NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
नफरत और घृणा की राजनीति के खिलाफ सांस्कृतिक संघर्ष की जरूरत
भोपाल में आयोजित शैलेंद्र शैली स्मृति व्याख्यान में न्यूज़क्लिक के एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ ने 'आज के हालात- चुनौतियां और विकल्प’ पर व्याख्यान दिया।
राजु कुमार
08 Aug 2019
Nationalism

देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति अच्छी नहीं है। नफरत एवं घृणा की राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसी राजनीति ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती, लेकिन यह समाज के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक है। यह समाज में खाई पैदा कर रहा है। ऐसी राजनीतिक माहौल को बदलने के लिए हमें सांस्कृतिक लड़ाई लड़नी होगी। यदि हम सोचें कि इसका मुकाबला सिर्फ राजनीति से किया जा सकता है, तो यह सही नहीं है। यह कहना है न्यूज़क्लिक के एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ का।

7 अगस्त को भोपाल में शैलेंद्र शैली स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। हर साल इसमें मौजूदा राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक विषयों पर व्याख्यान का आयोजन किया जाता है। इस बार 'आज के हालात- चुनौतियां और विकल्प’ विषय पर व्याख्यान के लिए प्रख्यात ऊर्जा विज्ञानी एवं न्यूज़क्लिक के एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एवं जन आंदोलनों के साथी शरद चंद्र बेहार ने की। प्रबीर ने भारत के वर्तमान राजनीतिक हालात का विश्लेषण करते हुए विश्व राजनीति की इतिहास से भी अवगत कराया। 

उन्होंने कहा कि आज जिस राष्ट्रवाद की बात कर रहे हैं, वह फ्रांस की क्रांति के बाद आया। राजशाही के बाद यूरोप में सबसे पहले राष्ट्र की अवधारणा आई, जिसमें किसी भौगोलिक सीमा में रहने वाले की पहचान एक नागरिक के रूप में हुई। बाद में जब इसके साथ भाषा एवं धर्म को मिलया गया, तो यूरोप में कई हिंसक लड़ाइयां हुई। दोनों विश्वयुद्ध की जड़ में मुख्य रूप से यहीं कारण रहे हैं। आज भारत में भी धर्म एवं जाति के नाम पर नफरत को बढ़ावा दिया जा रहा है। नागरिकता के मसले को लेकर इतिहास में जिस तरह की लड़ाइयां हुई, उससे सबक लेने के बजाय भारत उसी रास्ते पर चल रहा है। हमारे देश में आज जो सोच हावी हुई है उसके बहुलतावादी राष्ट्र के प्रति सम्मान नहीं है। 

prabir.jpg

हाल के दिनों में पूरी दुनिया में दक्षिणपंथी रूझान बढ़ा है। हमारे देश में भी इस तरह के उभार एक वैधता लेने के लिए संघर्षरत हैं। हम देख रहे हैं कि नेशनल सिटीजन रजिस्टर को असम से बाहर देश के तमाम अन्य हिस्सों तक विस्तारित करने की योजना बन रही है। वर्तमान राजनीतिक माहौल से देश में बर्बरता आएगी। हम इसे अल्पसंख्यकों एवं कमजोर लोगों के साथ की जा रही मॉब लिंचिंग के रूप में देख भी रहे हैं। हम एक ऐसे जानवर को देश में छोड़ रहे हैं, जिस पर लगाम लगाना मुश्किल होगा। यह देश को तोड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने जाति विमर्श के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था और तकनीकी विकास का भी विज़न दिया था, लेकिन गोलवलकर के विज़न में आर्थिक विकास का कोई ज़िक्र नहीं है क्योंकि वे इसकी जिम्मेदारी सिर्फ पूंजीपतियों को देने की वकालत करते थे। तकनीकी आत्मनिर्भरता का भी कोई खाका उनके पास नहीं था। इसलिए आज भी पहचान की राजनीति को उभारने के अतिरिक्त आज जो सत्ताधारी हैं वे सिर्फ विकास के भ्रम उपजाते हैं लेकिन विकास नहीं कर पाते। वर्तमान सत्ताधारी वर्ग गलत इतिहास, गलत राजनीति एवं गलत विज्ञान की नींव डाल रहे हैं। इससे वैज्ञानिक दृष्टिकोण को खतरा है।

उन्होंने विकल्पों की चर्चा करते हुए कहा कि आज हमें सांस्कृतिक लड़ाई लड़नी होगी। वर्तमान दक्षिणपंथी राजनीति का मुकाबला सिर्फ राजनीतिक स्तर पर नहीं की जा सकती है। हमें विज्ञान के मोर्चे पर भी अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी। वैज्ञानिकों की सामाजिक समझ अच्छी होती हैं, वे समाज के बारे में मानवीयता के आधार पर सोचते हैं। वे जंग के खिलाफ होते हैं। हमारे हाथ में विज्ञान का औजार है, हमारे हाथ में संस्कृति का औजार है। हमें विज्ञान को रचनात्मकता के साथ जोड़ना होगा। यह जिम्मेदारी युवाओं पर है कि वे इसके लिए आगे आएं। अलग-अलग तरह के आंदोलनों को इकट्ठा लाने की जरूरत है। 
व्यक्तिवाद को छोड़कर हमें एक साथ आना होगा। हमने पहले भी विविधताओं का सम्मान करते हुए जन विज्ञान आंदोलन एवं विश्व सामाजिक मंच जैसे बड़े आंदोलन एवं आयोजन किए हैं। इसमें दक्षिणपंथ एवं नफरत की राजनीति के हर विरोधी को शामिल करना होगा। हमें यह स्थिति अपने आजादी के आंदोलन में भी देखी थी, जब लोग विविधता के साथ आजादी की लड़ाई में शामिल हुए थे। ऐसे आंदोलन में यदि लोग अपने-अपने झंडे-बैनर के साथ आए, तो भी उनकी विविधताओं के साथ उन्हें जोड़ना होगा। हमारे आंदोलन में विविधता दिखनी चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शरद चंद्र बेहार ने कहा कि वर्तमान समस्याओं का निदान एक नए विचार का सृजन करते हुए गांधीवादी तौर-तरीकों को अपना कर किया जा सकता है, जिसमें सिर्फ़ बौद्धिक विरोध मात्र न हो बल्कि व्यापक पहल करने लोग भी हों और जिनकी संख्या हजारों में नहीं, लाखों में हो। कार्यक्रम का संचालन जनवादी लेखक संघ के प्रदेश सचिव मनोज कुलकर्णी ने किया।

Prabeer
Bhopal
politics
Nationalism
Constitution of India
B R Ambedkar

Related Stories

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

एक आधुनिक लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण की डॉ. आंबेडकर की परियोजना आज गहरे संकट में

एक व्यापक बहुपक्षी और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता

हम भारत के लोगों की असली चुनौती आज़ादी के आंदोलन के सपने को बचाने की है

हम भारत के लोग : इंडिया@75 और देश का बदलता माहौल

हम भारत के लोग : हम कहां-से-कहां पहुंच गये हैं

संविधान पर संकट: भारतीयकरण या ब्राह्मणीकरण

झंझावातों के बीच भारतीय गणतंत्र की यात्रा: एक विहंगम दृष्टि

आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हमारा गणतंत्र एक चौराहे पर खड़ा है

हम भारत के लोग: झूठी आज़ादी का गणतंत्र!


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License