NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
पराली, प्रदूषण और सरकार : पहली बार खड़ी फसल देखकर किसान चिंतित!
पराली जलाने पर शासन की ओर से की जाने वाली सख्ती अब किसानों के लिए एक नयी समस्या बन गई है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसानों को सज़ा देना कोई समाधान नहीं है।
रिज़वाना तबस्सुम
11 Dec 2019
पराली जलाने पर शासन

चंदौली : दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली जलाने के खिलाफ बेहद सख्त रुख अख्तियार किया है। बीते महीने सीएम योगी के निर्देश के बाद प्रमुख सचिव शशि प्रकाश गोयल ने सभी जिलाधिकारियों के अलावा पुलिस अधीक्षक को भी पराली जलाने पर रोक के बाद भी अंकुश न लगने पर सख्ती बरतने को कहा है। सीएम योगी ने सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि पराली जलाने की घटनाओं को हर स्थिति में रोका जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहीं भी किसानों के प्रति सख्ती को इस समस्या का हल नहीं बताया है।

पराली जलाने पर शासन की ओर से की जाने वाली सख्ती अब किसानों के लिए एक नयी समस्या बन गई है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसान खेतों में तैयार खड़ी फसल को देखकर चिंतित हैं। क्योंकि उन्हें फसल काटने के लिए मजदूर मिल नहीं रहे हैं, अगर मजदूर मिल भी रहे हैं तो किसान उनका मेहनताना देने में सक्षम नहीं है। वहीं दूसरी तरफ हार्वेस्टर से कटाई कराने पर भी शासन द्वारा रोक लगा दी गयी है। हार्वेस्टर द्वारा कटाई होने पर खेतों मे लगभग छह से आठ इंच लम्बी पराली खड़ी रह जाती है, जिसे साफ कराना किसानों के लिए बड़ी समस्या होती है और यदि बड़ा काश्तकार है तो यह समस्या और भी बड़ी हो जाती है। क्योंकि ऐसे में पहले किसान पराली को जला देते थे, जिससे इसके नष्ट होने के साथ ही खेत अगली फसल के लिए जल्दी तैयार भी हो जाता था। लेकिन शासन के आदेश के बाद किसान परेशान हैं।

इसे भी पढ़ें : मथुरा में पराली जलाने के मामलें में 11 किसानों को जेल और 300 को नोटिस

पराली जलाने वाले किसानों को लेकर शासन सख्त है। किसानों पर कार्रवाई की जा रही है। शासन की लगातार कार्रवाही से किसान इस पेशोपश मे उलझे हुए हैं कि मजदूरों के अभाव में न कट पाने के कारण खेतों मे ही नष्ट हो रही फसल को कैसे कटवाया जाए? चोरी-छिपे हार्वेस्टर से कटवा भी लिया तो पराली साफ कराने के लिए मजदूर कहां से आएंगे। मजदूरों के अभाव में पराली जलाने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं। "धान के कटोरे" के रूप में जाने जाने वाले चंदौली के किसान शासन की प्रणाली से बेहद परेशान हैं और सवाल भी खड़े कर रहे हैं।
 

मोहन प्रसाद.jpg

जिले के बबुरी क्षेत्र के उतरौत गांव के किसान मोहन प्रसाद कहते है कि, 'शासन की सख्ती से पराली न जलाने पर पर्यावरण का प्रदूषण हो सकता है रूक जाए, लेकिन जाड़े में वही पुआल अलाव में जलाने से शासन किस-किस को रोकेगी।' अपनी फसल की तरफ देखते हुए उदास किसान मोहन प्रसाद कहते हैं कि, 'ठंडी के मौसम में सरकार खुद अलाव जलवाती है, उससे उठने वाला धुआं क्या पर्यावरण को प्रभावित नहीं करता है। सरकार किसानों पर तो कार्रवाई कर रही है, उन मीलों और भट्टों के मालिकों पर कार्रवाई क्यों नही करती जिसकी चिमनियों से दिन रात पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला धुआं निकलता है।'

एक अन्य किसान किसान त्रिभुवन नारायण कहते हैं कि, 'मेरे पास बावन बीघा की खेती है। पूरे खेत में धान की फसल तैयार है। किसी तरह से मजदूरों से बात करके कुछ धान की कटाई हुई है, अब मजदूर नहीं मिल रहे हैं। खेतों मे पराली पड़ी हुई है ज्यादा मजदूरी देकर लाए गये मजदूर पराली की सफाई कर रहे हैं। त्रिभुवन नारायण कहते हैं कि किसान तो खुद पर्यावरण का पोषण करने वाला होता है। पूरे वर्ष में केवल एक बार पराली जला कर वह अपने खेतों की सफाई करता है। बाकी साल भर वह पर्यावरण की रक्षा करता है। क्योंकि उसकी (किसान की) आजीविका इसी पर्यावरण से चलती है। सरकार पर गुस्सा दिखाते हुए त्रिभुवन नारायण कहते हैं कि किसानों के लिए उदार कहीं जाने वाली सरकार किसानों के प्रति इतनी सख्त क्यों है, ये तो हमें समझ ही नहीं है।
 

उतरौत निवासी महेंद्र मौर्य का कहना है कि, 'सरकार किसानों की समस्या लगातार बढ़ा रही है। सरकार को क्यों किसानों की समस्या दिखाई नहीं दे रही है। महेंद्र मौर्य पूर्व ग्राम प्रधान भी हैं।

किसान राणा प्रताप सिंह कांटा का कहना है कि, 'किसान कितनी मुश्किल से अपनी आजीविका चलाते हैं ये किसी को मालूम है? अब पराली की वजह से एक और समस्या आ गई है। पहले ही कम समस्या है क्या किसानों के लिए।

किसान मनोज कुमार का कहना है कि, "क्या सरकार को हमारे पराली जलाने से सारी समस्या दिखायी दे रही है। बाकी चीजों से नहीं।

किसानों की इस समस्या के बारे में जब जिला कृषि अधिकारी राजीव भारती से बात की गई तो उन्होने कहा कि जनपद के किसानों में पराली को काट कर भूसा बनाने वाले यंत्र के अलावा कई प्रकार के यंत्र वितरित किए गये हैं, जिससे पराली को समाप्त किया जा सकता है। किसान पराली को नष्ट करने के लिए इन यंत्रों का प्रयोग करें लेकिन किसी भी दशा में न जलाए। जब अधिकारी से यह पूछा गया कि, जिले भर में कितने यंत्र बांटे गए हैं तो जिला कृषि अधिकारी कुछ भी नहीं बता पाए। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे मे उप कृषि निदेशक साहब से बात कर लें। उप कृषि निदेशक विजय सिंह ने बताया कि, 'किसानों के पच्चीस ग्रुप को कस्टम हायरिंग यंत्र अस्सी प्रतिशत अनुदान पर दिए गए हैं। जिसकी सहायता से पराली को बिना जलाए नष्ट किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिले के अस्सी प्रतिशत किसानो  ने अपनी फसल काट ली है। वे इन यंत्रों के प्रयोग से पराली का सुरक्षित निस्तारण भी कर रहे हैं। खेतों में पराली न छूटे इसलिए हार्वेस्टर के प्रयोग पर भी अंकुश लगाया गया है।

आश्चर्य की बात तो ये है कि जिले के कृषि अधिकारियों के बयान के विपरीत कस्टम हायरिग मशीन के प्रयोग तो दूर, अधिकतर किसान इन यंत्रों के बारे मे जानकारी तक नहीं रखते। इन मशीनों के बारे पूछे जाने पर अनभिज्ञता जताते हुए जरखोर गांव के किसान रविन्द्र प्रताप सिंह बताते हैं कि, 'हमें इन यंत्रों के बारे मे कोई जानकारी नहीं है। इस यंत्र के बारे में बताने पर उन्होंने कहा कि, 'अगर हम इसे इस्तेमाल भी करें तो हमारा काम बहुत ज्यादा जटिल हो जाएगा।' पहले मजदूरों पर खर्च कर धान की कटाई कराएं, फिर पराली काटने के लिए इस मशीन पर खर्च करें तो हमे कितना फायदा होगा? सरकार हमारे अनाज की कितनी कीमत और कैसे देती है ये किसी से तो छिपा नहीं है।

बुधवार को एक और दिलचस्प घटना हुई। सैयदराजा (चंदौली) के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू और किसान ट्रैक्टर पर पराली लाद कर जिलाधिकारी दफ्तर भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस पराली का मैं क्या करूं।

जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने भी किसानों से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने की बात कहते हुए किसानों का सहयोग करने की अपील की और कहा कि पराली नहीं जलाकर अपना काम कर लें। उसके लिए शासन- प्रशासन आपके सहयोग में है।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकारों से किसानों के प्रति नरम रुख अपनाने को कहा है न कि बेवजह की सख़्ती। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मसले पर सुनवाई करते हुए नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की सरकार को निर्देश दिया था कि पराली के समाधान के लिए छोटे एवं मध्यम किसानों को सात दिन के भीतर प्रति कुंतल पर 100 रुपये की सहायता दी जाए, ताकि वे पराली न जलाएं। कोर्ट ने कहा था कि राज्यों द्वारा किसानों को भाड़े पर मशीन मुहैया कराया जाए और ये निर्देश भी दिया कि इसके लिए जो भी राशि आएगा, उसका वहन राज्य सरकारें करें।

देश की शीर्ष अदालत ने सरकारों से कहा, ‘किसानों को सज़ा देना कोई समाधान नहीं है। उन्हें मूलभूत सुविधाएं दी जाए। किसानों को मशीनें दी जानी चाहिए, न कि सज़ा।’

इसे भी देखेें : 

parali
matura farmer punishment for burning of prali
supreme court decision on parali
modi sarkar
Environmental Pollution

Related Stories

मंत्रिमंडल ने तीन कृषि क़ानून को निरस्त करने संबंधी विधेयक को मंज़ूरी दी

तेलंगाना की पहली सुपर थर्मल पावर परियोजना को हरी झंडी देने में अहम मुद्दों की अनदेखी?

कार्टून क्लिक: जो दरिया झूम के उट्ठे हैं तिनकों से न टाले जाएंगे...

देशभर में किसान मज़दूर मना रहे ‘काला दिवस’, जगह जगह फूंके जा रहे हैं मोदी सरकार के पुतले

विशेष: जब भगत सिंह ने किया किसानों को संगठित करने का प्रयास

शुक्रिया सुप्रीम कोर्ट...! लेकिन हमें इतनी 'भलाई' नहीं चाहिए

प्रिय भाई नरेंद्र सिंह जी, काश… : कृषि मंत्री की चिट्ठी के जवाब में एक खुली चिट्ठी

सरकार, जनविरोध और चिरपरिचित लेबलबाज़ी!

पंजाब में किसान आंदोलनः राज्य की आर्थिक व राजनीतिक घेराबंदी करती केंद्र सरकार

मोदी सरकार के विरुद्ध होगी यह पांचवी आम हड़ताल


बाकी खबरें

  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • hardik patel
    भाषा
    हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया
    18 May 2022
    उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्यागपत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
  • perarivalan
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया
    18 May 2022
    उम्रकैद की सज़ा काट रहे पेरारिवलन, पिछले 31 सालों से जेल में बंद हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद उनको कभी भी रिहा किया जा सकता है। 
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि
    18 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 17 फ़ीसदी मामलों की बढ़ोतरी हुई है | स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटो में कोरोना के 1,829 नए मामले सामने आए हैं|
  • RATION CARD
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी
    18 May 2022
    लखनऊ: ऐसा माना जाता है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे मुफ्त राशन वित
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License