NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
फाइज़र का 2021 का राजस्व भारत के स्वास्थ्य बजट से सात गुना ज़्यादा है
2020 से 2021 के बीच फाइज़र के राजस्व में 140 फ़ीसदी की बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। जहां कई गरीब़ देशों को वैक्सीन का इंतज़ार है, वहीं फाइज़र ने मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आपूर्ति सिर्फ़ उच्च आय वाले देशों तक सीमित कर दी।
रिचा चिंतन
12 Feb 2022
Pfizer

फाइज़र कंपनी की हालिया वित्त रिपोर्ट से पता चलता है कि जब दुनिया महामारी से जूझ रही थी, तब बड़ी फार्मा कंपनियां मुनाफ़ा कमाने में जुटी थीं। खासतौर पर फाइज़र को बेतहाशा मुनाफ़ा हुआ है। 2021 में 12 महीनों के दौरान फाइज़र के राजस्व में 95 फ़ीसदी का इज़ाफा हुआ है। कंपनी का राजस्व पिछले साल के 42,000 मिलियन से बढ़कर 2021 में 81,000 मिलियन डॉलर पहुंच गया।

2020-21 के बीच में फाइज़र कंपनी की कुल आय 9,000 मिलियन से बढ़कर 22,000 मिलियन डॉलर पहुंच गई। मतलब 140 फ़ीसदी का इज़ाफा। सिर्फ़ तुलना के लिए बता दें कि फाइज़र का 2021 का राजस्व भारत द्वारा घोषित स्वास्थ्य बजट (11,867 मिलियन डॉलर) का सात गुना है।

खुद फाइज़र के शब्दों में फाइज़र के राजस्व में आए उछाल की मूल वज़ह कोविड-19 वैक्सीन रही है, जिसे बॉयोएनटेक ने विकसित किया था- "अगर फाइज़र के राजस्व से पैक्सलोविड और वैक्सीन को हटा दें, तो कंपनी के राजस्व में सिर्फ़ 6 फ़ीसदी का इज़ाफा हुआ है।"

2022 के अनुमान आय में बढ़ोत्तरी को बताते हैं

2020 और 2021 के बीच फाइज़र का राजस्व 41.6 बिलियन डॉलर से बढ़कर 81.3 बिलियन डॉलर पहुंच गया। 2021 के राजस्व में वैक्सीन की सीधी बिक्री और इससे जुड़े अन्य राजस्व की मात्रा 36.8 बिलियन डॉलर है। 

कंपनी के अनुमानों के मुताबिक़ 2022 के दौरान फाइज़र को 98 बिलियन डॉलर से 102 बिलियन डॉलर का राजस्व हासिल होने की संभावना है।

उच्च आय वाले देशों के बाज़ारों पर ज़्यादा ध्यान

जब कम और निम्न-मध्यम आय वाले देश वैक्सीन का इंतज़ार कर रहे थे, तब फाइज़र ने अपनी बिक्री का ध्यान मुख्यत: ज़्यादा आय वाले देशों पर लगाया। आज तक अफ्रीका में सिर्फ़ 11 फ़ीसदी लोगों का ही पूर्ण टीकाकरण हुआ है। फाइज़र द्वारा निर्मित वैक्सीन में से 80 फ़ीसदी उच्च आय वाले देशों- अमेरिका और यूरोप में गया है।

इसके उलट चीन में विकसित साइनोफार्म वैक्सीन ने 60 फ़ीसदी से ज़्यादा उत्पादित वैक्सीन निम्न आय और निम्न-मध्यम आय वाले देशों (विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोवैक्स सुविधा समेत) में भेजी है। इसी तरह एस्ट्राजेनेका की करीब़ 50 फ़ीसदी वैक्सीन निम्न आय और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में गई हैं। इसमें भी कोवैक्स को की गई आपूर्ति शामिल है।

मई 2021 में फाइज़र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल्बर्ट बाउरेला ने कहा, "निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने कंपनी की वैक्सीन के लिए मांग नहीं की।" बाउरेला का कहना है कि उच्च आय वाले देशों ने उनकी वैक्सीन के ज़्यादातर हिस्सों को आरक्षित कर लिया, जबकि कम और मध्यम आय वाले देशों ने दूसरी वैक्सीनों की तरफ रुख किया।

लेकिन वह यह बताना भूल गए कि फाइज़र ने अपनी वैक्सीन की कीमतों को बहुत ऊंचा कर रखा है, यहां तक कि गरीब़ देशों के लिए भी इन्हें कम नहीं किया गया। उदाहरण के लिए अर्जेंटीना को फाइज़र की वैक्सीन के दो डोज़ों के लिए 24 डॉलर चुकाने पड़ रहे हैं, जबकि एस्ट्राजेनेका के लिए 8 डॉलर ही चुकाने पड़ रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में फाइज़र की वैक्सीन 20 डॉलर की है, जबकि एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वहां 10।50 डॉलर में उपलब्ध है।

बाउरेला ने यह दावा भी किया था कि "फाइज़र की वैक्सीन का 40 फ़ीसदी हिस्सा या एक अरब खुराकें इस साल मध्यम और निम्न आय वाले देशों में जाएंगी। 2021 के दूसरे उत्तरार्द्ध में आपूर्ति इन देशों के पक्ष में झुकेगी।" लेकिन फाइज़र वैक्सीन का एक बहुत ही छोटा हिस्सा मध्यम और कम आय वाले देशों में गया।

फाइज़र- सार्वजनिक निधि को पाने वाली तीसरी सबसे बड़ी कंपनी

फाइज़र वैक्सीन के विकास के लिए सबसे ज़्यादा सरकारी पैसा पाने वाली कंपनियों में से एक है। जेनसेन और मॉडर्ना के बाद फाइज़र को सबसे ज़्यादा पैसा दिया गया। करीब़ 800 मिलियन डॉलर कंपनी को दिए गए। अलग-अलग वैक्सीन निर्माताओं को दिए गए पैसे का यह 17 फ़ीसदी हिस्सा था।

इसके अलावा फाइज़र को अग्रिम खरीद समझौतों (एपीए) के तहत भी सरकारी खरीद और बहुपक्षीय खरीद से पैसा मिला। यह समझौते कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण और उनकी आपूर्ति के लिए वित्त उपलब्ध कराने का एक तरीका थे। फाइज़र ने करीब़ 6,400 मिलियन डॉलर के अग्रिम खरीद समझौते और 11,340 मिलियन डॉलर के बहुपक्षीय खरीद समझौते हासिल किए। यह किसी भी कंपनी द्वारा हासिल किए गए सबसे बड़े ठेके थे।

2022 के लिए कंपनी कोरोना पर अलग-अलग उत्पाद लाकर बाज़ार के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने की तैयारी में है। जैसे- फाइज़र और बॉयोएनटेक ने एक प्राथमिक प्रयोगशाला अध्ययन के नतीज़े घोषित किए हैं, जिसमें उनकी वैक्सीन के तीन डोज़ का ओमिक्रॉन वैरिएंट पर अध्ययन शामिल था। इसी तरह वे 6 महीने से लेकर 5 साल की उम्र तक के बच्चों के लिए भी एक क्लिनिकल अध्ययन कर रहे हैं।

जहां उनकी वैक्सीन पर पेटेंट का एकाधिकार बरकरार है, वहीं कंपनी नए उत्पाद लाकर ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने की कोशिश में है। अभी हाल में सेवानिवृत्त हुए फाइज़र के मुख्य वित्तीय अधिकारी फ्रैंक डी एमेलियो ने कहा था, "मैं फाइज़र के भविष्य को लेकर कभी इतना विश्वास में नहीं था।" लेकिन यहां सभी को सही कीमत पर जिंदगी बचाने वाली दवाओं और वैक्सीन तक पहुंच का भविष्य स्याह दिखाई दे रहा है।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Pfizer’s 2021 Revenue Nearly Seven Times India’s Health Budget

Pfizer
COVID-19 Pfizer Vaccine
Covid Vaccine
High-Income countries
Pfizer Revenue
Public Funding
vaccine access

Related Stories

कोविड-19 टीकाकरण : एक साल बाद भी भ्रांतियां और भय क्यों?

जानिए ओमिक्रॉन BA.2 सब-वैरिएंट के बारे में

कोविड -19 के टीके का उत्पादन, निर्यात और मुनाफ़ा

कोविड-19: देश में 15 से 18 वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों का टीकाकरण शुरू

"क्यूबा की सोबराना वैक्सीन कोई चमत्कार नहीं, बल्कि राजनीतिक निर्णयों का नतीजा है"

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर मानवीय संकटों की अलोकप्रियता को चुनौती

ट्रिप्स छूट प्रस्ताव: पेटेंट एकाधिकार पर चर्चा से कन्नी काटते बिग फार्मा

100 करोड़ वैक्सीन डोज आंकड़े के सिवाय और कुछ भी नहीं!

क्यूबा: 60 फ़ीसदी आबादी का पूर्ण टीकाकरण, बनाया रिकॉर्ड

डेल्टा वेरिएंट के ट्रांसमिशन को टीके कब तक रोक सकते हैं? नए अध्ययन मिले-जुले परिणाम दिखाते हैं


बाकी खबरें

  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • hardik patel
    भाषा
    हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया
    18 May 2022
    उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्यागपत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
  • perarivalan
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया
    18 May 2022
    उम्रकैद की सज़ा काट रहे पेरारिवलन, पिछले 31 सालों से जेल में बंद हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद उनको कभी भी रिहा किया जा सकता है। 
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि
    18 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 17 फ़ीसदी मामलों की बढ़ोतरी हुई है | स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटो में कोरोना के 1,829 नए मामले सामने आए हैं|
  • RATION CARD
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी
    18 May 2022
    लखनऊ: ऐसा माना जाता है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे मुफ्त राशन वित
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License