojgari
aam chunav
general election 2019
state of the working report in notebandi
noteband

Related Stories


बाकी खबरें

  • भाषा
    महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया
    19 May 2022
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद, औरंगाबाद के…
  • मो. इमरान खान
    बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’
    19 May 2022
    रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की…
  • वी. श्रीधर
    भारत का गेहूं संकट
    19 May 2022
    गेहूं निर्यात पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये से सरकार के भीतर संवादहीनता का पता चलता है। किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की ज़िद के कारण गेहूं की सार्वजनिक ख़रीद विफल हो गई है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन
    19 May 2022
    संयुक्त अरब अमीरात में प्रोटोकॉल की ज़रूरत से परे जाकर हैरिस के प्रतिनिधिमंडल में ऑस्टिन और बर्न्स की मौजूदगी पर मास्को की नज़र होगी। ये लोग रूस को "नापसंद" किये जाने और विश्व मंच पर इसे कमज़ोर किये…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी 
    19 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,364 नए मामले सामने आए हैं, और कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 29 हज़ार 563 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License