NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
आंदोलन
पर्यावरण
मज़दूर-किसान
ओडिशा: पुलिस की ‘बर्बरता’ के बावजूद जिंदल स्टील प्लांट के ख़िलाफ़ ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी
कार्यकर्ताओं के अनुसार यह संयंत्र वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करता है और जगतसिंहपुर के ढिंकिया गांव के आदिवासियों को विस्थापित कर देगा।
दित्सा भट्टाचार्य
02 Mar 2022
JSW protest
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 20 जनवरी को भुवनेश्वर में ढिंकिया प्रशासन द्वारा जिंदल स्टील वर्क्स (जेएसडब्ल्यू) लिमिटेड के लिए पान के बागों की जमीन के जबरन खरीद के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया।

ओडिशा के जगतसिंहपुर में ढिंकिया, गडकुजंग और नुआगांव पंचायतों के मूल निवासियों के सतत विरोध के फलस्वरूप ​​12​​ मिलियन टन इस्पात प्रति वर्ष (एमटीपीए) उत्पादन करने वाले दक्षिण कोरियाई स्टील बीहेमोथ संयंत्र पोस्को को अपनी योजना को छोड़ना पड़ा था। अब इसके चार साल बाद, इस जिले के ग्रामीण प्रस्तावित ​13.2​​ एमटीपीए जेएसडब्ल्यू उत्कल स्टील प्लांट का विरोध करने की एवज में प्रशासन की "क्रूर" रणनीति का सामना कर रहे हैं।

सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाली जेएसडब्ल्यू स्टील की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एकीकृत इस्पात संयंत्र को ढिंकिया में स्थापित करने का प्रस्ताव है,जो अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, ​​2006​ ​का उल्लंघन करता है और आदिवासियों को उनके मूल पर्यावास से विस्थापित कर देगा, जैसा कि कार्यकर्ताओं का कहना है।

पिछले हफ्ते, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) की एक विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने अपने फैसले को टालने और अधिक जानकारी मांगने के बाद इस्पात संयंत्र के लिए पर्यावरण मंजूरी (EC) की सिफारिश की थी।

ओडिशा सरकार स्थानीय लोगों के कड़े प्रतिरोध के बावजूद इस परियोजना के लिए जमीन सौंपने की प्रक्रिया पूरी कर रही है। हालांकि इस परियोजना के खिलाफ कम से कम तीन याचिकाएं उड़ीसा उच्च न्यायालय में लंबित हैं, जिसने ढिंकिया में जमीनी स्तर की स्थिति का ऑन-द-स्पॉट आकलन करने के लिए पिछले सप्ताह अधिवक्ताओं के पांच सदस्यीय पैनल का गठन किया था। जनवरी में पुलिस के साथ टकराव के दौरान परियोजना का विरोध करने वाले दो दर्जन से अधिक ग्रामीण घायल हो गए थे।

युग्म नेटवर्क द्वारा 19​​ फरवरी को आयोजित एक वेबिनार में, कार्यकर्ताओं ने पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों के कथित क्रूर दमन की निंदा की। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार उनकी एकता और उनके प्रतिरोध के संकल्प को तोड़ने के लिए हर संभव तरीके का उपयोग कर रही है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस पर पक्षपातपूर्ण और प्रतिशोधपूर्ण तरीके से काम करने और यहां तक कि झूठे मामलों में उन्हें फंसाने के कई आरोप लगाए गए हैं।

​“इस संयंत्र से कौन लाभान्वित होगा? यह केवल स्थानीय पर्यावरण और यहां के मूल निवासी के जीवन का विनाश करेगा। यहां किसी भी कीमत पर विकास को लाने के बहाने सरकार इनको खत्म कर देगी,” जिंदल प्रतिरोध संग्राम समिति के प्रवक्ता प्रशांत पैकरे ने कहा।

इंडियन सोशल एक्शन फोरम ओडिशा के समन्वयक नरेंद्र मोहंती, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में संयंत्र का विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था, उन्होंने बताया कि किस तरह ​14​​ जनवरी को ​12​​ पुलिस पलटनों ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया था, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित ​​20 ​​से अधिक ग्रामीण घायल हो गए थे।

स्थानीय कार्यकर्ता प्रफुल्ल साननतारा ने कहा कि यह परियोजना “पान के बागों और धान के खेतों को नष्ट कर देगी, जो ​​25,000​​ लोगों की आजीविका का एकमात्र स्रोत है। इस क्षेत्र में एक स्थायी, जीवंत कृषि अर्थव्यवस्था है-और सरकार इसको एक इस्पात संयंत्र का निर्माण करके नष्ट करना चाहती है।"

कंपनी को इस परियोजना के ​लिए 2,950.31 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी, जिसे उसी क्षेत्र में प्रस्तावित किया गया था, जिसे पोस्को द्वारा चयनित किया था। इसलिए जेएसडब्ल्यू स्टील को ​​2700​​ एकड़ जमीन आसानी से मिल जाएगी, जिसे राज्य सरकार ने पोस्को परियोजना के लिए अधिग्रहित किया था। हालांकि, सरकार JSW को आवंटित करने की योजना बना रही भूमि का शेष हिस्सा समुद्र के करीब है और रेत के टीलों के साथ लगा हुआ है, जहां पान की बेलें पनपती हैं।

भारत में सबसे बड़े एकीकृत इस्पात संयंत्र के निर्माण के लिए ओडिशा सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बारह साल बाद, पोस्को को स्थानीय लोगों के बड़े पैमाने पर प्रतिरोध के कारण परियोजना को छोड़ना पड़ा था। अब कार्यकर्ता, एक और इस्पात संयंत्र से अपनी आजीविका और अपनी भूमि को बचाने की लड़ाई में फिर से एकजुट हो गए हैं।

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे गए लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Odisha Villagers Continue to Protest Jindal Steel Plant Despite Police ‘Brutality’


बाकी खबरें

  • Satellites
    संदीपन तालुकदार
    चीन के री-डिज़ाइंड Long March-8 ने एक बार में 22 सेटेलाइट को ऑर्बिट में भेजा
    01 Mar 2022
    Long March-8 रॉकेट चीन की लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी की अकादमी में बना दूसरा रॉकेट है।
  • Earth's climate system
    उपेंद्र स्वामी
    दुनिया भर की: अब न चेते तो कोई मोहलत नहीं मिलेगी
    01 Mar 2022
    आईपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में साफ़ कहा है कि जलवायु परिवर्तन से आर्थिक दरार गहरी होगी, असमानता में इजाफ़ा होगा और ग़रीबी बढ़ेगी। खाने-पीने की चीजों के दाम बेतहाशा बढ़ेंगे और श्रम व व्यापार का बाजार…
  • nehru modi
    डॉ. राजू पाण्डेय
    प्रधानमंत्रियों के चुनावी भाषण: नेहरू से लेकर मोदी तक, किस स्तर पर आई भारतीय राजनीति 
    01 Mar 2022
    चुनाव प्रचार के 'न्यू लो' को पाताल की गहराइयों तक पहुंचता देखकर व्यथित था। अचानक जिज्ञासा हुई कि जाना जाए स्वतंत्रता बाद के हमारे पहले आम चुनावों में प्रचार का स्तर कैसा था और तबके प्रधानमंत्री अपनी…
  • रवि शंकर दुबे
    पूर्वांचल की जंग: यहां बाहुबलियों के इर्द-गिर्द ही घूमती है सत्ता!
    01 Mar 2022
    यूपी में सत्ता किसी के पास भी हो लेकिन तूती तो बाहुबलियों की ही बोलती है, और पूर्वांचल के ज्यादातर क्षेत्रों में उनका और उनके रिश्तेदारों का ही दबदबा रहता है। फिर चाहे वो जेल में हों या फिर जेल के…
  • Inflation
    सौम्या शिवकुमार
    महंगाई "वास्तविक" है और इसका समाधान भी वास्तविक होना चाहिए
    01 Mar 2022
    केंद्रीय बैंकों द्वारा महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दर को प्रबंधित किया जाता है, लेकिन यह तरीक़ा अप्रभावी साबित हुआ है। इतना ही नहीं, इस उपकरण का जब इस्तेमाल किया जाता है, तब यह भी ध्यान नहीं रखा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License