NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राहुल के इस्तीफे से कांग्रेस का कितना भला होगा?
राहुल गांधी अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं। बुधवार को त्यागपत्र की औपचारिक घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी के ‘भविष्य के विकास’ के लिए यह कदम उठाया है।
अमित सिंह
04 Jul 2019
फाइल फोटो
Image Courtesy: Hindustantimes

लोकसभा चुनाव के बाद से अपने इस्तीफे को लेकर एक महीने से बनी असमंजस की स्थिति पर पूर्णविराम लगाते हुए राहुल गांधी ने बुधवार को त्यागपत्र की औपचारिक घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के ‘भविष्य के विकास’ के लिए यह कदम उठाया है।

गांधी ने चार पृष्ठों के खुले पत्र के जरिए इस्तीफे की सार्वजनिक घोषणा करने के साथ ही यह भी कहा कि कांग्रेस उनकी रग-रग में है और भारत के संविधान पर हमले के खिलाफ लड़ाई से खुद को अलग नहीं कर रहे हैं तथा अंतिम सांस तक पार्टी एवं देश के लिए काम करते रहेंगे। 

चुनावी हार के लिए जवाबदेही को अहम करार देते हुए गांधी ने इस बात पर जोर भी दिया कि कांग्रेस में ‘मौलिक रूप से बदलाव’ की जरूरत है। 

गांधी ने कहा, ‘पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए कड़े फैसलों की जरूरत है और 2019 के चुनाव की विफलता के लिए कई लोगों को जवाबदेह होना होगा। यह उपयुक्त नहीं होता कि मैं दूसरों को जवाबदेह ठहरा देता, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को नजरअंदाज कर देता।’

उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी का गौरवशाली इतिहास और विरासत है। मैं इसके संघर्ष और गरिमा का बहुत सम्मान करता हूं। यह भारत के तानेबाने में समाहित है और मुझे विश्वास है कि पार्टी ऐसे व्यक्ति के बारे में बेहतरीन फैसला करेगी जो साहस, प्रेम और ईमानदारी के साथ नेतृत्व कर सके।’ 

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ 52 सीटों पर सिमट जाने के बाद 25 मई को हुई पार्टी कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि कार्य समिति के सदस्यों ने उनकी पेशकश को खारिज करते हुए उन्हें आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था। इसके बाद से गांधी लगातार इस्तीफे पर अड़े हुए थे। हालांकि पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने उनसे आग्रह किया था कि वह कांग्रेस का नेतृत्व करते रहें।

कांग्रेस को फायदा?

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि उनके त्यागपत्र देने से उनके खुद के एक लोकप्रिय नेता के तौर पर उभरने और पार्टी के फिर से मजबूत होने में मदद मिल सकती है, हालांकि इसके लिए जरूरी है कि गांधी पार्टी में सक्रिय रहें और पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ता नए अध्यक्ष को स्वीकार करें।

कांग्रेस पार्टी के भविष्य का फैसला पार्टी की शीर्ष निर्णय इकाई कांग्रेस कार्यकारी समिति की बैठक में होगा। अगले सप्ताह की शुरूआत में बैठक होने की संभावना है।

सीएसडीएस के निदेशक संजय कुमार ने कहा, ‘मेरे मुताबिक यह सोचना सही नहीं है कि राहुल गांधी के इस्तीफा देने से कांग्रेस के भविष्य पर कोई बहुत बड़ा संकट है। यह जरूर है कि यह परंपरा बन गई थी कि गांधी परिवार का ही कोई व्यक्ति अध्यक्ष बनेगा।’

उन्होंने कहा, ‘यह मानना भी उचित नहीं है कि अगर परिवार से बाहर कोई अध्यक्ष बनेगा तो पार्टी खत्म हो जाएगी। उनके इस्तीफे से शायद पार्टी को नया स्वरूप मिलने में मदद मिले। उन्हें पार्टी में सक्रिय रहना चाहिए। ऐसा होने से उनके एक लोकप्रिय नेता तौर पर उभरने में मदद मिल सकती है।’

राजनीतिक विश्लेषक और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुशीला रमास्वामी ने कहा, ‘कांग्रेस पर अस्तित्व का खतरा था और उसे गांधी परिवार के नियंत्रण से बाहर निकलना था। यह कहना उचित नहीं होगा कि गांधी परिवार के पार्टी का नेतृत्व नहीं करने से कांग्रेस नहीं चल पाएगी।’

कौन है दावेदार?

आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष के पद के लिए संभावित उम्मीदवारों में पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत और मोतीलाल वोरा के नाम की चर्चा है लेकिन इस पर सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद ही फैसला हो पाएगा। 

पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘स्पष्ट नेतृत्व की गैर मौजूदगी में कांग्रेस अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है और ऐसी स्थिति पार्टी के लिए ठीक नहीं है, जिसे कि अगले कुछ महीने बाद तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों का सामना करना है।’

कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा कि गांधी परिवार के नेतृत्व में ही पार्टी एकजुट रह सकती है और परिवार के बाहर का कोई पार्टी का नेतृत्व करता है तो इससे असहमति बढ़ेगी।


सवाल और भी हैं?

राहुल गांधी के इस्तीफे और कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सवाल और भी हैं। 

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी कहते हैं, 'पहली बात राहुल के इस्तीफे की जानकारी एक महीने पहले से हमारे पास थी लेकिन पार्टी ने इसे इतने दिन क्यों छिपाया, ये समझ नहीं आया। इससे बहुत फर्क नहीं पड़ता लेकिन ये साफ है कि पार्टी अपने भीतर जो बहस है या विचार विनिमय है, उसे सामने लाने से घबराती है। दूसरी बात राहुल गांधी ने कहा कि मैं अकेला पड़ गया, मुझे पर्याप्त समर्थन नहीं मिला, मैं उस नै​रेटिव के खिलाफ खड़ा हूं जो सांप्रदायिक है, जो संस्थाओं को नुकसान पहुंचा रही ​है वगैरह वगैरह...तो इस इस्तीफे से एक चीज यह दिखाई देती है राहुल ने सब कुछ अपने उपर ले लिया ये ​ठीक है लेकिन साथ ही वह यह मानकर चल रहे हैं कि इसके अलावा कांग्रेस के नैरेटिव में कोई दोष नहीं है। यह लगता है कि राहुल ने इस्तीफे को व्यक्तिगत रूप से या नेतृत्व की दृष्टि से ही देखा है, नैरेटिव या विचारधारा की दृष्टि से नहीं देखा।'

जोशी आगे कहते हैं,' कांग्रेस पार्टी जो मंझधार में फंसी है इसके लिए जिम्मेदारी राहुल गांधी की होती है और इससे बाहर निकालने की जिम्मेदारी भी उनकी है। अगर वो इससे बाहर जाना चाहते हैं तो इससे पहले उन्हें पार्टी को मजबूत ​बुनियाद पर खड़ा करना चाहिए। सिर्फ ये कह देने से मेरी हार हो गई इसकी जिम्मेदारी मैं लेता हूं। इससे काम पूरा नहीं होता है।'

समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ

Rahul Gandhi
resignation
Congress
congress president
sonia gandhi
2019 आम चुनाव
opposition

Related Stories

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

केरल उप-चुनाव: एलडीएफ़ की नज़र 100वीं सीट पर, यूडीएफ़ के लिए चुनौती 

कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ

‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप

15 राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा चुनाव; कैसे चुने जाते हैं सांसद, यहां समझिए...


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप
    21 May 2022
    पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ क्य है? दिल्ली के दो लोगों ने अपनी धार्मिक भावना को ठेस लगने की शिकायत की और दिल्ली…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली
    21 May 2022
    अदालत ने लाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने पर राहत दी।
  • सोनिया यादव
    यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?
    21 May 2022
    प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक खुद औचक निरीक्षण कर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। हाल ही में मंत्री जी एक सरकारी दवा गोदाम पहुंचें, जहां उन्होंने 16.40 करोड़…
  • असद रिज़वी
    उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण
    21 May 2022
    भारत निर्वाचन आयोग राज्यसभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा  करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है। मतदान 10 जून को…
  • सुभाष गाताडे
    अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !
    21 May 2022
    ‘धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरपन हमारी प्रगति में बहुत बड़े बाधक हैं। वे हमारे रास्ते के रोड़े साबित हुए हैं। और उनसे हमें हर हाल में छुटकारा पा लेना चाहिए। जो चीज़ आजाद विचारों को बर्दाश्त नहीं कर सकती,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License