NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
जन्मोत्सव, अन्नोत्सव और टीकोत्सव की आड़ में जनता से खिलवाड़!
देश में पहली बार हो रहा है कि वैक्सीन लगवाने के लिए किसी नेता के जन्मदिन का इंतज़ार करना पड़ रहा है। 17 सितंबर के दिन देशव्यापी टीकाकरण का आयोजन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 71वें जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए किया गया।
सत्यम श्रीवास्तव
19 Sep 2021
मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बधाई संदेश लिखते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। फोटो साभार:  दैनिक भास्कर

अब एक संप्रभु लोकतान्त्रिक गणराज्य के नागरिकों को जीवन रक्षक वैक्सीन के लिए अपने बादशाह सलामत के जन्मदिन का इंतज़ार करना होगा? क्या यही ‘न्यू इंडिया’ है? क्या एक कल्याणकारी राज्य का चोला उतारा जा चुका है और पूरी बेहयाई से राज्य महज़ एक नेता के अधीन किया जा चुका है और नागरिकों ने सविनय खुद को एक राजा की प्रजा मान लिया है?

बीते 7 सालों से जिस ‘न्यू इंडिया’ को गढ़ने का अभियान ज़ोरों शोरों से चलाया जा रहा था उसकी एक स्पष्ट तस्वीर 17 सितंबर को भी देखने को मिली। लेकिन यह परिणति नहीं है। अभी और भी मंज़र देखने मिलेंगे।

85 करोड़ नागरिकों को अन्न जैसी बुनियादी ज़रूरत के लिए अश्लील और फूहड़ता की सारे हदें पार करते हुए ‘अन्न उत्सव’ मनाए जाने के नज़ारे हमारे सामने से गुजरे हैं। टीका उत्सव का एक अभियान भी हमने देखा और उसका क्षणिक उत्सवी हश्र भी देखा।

अब जीवन रक्षा हेतु कोरोना वैक्सीन का एक दिवसीय अभियान हम नागरिकों को उस व्यवस्था में ले जा चुका है जिसे इतिहास में ‘सामंतवाद या राजशाही या राजतंत्र’ कहा गया है। जहां न तो नागरिक की अवधारणा थी और न ही नागरिक अधिकारों की। राज्य की कमान ईश्वर के प्रतिनिधि माने जाने वाले राजा के पास होती थी। अगर ईश्वर का यह प्रतिनिधि खुश है तो वह प्रजा के लिए कुछ उपकार के काम कर दिया करता था।

स्रोत: Cowin

प्रजा के हिस्से केवल राजा की स्तुति करना था। यही उसके अख़्तियार में भी था। आलोचना करना या नाफरमानी करना तब एक अपराध था और दंड का विधान भी राजा के हाथों में था।

17 सितंबर के दिन देशव्यापी टीकाकरण का आयोजन, नरेंद्र मोदी के 71वें जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए किया गया। इसमें कोई किन्तु परंतु न तो सरकार की तरफ से आरोपित किया गया और न ही भारतीय जनता पार्टी की तरफ से। बल्कि औपचारिक तौर पर देश को यह बतलाया गया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विशेष तौर पर इस अभियान की योजना बनाई गयी ताकि नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 2 करोड़ नागरिकों को वैक्सीन देने का कीर्तिमान रचा जाये।

इस एक आयोजन से कई-कई गुनाहों पर पर्दा डाल दिया गया। नागरिकों की स्मृति से महज़ दो -तीन महीनों पहले के वो सारे दृश्य गायब कर दिये गए जो वैक्सीन के अभाव में इसी देश में पैदा हुए थे। वैक्सीन को लेकर भारत सरकार की नीतिगत आपराधिक असफलताओं को इतिहास की गुप्त कन्दराओं में दफन कर दिया गया। आज का सत्य यह है कि देश के प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर देश में दो-ढाई करोड़ नागरिकों को वैक्सीन दी गयी।

हालांकि इससे एक बात तो पुन: साबित हुई कि इसी देश में वो क्षमताएं हैं कि एक दिन में इतनी बड़ी आबादी का टीकाकरण किया जा सकता है और ये व्यवस्थाएं और क्षमताएं महज़ सात सालों में अर्जित नहीं हुईं हैं। इस अभियान से यह भी स्थापित हुआ कि देश में टीकों की कमी नहीं है बल्कि जानबूझकर टीकों के वितरण में कौताही बरती जा रही है ताकि नागरिकों को अपनी दया पर आश्रित बनाया जा सके।

संभव है सहज गति से संचालित करने में संख्या में कुछ कमीबेशी हो जाये लेकिन इतनी आबादी को एक साथ टीका दिया जा सकता है। इसी देश में पल्स पोलियो अभियान के कई कई चरणों में 17 करोड़ बच्चों को एक साथ एक दिन में ओरल टीका देने का रिकार्ड दर्ज़ है। और यह बिना किसी नेता के जन्म दिन का इंतज़ार किए बिना या तब के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किसी एक शख्सियत की खुशामद के लिए किया गया। बल्कि केवल इसलिए किया गया क्योंकि यह देश के हर बच्चे का मूलभूत संवैधानिक अधिकार है और हर बच्चे को टीका देना राज्य की संवैधानिक ज़िम्मेदारी। पोलियो के अलावा ऐसे कितने ही जीवन रक्षक टीके हैं जो इस देश में पैदा होने वाले हर बच्चे को सहज उपलब्ध हैं लेकिन इन्हें कभी किसी राजनैतिक दल या नेता विशेष के जन्मदिन का तोहफा नहीं बनाया गया। ज़रूर समयबद्ध अभियान संचालित कराने के लिए विशेष प्रबंधन किया जाता रहा लेकिन सारे प्रयास सरकारी तंत्र की तरफ से ही हुए। 

बतलाया गया कि 17 सितंबर को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के करीब 6 लाख कार्यकर्ताओं ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और चुनाव की तरह घर-घर से लोगों को टीकाकरण के बूथ तक लेकर आए। ठीक इसी तरह की सक्रियता इन कार्यकर्ताओं ने ‘अन्न-उत्सव’ के दौरान भी दिखलाई थी। इसके सबक यह हैं कि अब कोई राष्ट्रीय अभियान महज़ अब सरकारी उद्यम नहीं रह गया है बल्कि इसमें सत्तासीन दल के कार्यकर्ताओं की भागीदारी अनिवार्य है। यह एक नयी तरह की व्यवस्था है जिसे उस पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की तर्ज़ पर देखा जा सकता है जो सरकार के बरक्स एक समानान्तर तंत्र रचता है। ऐसे में यह टीकाकरण एक दल विशेष का आयोजन हो जाता है और नागरिकों के सामने वो दल होता है न कि सरकार।

इसके गंभीर परिणाम उन राजनैतिक दलों को भुगतने पड़ते हैं जो सत्ता, सरकार और दल के बीच अनिवार्य रूप से सकारात्मक भेद बनाए रखना चाहते हैं। जो राजनैतिक दल और उसके कार्यकर्ताओं की सक्रियता और भागीदारी तो महज़ चुनाव प्रक्रिया तक सीमित करना चाहते हैं। ताकि सरकार के काम काज में एक सार्वभौमिकता और देश के सभी नागरिकों के बीच एक समान ज़िम्मेदारी व जबावदेही सुनिश्चित की जा सके।

17 सितंबर के इस अभियान और अन्न उत्सव के अभियानों को देखें तो देश के दूर दराज़ इलाकों में जो मुख्य संदेश दिये गए उनमें नरेंद्र मोदी की घटती लोकप्रियता को दुरुस्त करते हुए नए कीर्तिमान से वापिस हासिल कर लिया गया। यह स्थापित करने की चेष्टा की गयी कि देश में एकमात्र नेता नरेंद्र मोदी हैं जिनके रहमो करम पर देश का वर्तमान और भविष्य आधारित है। यह भी संदेश दिया गया कि अगर नरेंद्र मोदी ठान लें तो एक दिन में ढाई करोड़ लोगों को भी टीका दिया जा सकता है और इस बहाने नरेंद्र मोदी को एक मजबूत नेता के तौर पर पुनर्स्थापित करने की कोशिश की गयी।

निस्संदेह ऐसे कार्यक्रमों से ज़मीनी कार्यकर्ताओं को पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय बनाए रखने के अवसर पैदा किए जाते हैं और अपने अपने क्षेत्रों में उनका भी प्रभाव ऐसे आयोजनों से बढ़ता ही है। देश के नागरिकों को भी लगता है कि हर समय अगर कोई राजनैतिक दल उनके साथ है तो वो केवल भारतीय जनता पार्टी है। मौजूदा विपक्षी राजनैतिक दलों के पास न ऐसे प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं और न ही उनके पास ऐसे आयोजन ही। दिलचस्प ये है कि नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को विपक्षी दलों और ऐसे युवाओं ने जो भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ या किसी अन्य आनुषंगिक संगठनों से संबद्ध नहीं हैं, ने राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के तौर पर मनाया। इस आयोजन ने भी 17 सितंबर के पूरे दिन अपना प्रभाव बनाकर रखा। चर्चा में न केवल टीकों का कीर्तिमान रहा बल्कि बेरोजगार दिवस की भी उतनी ही धमक रही। इससे कम से कम इस बात का एहसास बना रहा कि हर रोज़ नागरिक गरिमा से च्युत किए जा रहे देश में कुछ युवा हैं जो इस देश की सत्ता से सवाल पूछना और उसकी आलोचना करना अपना नागरिक दायित्व मानते हैं। 

भाजपा शासित प्रदेशों में एकदिनी टीकाकरण का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा और गैर भाजपा शासित प्रदेशों में सुस्ती बरतने की सुर्खियां बनायीं गईं लेकिन अगर आंकड़ों में देखें तो निरंतरता के मामले में गैर भाजपा शासित प्रदेशों के कुल प्रदर्शन कहीं बेहतर रहा है। इसलिए सुस्ती बरतने की सुर्खियों को इस रूप में भी देखा जाना चाहिए कि कॉर्पोरेट मीडिया और भाजपा इन सरकारों से जबरन नरेंद्र मोदी को देश का राजा मनावाना चाहते हैं।

बहरहाल इसी गति से अगर टीकाकरण किया जाता है तो यह एक अच्छी पहल होगी। हालांकि उत्सव धर्मी और हेडलाइन बटोरने को आतुर इस सरकार के किसी काम में निरंतरता रहेगी कहना मुश्किल है। 

_________________

(लेखक क़रीब डेढ़ दशक से सामाजिक आंदोलनों से जुड़े हुए हैं। समसामयिक मुद्दों पर लिखते हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।) 

COVID-19
Coronavirus
COVID 19 Vaccines
Narendra modi
Modi government

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • जितेन्द्र कुमार
    मुद्दा: बिखरती हुई सामाजिक न्याय की राजनीति
    11 Apr 2022
    कई टिप्पणीकारों के अनुसार राजनीति का यह ऐसा दौर है जिसमें राष्ट्रवाद, आर्थिकी और देश-समाज की बदहाली पर राज करेगा। लेकिन विभिन्न तरह की टिप्पणियों के बीच इतना तो तय है कि वर्तमान दौर की राजनीति ने…
  • एम.ओबैद
    नक्शे का पेचः भागलपुर कैंसर अस्पताल का सपना अब भी अधूरा, दूर जाने को मजबूर 13 ज़िलों के लोग
    11 Apr 2022
    बिहार के भागलपुर समेत पूर्वी बिहार और कोसी-सीमांचल के 13 ज़िलों के लोग आज भी कैंसर के इलाज के लिए मुज़फ़्फ़रपुर और प्रदेश की राजधानी पटना या देश की राजधानी दिल्ली समेत अन्य बड़े शहरों का चक्कर काट…
  • रवि शंकर दुबे
    दुर्भाग्य! रामनवमी और रमज़ान भी सियासत की ज़द में आ गए
    11 Apr 2022
    रामनवमी और रमज़ान जैसे पर्व को बदनाम करने के लिए अराजक तत्व अपनी पूरी ताक़त झोंक रहे हैं, सियासत के शह में पल रहे कुछ लोग गंगा-जमुनी तहज़ीब को पूरी तरह से ध्वस्त करने में लगे हैं।
  • सुबोध वर्मा
    अमृत काल: बेरोज़गारी और कम भत्ते से परेशान जनता
    11 Apr 2022
    सीएमआईए के मुताबिक़, श्रम भागीदारी में तेज़ गिरावट आई है, बेरोज़गारी दर भी 7 फ़ीसदी या इससे ज़्यादा ही बनी हुई है। साथ ही 2020-21 में औसत वार्षिक आय भी एक लाख सत्तर हजार रुपये के बेहद निचले स्तर पर…
  • JNU
    न्यूज़क्लिक टीम
    JNU: मांस परोसने को लेकर बवाल, ABVP कठघरे में !
    11 Apr 2022
    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दो साल बाद फिर हिंसा देखने को मिली जब कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से संबद्ध छात्रों ने राम नवमी के अवसर कैम्पस में मांसाहार परोसे जाने का विरोध किया. जब…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License