NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
इस वक़्त रोज़गार की सुरक्षा और नई नौकरियां पैदा करना सबसे अहम मुद्दा है
देश में बड़े स्तर की बेरोज़गारी के आंकड़ों का परीक्षण करने के बाद, प्रकाश करात कहते हैं कि इस समस्या से निपटने के लिए जनता के नेतृत्व में आंदोलन की जरूरत है।
प्रकाश करात
10 Nov 2020
रोज़गार

देश में बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है। महामारी के विस्फोट और लॉकडाउन लगाने के बाद, उद्योग, छोटे धंधों, सेवा क्षेत्र और अनौपचारिक क्षेत्र में लगे लाखों लोग अपने काम-धंधे से हाथ धो चुके हैं।

कोरोना से पहले भी बेरोज़गारी लगातार बढ़ रही थी।

नोटबंदी और उसके बाद गलत तरीके से लागू किए गए जीएसटी के चलते छोटे उत्पादकों और छोटे उद्यमों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। नतीज़तन बेरोज़गारी में लगातार उछाल आता जा रहा है। 2017-18 के "पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS)", जिसके आंकड़ों को सरकार ने दबाने की कोशिश की थी, उसके मुताबिक़, बेरोज़गारी दर पिछले पांच दशकों के इतिहास में सबसे ज़्यादा तेजी से ऊपर चढ़ी है। 2018-19 के PLFS आंकड़ों में भी यही तस्वीर सामने आई।

लॉकडाउन उठाने और कुछ आर्थिक गतिविधियों के चालू होने के बाद भी ज़्यादातर लोगों को नौकरी वापस नहीं मिली है। कोरोना से पहले की तुलना में रोज़गार की स्थिति अभी बेहद नीचे हैं।

2019 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइज़ेशन (NSSO) ने भी एक सर्वे किया। लेकिन इस सर्वे के आंकड़े तो और भी स्याह हैं। 2019 में 15 से 59 साल के बीच की उम्र के लोगों में 67 फ़ीसदी ग्रामीण पुरुष, 21 फ़ीसदी ग्रामीण महिलाएं, 71 फ़ीसदी शहरी पुरुष और 19 फ़ीसदी शहरी महिलाओं ने पारिश्रमिक कार्यों में हिस्सेदारी ली।

रोज़गार के क्षेत्र में स्थिति मार्च के आखिरी हफ़्ते में लॉकडाउन लगाए जाने के बाद और भी ज़्यादा बदतर हो गर्ई। लॉकडाउन हटाने के बाद और कुछ आर्थिक गतिविधियां चालू होने के बाद भी ज़्यादातर नौकरियों पर पुरानी बहाली नहीं हो पाई है, कोरोना के पहले की तुलना में रोजग़ार की मौजूदा स्थिति बेहद नीचे है।

एक निजी शोध संगठन, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इक्नॉमी (CMIE) रोज़गार की स्थितियों पर राष्ट्रीय सर्वे कर रहा है। CMIE सर्वे के लिए जो सैंपल उपयोग किए जा रहे हैं, उनमें अनौपचारिक क्षेत्र के कामग़ारों का बहुत कम प्रतिनिधित्व शामिल है। परिणामस्वरू CMIE के सर्वे में बेरोज़गारी की समस्या का कम आंकलन किया गया है और लॉकडाउन हटने के बाद रिकवरी को ज़्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है।

इसके बावजूद हाल के CMIE मासिक आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण बेरोज़गारी दर 6.9 फ़ीसदी पर है, वहीं राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर अक्टूबर में 6.89 फ़ीसदी रही। मनरेगा में शुरुआत में काम देने में जो उछाल था, वह लॉकडाउन हटने के बाद खत्म हो गया है। अक्टूबर में सिर्फ़ 17 करोड़ 30 लाख 'व्यक्ति-दिन (पर्सन-डेज़)' का काम दिया गया। जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 26 करोड़ 50 लाख था।

बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी हजारों परिवारों के लिए तनाव बढ़ा रही है।

बिना नियमित आय के वे लोग स्वास्थ्य सेवाएं नहीं ले सकते, अपने बच्चों को स्कूल भेजने या परिवार के खाने का तक इंतजाम नहीं कर सकते। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक़, दैनिक मज़दूरी करने वालों की आत्महत्या दर 2019 में बढ़ी है। 2020 में नौकरियां जाने से यह समस्या और तेज हो गई।

लेकिन मोदी सरकार इस समस्या का समाधान करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है, उसे परवाह ही नहीं है।

बहुत थोड़े मौद्रिक राहत पैकेज से आजीविका दोबारा सुचारू होने में नाकामयाब रही है और ना ही नौकरियां पैदा हो रही हैं। जिन लोगों को आजीविका का नुकसान हुआ, सरकार उन्हें मदद के तौर पर नगदी के हस्तांतरण में नाकामयाब रही। सरकारी और अर्द्धसरकारी संस्थाओं में लाखों रिक्तियां हैं, जिन्हें भरा नहीं जा रहा है।

मौजूदा बिहार चुनाव के कैंपेन ने बताया है कि लोगों के लिए रोज़गार कितनी अहमियत रखती है। महागठबंधन द्वारा 10 लाख नौकरियों का वायदा किया गया, जिसे जातियों और समुदायों के परे जाकर बहुत सराहना मिली, खासकुर युवा वर्ग ने इस वायदे को सर-आंखों पर लिया।

बिना नियमित आय के वे लोग स्वास्थ्य सेवाएं नहीं ले सकते, अपने बच्चों को स्कूल या परिवार के खाने का तक इंतजाम नहीं कर सकते।

चाहे चुनावों के नतीज़े जो भी हों, बिहार चुनाव कैंपेन ने रोजगार श्रृजन पर सबका ध्यान केंद्रित करवाया है।

इसलिए जरूरी है कि बेरोज़गारी के खिलाफ़ संघर्ष को अब प्राथमिकता बनाया जाए।

रोज़गार के आंदोलन में युवा आंदोलन की बड़ी अहमियत होगी। लेकिन अब यह ज़्यादा विस्तृत अहम मुद्दा है, जिसमें दूसरे कामग़ार लोगों के संगठनों, ट्रेड यूनियनों, कृषि कामग़ारों और ग्रामीण कामग़ार संगठनों, छात्र और महिला आंदलनों का शामिल होना जरूरी है।

यह याद रखा जाना जरूरी है कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बेरोज़गार लोगों की बड़ी संख्या कामग़ार वर्ग से आती है। उन्हें इकट्ठा किया जाना चाहिए।

रोज़गार के लिए संघर्ष महिलाओं का मुद्दा भी है, क्योंकि इनमें एक बड़ा हिस्सा इस वक़्त बेरोज़गार है।

पढ़े-लिखे युवा इस वक़्त स्याह भविष्य की ओर देख रहे हैं। इस सभी वर्गों को रोज़गार के संघर्ष में शामिल करना होगा।

इस मिले जुले संघर्ष में ध्यान इस बात पर केंद्रित होना चाहिए कि बेरोज़गार लोगों को राज्य बेरोज़गारी भत्ता मुहैया कराए।

रोज़गार आंदोलन में युवा आंदोलन एक अहम भूमिका अदा करेगा।

आयकर स्लैब में ना आने वाले लोगों के लिए 7,500 रुपये प्रति महीने की आय की मदद की मांग, सभी को जोड़ने वाला एक बड़ा मुद्दा है। एक शहरी रोज़गार गारंटी योजना जरूर होनी चाहिए। मनरेगा को विस्तार देकर उसमें एक साल में बढ़े हुए भत्ते के साथ 200 दिनों का काम देना चाहिए।

बड़े खाद्यान्न भंडारों को देखते हुए, नवंबर के बाद भी नि:शुल्क खाद्यान्नों का वितरण होना चाहिए।

कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर में रोजग़ार पैदा करने के लिए ज़्यादा सार्वजनिक निवेश किया जाना चाहिए। आखिर में, केंद्र और राज्य सरकारों को अलग-अलग विभागों और राज्य उद्यमों में खाली रिक्तियों को युद्ध स्तर पर भरना चाहिए।

(प्रकाश करात CPI(M) के नेता हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)

यह लेख मुख्यत: द लीफ़लेट पर प्रकाशित हुआ था।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Protecting Employment and Creating Jobs Matters the Most

unemployment
economic growth
BJP
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 4,194 नए मामले, 255 मरीज़ों की मौत
    11 Mar 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.10 फ़ीसदी यानी 42 हज़ार 219 हो गयी है।
  • गोवा में फिर से भाजपा सरकार
    राज कुमार
    गोवा में फिर से भाजपा सरकार
    11 Mar 2022
    गोवा में कुल 40 विधानसभा सीटों पर मतदन हुआ था जिसमें से भाजपा ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की है, कांग्रेस ने 11, गोवा फारवर्ड पार्टी एक सीट, महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के खाते में 2 सीटें, आम आदमी…
  • maduro
    तान्या वाधवा
    अमेरिकी सरकार के साथ बैठक के बाद मादुरो का विपक्ष के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का ऐलान
    11 Mar 2022
    राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की समाजवादी सरकार और विपक्ष के बीच संवाद प्रक्रिया अक्टूबर 2021 से रुकी हुई थी। इस बीच वेनेजुएला और अमेरिका के बीच के राजनयिक रिश्ते जनवरी 2019 से ही निलंबित थे।
  • wheat
    डैरियो सबाघी
    यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर गंभीर गेहूं संकट का सामना करता मध्य पूर्व
    11 Mar 2022
    मध्य पूर्वी और उत्तरी अफ़्रीकी देश रूस और यूक्रेन से किये जाने वाले गेहूं के आयात पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं। पहले से ही दबाव में रह रहे इस क्षेत्र में मौजूदा युद्ध से और भी गंभीर खाद्य संकट पैदा हो…
  • jandesh 2022
    भाषा सिंह
    त्वरित टिप्पणी: जनता के मुद्दों पर राजनीति करना और जीतना होता जा रहा है मुश्किल
    10 Mar 2022
    बात बोलेगी—ये चुनाव परिणाम यह संकेत साफ़ दे रहे हैं कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों तक राजनीतिक एजेंडा सेट करने में भाजपा के पास बढ़त है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License