NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
फ़ुटपाथ : पहले असम, फिर कश्मीर, कल बाक़ी देश!
…इसलिए बहुत ज़रूरी है कि हम असम और कश्मीर की उत्पीड़ित जनता के पक्ष में मज़बूती से खड़े हों।
अजय सिंह
21 Aug 2019
असम

‘वतन की फ़िक्र कर नादां, मुसीबत आने वाली है

तेरी बरबादियों के मशवरे हैं आसमानों में ’

                                                      - इक़बाल

हमारे देश पर वाक़ई बरबादियों के बादल मंडरा रहे हैं।

असम और कश्मीर में जो-कुछ हुआ और हो रहा है, कल उसकी चपेट में बाक़ी देश और हम सब आने वाले हैं। असम और जम्मू-कश्मीर राज्यों में - जम्मू-कश्मीर तो अब राज्य भी नहीं रहा! - केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के हिंदुत्व फ़ासीवादी राजनीतिक एजेंडे के तहत जो क़हर ढाया जा रहा है, ख़ासकर मुसलमानों पर, उसकी गिरफ़्त में बाक़ी देश भी आ रहा है। इसलिए बहुत ज़रूरी है कि हम असम और कश्मीर की उत्पीड़ित जनता के पक्ष में मज़बूती से खड़े हों।

भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में भाजपा ने अपने लोकसभा चुनाव घोषणापत्र (2019) में दो प्रमुख वादे किये थे: (1) संविधान के अनुच्छेद 370 का ख़ात्मा; और, (2) असम में जारी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की प्रक्रिया को पूरे देश में लागू करना। मई 2019 के आखि़री दिनों में केंद्र की सत्ता में वापसी के दस हफ़्ते के अंदर भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह ने इन दोनों हिंदुत्ववादी वादों को अमली जामा पहना दिया।

जम्मू-कश्मीर की जनता से किसी भी स्तर पर सलाह-मशविरा किये बग़ैर,जम्मू-कश्मीर को ‘विशेष हैसियत’ देनेवाले संवैधानिक अनुच्छेद 370 को ख़त्म कर दिया गया, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्ज़ा ख़त्म कर उसे दो केंद्र-शासित क्षेत्रों-लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बांट दिया गया, और सारे लोकतांत्रिक व नागरिक अधिकारों पर-ख़ासकर कश्मीर घाटी में-पूरी तरह रोक लगा दी गयी। यह सब भारतीय फ़ौज के बल पर हुआ (इसमें अर्द्धसैनिक बल शामिल हैं)। राजधानी श्रीनगर-समेत समूची कश्मीर घाटी को, जिसकी आबादी सत्तर से अस्सी लाख के बीच है और जो मुस्लिम-बहुल है, 4-5 अगस्त 2019 से ख़ौफ़नाक जेल में बदल दिया गया। पूछा जा सकता है कि कश्मीर के साथ यह सलूक क्या इसलिए किया गया कि यह मुस्लिम-बहुल इलाक़ा है और मुसलमान भाजपा व नरेंद्र मोदी-अमित शाह के लिए ‘दीमक’ से ज़्यादा हैसियत नहीं रखते!

भाजपा सरकार ने साफ़ संदेश दे दिया है कि देश के अन्य राज्यों के साथ भी कश्मीर-जैसा सलूक किया जा सकता है और किसी राज्य की राजधानी को फ़ौज के बल पर क़ैदख़ाना बनाया जा सकता है। कश्मीरी जनता के साथ एकजुटता जताने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों पर भी उसकी भौंहें टेढ़ी हो गयी हैं और वह दमनकारी कार्रवाई पर उतर आयी है। कश्मीरी जनता के पक्ष में लोकतांत्रिक व नागरिक अधिकार संगठनों और व्यक्तियों की ओर से किये जा रहे प्रदर्शनों और मीटिंगों को जिस तरह पिछले दिनों लखनऊ व अयोध्या से लेकर मुंबई तक में रोका गया, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को पुलिस हिरासत में लिया गया या घरों में नज़रबंद किया गया, उससे ज़ाहिर है कि कश्मीर के सवाल पर भाजपा अपने से अलग राय को बर्दाश्त नहीं करना चाहती। यह भविष्य के लिए एक और अशुभ संकेत है। 

दूसरी ओर, असम की कुल आबादी 3 करोड़ 29 लाख में कितने भारतीय और कितने ग़ैर-भारतीय हैं, यह पता लगाने और नागरिकों की सूची को अपडेट करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) बनाने का काम लगभग पूरा हो चला है। इसे 31 अगस्त 2019 को अंतिम रूप से प्रकाशित कर दिया जायेगा। इसकी वजह से असम में-ख़ासकर असम की मुस्लिम जनता के बीच-हाहाकार मचा हुआ है। एनआरसी का जो मसौदा (ड्राफ़्ट) पिछले साल जारी किया गया था, उसमें असम के 41 लाख से ज़्यादा बाशिंदों के नाम शामिल नहीं हैं, ग़ायब हैं। यानी, 41 लाख से ज़्यादा लोग असम या भारत के नागरिक नहीं हैं! इनमें क़रीब 80 प्रतिशत मुसलमान (बंगलाभाषी मुसलमान) हैं, और वे ज़्यादातर अत्यंत ग़रीब और बदहाल लोग हैं।

असम के एनआरसी की तर्ज़ पर पूरे देश में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) बनाने का ऐलान नरेंद्र मोदी-अमित शाह की भाजपा सरकार ने कर दिया है। गृह मंत्रालय ने 31 जुलाई 2019 को अधिसूचना जारी की है, जिसमें कहा गया है कि 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक देश में (असम को छोड़कर) राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने का काम चलेगा। इसमें नागरिकों का रजिस्ट्रीकरण होगा और उन्हें नागरिकता पहचानपत्र दिये जायेंगे। इसी के आधार पर भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार होगा। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में अपना नाम-पता-सबूत दर्ज़ कराना हर नागरिक के लिए अनिवार्य होगा। उसकी उंगलियों की छाप और आंखों की पुतलियों की तस्वीरें भी ली जायेंगी। (यानी, हर भारतीय को सबूत देना होगा कि वह भारत का नागरिक है!)

जिस तरह असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) ख़ासकर मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए भाजपा के हाथ में कारगर औजार बन गया है, वैसी ही गहरी आशंका राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर व्यक्त की जा रही है। असम में एनआरसी से बहुत बड़ी तादाद में मुसलमानों के नाम ग़ायब कर दिये गये हैं। असम को एक प्रकार से ‘मुस्लिम-मुक्त’ राज्य बनाने की तैयारी चल रही है। असम के कामरूप ज़िले के निवासी 102 साल के मोहम्मद अनवर अली को नोटिस जारी कर उनसे नागरिकता का सबूत मांगा गया है!

यही हाल राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी! याद रखिये, अमित शाह ‘घुसपैठियों’ (यहां पढ़िये मुसलमानों) की तुलना ‘दीमक’ से कर चुके हैं, जिन्हें ‘नष्ट करने’ का काम वह ‘ज़रूरी’ बता चुके हैं। अमित शाह यह भी कह चुके है कि ‘एक-एक घुसपैठिए’ (यहां पढ़िये मुसलमान) की ‘पहचान’ की जायेगी और उसे ‘देश से बाहर निकाला जायेगा’। क्या भारत को ‘मुस्लिम-मुक्त’ देश बनाना है?

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) बनाने की तैयारी और अनुच्छेद 370 का ख़ात्मा सत्तारूढ़ हिंदुत्व फ़ासीवादी ताक़तों का विभाजनकारी व विघटनकारी औजार बनने जा रहा है। यह देश को गहरी अशांति और विपत्ति की ओर ठेल देगा। क्या हम गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?

(लेखक वरिष्ठ कवि-पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।)

NRC
Article 370
Assam
Kashmir Crisis
BJP Govt
Narendra modi
Indian govt

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक

कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस से लेकर पंजाब के नए राजनीतिक युग तक

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!


बाकी खबरें

  • up elections
    न्यूज़क्लिक टीम
    उप्र चुनाव: आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है यह गाँव
    03 Feb 2022
    उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार तेज़ी से चल रहा है पर एक ऐसा गाँव भी है जहाँ के लोगो को उम्मीदवारों के बारे में भी पता नहीं है। आखिर ऐसा क्यों है, आइये देखते हैं इस ग्राउंड रिपोर्ट में
  • hapur
    न्यूज़क्लिक टीम
    हापुड़ः चौधरी चरण सिंह के गांव नूरपुर ने भाजपा के ख़िलाफ़ कसी कमर, कहा, सुधारेंगे ग़लती
    03 Feb 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह पहुंची हापुड़ में नूरपुर गांव, जो पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का गांव है। यहां के लोगों ने भाजपा प्रचारकों को भगा दिया, उन पर FIR हुई, लेकिन वह…
  •  farm
    सुजॉय तरफ़दार
    उत्तर प्रदेश: मजबूर हैं दूसरे धंधों को अपनाने के लिए ढीमरपुरा के किसान
    03 Feb 2022
    झांसी में पाहुज इलाके के ज़्यादातर गांव वाले प्रवासी मज़दूरों में बदल गए हैं। क्योंकि उनकी ज़मीन साल के ज़्यादातर वक़्त पानी के भीतर रहती है। ऊपर से उनके पास यहां संचालित मत्स्य आखेटन का ठेका हासिल…
  • Aadiwasi
    राज वाल्मीकि
    केंद्रीय बजट में दलित-आदिवासी के लिए प्रत्यक्ष लाभ कम, दिखावा अधिक
    03 Feb 2022
    दलितों और आदिवासियों के विकास के सम्बन्ध में  सरकार की बातों में जो उत्सुकता दिखाई देती है, वह 2022-23 वित्तीय वर्ष के दलितों और आदिवासियों से सम्बंधित बजट में नदारद है।  
  • Goa election
    राज कुमार
    गोवा चुनाव: विधायकों पर दल-बदल न करने का दबाव बना रही जनता, पार्टियां भी दिला रहीं शपथ
    03 Feb 2022
    पिछले विधानसभा चुनाव में 17 सीटें जीतने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी। जबकि भाजपा ने 13 सीटें जीतकर भी सरकार बना ली थी। अंत तक आते-आते कांग्रेस के 12 विधायक भाजपा में ही शामिल हो गये। इस…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License