NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
फिल्में
भारत
अंतरराष्ट्रीय
'पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस' को ऑस्कर, भारतीय महिला आंदोलन का सम्मान
'पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस' को मिला ऑस्कर अवार्ड अगर भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण की मुहिम को आगे बढ़ाने में योगदान करता है तो निश्चित ही ये पूरे देश के लिए एक उपलब्धि होगी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
25 Feb 2019
OSCAR, period. end of sentence

भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम और बढ़ा है। भारत में मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं पर आधारित फिल्म 'पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस' ने 91वें अकादमी पुरस्कार समारोह में डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट की श्रेणी में ऑस्कर पुरस्कार हासिल किया है। ये पुरस्कार इस मुहिम को आगे बढ़ाने में योगदान करता है तो निश्चित ही ये पूरे देश के लिए एक उपलब्धि होगी।

पीरियड/माहवारी, सेनेटरी नैपकिन या पैड की बात करना आज भी हमारे देश में सहज नहीं है। गांवों में तो बिल्कुल नहीं। हमारे पितृसत्तात्मक समाज में इसे लेकर आज भी बहुत सी बंदिशें और भ्रम हैं। आज भी हमारे देश में बड़ी महिला आबादी माहवारी के दिनों में कपड़े का ही इस्तेमाल करती है। जिससे उन्हें तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि ये प्राकृतिक जैविक क्रिया कई जगह इतनी बड़ी समस्या बन गई कि लड़कियों को स्कूल तक जाना छुड़ा दिया गया। ये 16वीं या 18वीं सदी की बातें नहीं हो रहीं। ये 21वीं सदी की बातें हो रही हैं। महिला आंदोलन की वजह से इसमें काफी बदलाव तो आया है लेकिन अभी बहुत काम की ज़रूरत है।

इसी को लेकर तमिलनाडु के कोयम्बतूर के अरुणाचलम मुरुगनाथम ने एक सस्ती मशीन बनाने का सपना देखा था और उसे फिर साकार किया और आज उसी लड़ाई को

आगे ले जा रही हैं देशभर की तमाम औरतें। इसी कड़ी में शामिल है सामाजिक संस्था एक्शन इंडिया। जिसके प्रयासों से हापुड़ की महिलाओं को जोड़कर सबला समिति बनाई गई और महिला समानता और सशक्तिकरण का कार्यक्रम शुरू हुआ। इसी के तरत तमाम अन्य लोगों के सहयोग से हापुड़ के गांव काठीखेड़ा में पैड बनाने की एक मशीन स्थापित कर महिलाओं को स्वरोजगार और सस्ता पैड उपलब्ध कराने का काम शुरू हुआ। आज हापुड़ के दो गांवों में ऐसी दो मशीनें काम कर रही हैं। और गांव की महिलाएं खुद पैड बनाकर उसे इस्तेमाल भी कर रही हैं और बेच भी रही हैं। इसी पूरे काम को कैमरे में कैद कर फिल्म बनाई गई और नाम दिया गया ‘पीरियड,एंड ऑफ सेन्टेंस’ (Period. End of Sentence), जिसे सिनेमा के सबसे बड़े अवार्ड ऑस्कर से नवाजा गया है।

इस पुरस्कार के लिए 'पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस' का मुकाबला 'ब्लैक शीप', 'एंड गेम', 'लाइफबोट' और 'ए नाइट एट द गार्डन' के साथ था। 
फिल्म का सह-निर्माण भारतीय फिल्मकार गुनीत मोंगा की सिखिया एंटरटेनमेंट कंपनी द्वारा किया गया है। ईरानी-अमेरिकी फिल्मकार रेका जेहताबची (Rayka Zehtabch) ने इसका निर्देशन किया।

फिल्म का निर्माण लॉस एंजेलिस के ओकवुड स्कूल के विद्यार्थियों के एक समूह और उनकी शिक्षिका मेलिसा बर्टन द्वारा स्थापित द पैड प्रोजेक्ट द्वारा किया गया है। 
फिल्म को फेमिनिस्ट मेजॉरिटी फाउंडेशन (Feminist Majority Foundation) का समर्थन रहा।
इस पुरस्कार को लेने के लिए रेका जेहताबची और बर्टन मंच पर पहुंची। 
रायका जेहताबची ने कहा, "मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मासिक धर्म पर बनीं फिल्म को ऑस्कर मिला है।"
इस जीत से उत्साहित मोंगा ने ट्वीट कर कहा, "हम जीत गए। हमने सिखिया को नक्शे पर उतार दिया है।"
बर्टन ने यह पुरस्कार अपने स्कूल को समर्पित करते हुए कहा, "इस परियोजना का जन्म इसलिए हुआ क्योंकि लॉस एंजिलिस के मेरे विद्यार्थी और भारत के लोग बदलाव लाना चाहते हैं।"
उन्होंने कहा, "मैं इस पुरस्कार को फेमिनिस्ट मेजोरिटी फाउंडेशन, पूरी टीम और कलाकारों के साथ साझा करती हूं। मैं इसे दुनिया भर के शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ साझा करती हूं।"

इसी फिल्म के असल किरदार स्नेह और सुमन जिन्होंने पूरे गांव की महिलाओं की कहानी का प्रतिनिधित्व किया और संस्था एक्शन इंडिया की चेयरपर्सन गौरी चौधरी और कैंपेन कॉर्डिनेटर सुलेखा सिंह एवं अजयादीप अमेरिका के लॉस एंजेलिस में हुए अवार्ड समारोह में शामिल हुए।

न्यूज़क्लिक ने पिछले दिनों इस फिल्म के मुख्य किरदारों से इस फिल्म और उनके असल जीवन की चुनौतियों और काम पर बात की।

देखिए वीडियो :-

#OSCAR
OSCAR AWARDS
# period_end_of_sentence
Period. End of Sentence
#91st_Academy_Awards
91st academy awards
best short documentary
India
Uttar pradesh
Hapur
KATHIKHEDA

Related Stories

विशेष: दोनों तरफ़ के पंजाबियों को जोड़ती पंजाबी फिल्में और संगीत

ज़ायरा, क्रिकेट और इंडिया

अलीगढ़ मर्डर केस: हमारे समाज के अमानवीय हो जाने की कहानी है

आर्टिस्ट्स यूनाईट : कलाकारों को साथ आने की ज़रूरत क्यूँ है?

पैड वुमन : हापुड़ से लॉस एंजेलिस तक का सफ़र


बाकी खबरें

  • एम.ओबैद
    एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे
    26 Apr 2022
    चयनित शिक्षक पिछले एक महीने से नियुक्ति पत्र को लेकर प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन मांग पूरी न होने पर अंत में आमरण अनशन का रास्ता चयन किया।
  • अखिलेश अखिल
    यह लोकतांत्रिक संस्थाओं के पतन का अमृतकाल है
    26 Apr 2022
    इस पर आप इतराइये या फिर रुदाली कीजिए लेकिन सच यही है कि आज जब देश आज़ादी का अमृतकाल मना रहा है तो लोकतंत्र के चार प्रमुख स्तम्भों समेत तमाम तरह की संविधानिक और सरकारी संस्थाओं के लचर होने की गाथा भी…
  • विजय विनीत
    बलिया पेपर लीक मामला: ज़मानत पर रिहा पत्रकारों का जगह-जगह स्वागत, लेकिन लड़ाई अभी बाक़ी है
    26 Apr 2022
    "डबल इंजन की सरकार पत्रकारों को लाठी के जोर पर हांकने की हर कोशिश में जुटी हुई है। ताजा घटनाक्रम पर गौर किया जाए तो कानपुर में पुलिस द्वारा पत्रकारों को नंगाकर उनका वीडियो जारी करना यह बताता है कि…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जन आंदोलनों के आयोजन पर प्रतिबंध अलोकतांत्रिक, आदेश वापस लें सरकार : माकपा
    26 Apr 2022
    माकपा ने सवाल किया है कि अब जन आंदोलन क्या सरकार और प्रशासन की कृपा से चलेंगे?
  • ज़ाहिद खान
    आग़ा हश्र काश्मीरी: गंगा-ज़मुनी संस्कृति पर ऐतिहासिक नाटक लिखने वाला ‘हिंदोस्तानी शेक्सपियर’
    26 Apr 2022
    नाट्य लेखन पर शेक्सपियर के प्रभाव, भारतीय रंगमंच में महत्वपूर्ण योगदान और अवाम में उनकी मक़बूलियत ने आग़ा हश्र काश्मीरी को हिंदोस्तानी शेक्सपियर बना दिया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License