NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजस्थान: माकपा के दो लड़ाके पहुंचे विधानसभा
राजस्थान किसान और जन आन्दोलन के दो अग्रणी नेता बलवान पुनिया और गिरिधरलाल महिया ने भारी मतों के साथ विधानसभा चुनाव में विजय प्राप्त की |
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Dec 2018
राजस्थान: माकपा के दो लड़ाके
राजस्थान: माकपा के दो लड़ाके बलवान पुनिया और गिरधारी लाल महिया

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़- में कांग्रेस विजय के साथ ही  देश के हिंदी-भाषी राज्यों में किसानों और श्रमिकों के अपने अधिकारों के लिए हो रहे आंदोलन और संघर्ष की विजयी हुई है क्योंकि उन्होंने किसान और मजदूर विरोधी भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया है। हालाँकि  कांग्रेस ने संगठित वाम  के नेतृत्व में हुए  संघर्षों  का फायदा  लिया और इन राज्यों में विजय हुई ,लेकिन राजस्थान में जन  आंदोलनों के दो नेताओं- बलवान पुनिया और गिरिधरलाल महिया ने बहुत अधिक मतों  के साथ विधानसभा जाने का रास्ता बनाया ।

 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), सीपीआई (एम) के बलवान पूनिया और गिरिधरलाल महिया, दोनों ही राजस्थान विधानसभा पहुँच गए,ये दोनों ही इस  राज्य में किसान  संघर्ष में सबसे अग्रणी नेताओ में से एक  थे। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की राजस्थान इकाई के संयुक्त सचिव बलवान पूनिया, हनुमानगढ़ जिले के भद्रा निर्वाचन क्षेत्र से जीते। पूनिया ने 23153 मतों के अंतर से बीजेपी के मौजूदा विधायक संजीव कुमार को हराकर अपनी जीत को सुनिश्चित की|

 ये मात्र 41 वर्ष कि उम्र में विधानसभा पहुंचे है सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जब हम देख रहे है किस तरह से चुनावो में पैसा पानी कि तरह बहाया जा रहा है उस समय में उनका चुनाव लड़ना और चुनाव जितना किसी आश्चर्य से कम नही है यह एक बात और दिखता है कि जब आप आम जनता कि हक़ के लिए लड़ते हैं तो जनता ही अप को लड़ाती है और वो ही आप को जीतती है |

बलवान पुनिया अपने छात्र जीवन से ही वाम विचारधार से प्रभावित थे और उन्होंने अपने छात्र जीवन में ही वामपंथी छात्र सन्गठन एसएफआई से जुड़े तभी से वो जन से जुड़े मुद्दों के लिए लड़ते रहे थे और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद राजस्थान के किसान आन्दोलन से जुड़े और लगतार संघर्ष किया है |

एआईकेएस के बीकानेर जिला अध्यक्ष गिरिधरलाल महिया ने 72376 वोट प्राप्त किए और श्री दुंगगढ़पुर निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा पहुंचे  महिया कांग्रेस के मंगलाराम के खिलाफ 23896 वोटों के अंतर से  जीत दर्ज किया है । यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सीपीआई (एम) उम्मीदवार को 2013 के विधानसभा  चुनाव इस विधानसभा क्षेत्र में  केवल 2500 वोट मिले थे |

गिरधारी लाल के बारे में एक बात बहुत ही चर्चा है कि भले वो आज खुद 60 साल के हो परन्तु उनकी लोकप्रियता बीकानेर के आस –पास के क्षेत्रो में बहुत है | ये उनके चुनाव अभियान के दौरान देखने को भी मिला था जिस तरह से युवा उनके रैलियों में भागीदारी ले रहे थे वो सरहनीय था|

 एआईकेएस के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव विजू कृष्णन ने राज्य में किसानों के नेताओं की जीत का जश्न मनाते हुए कहा, "ये दो कामरेड संघर्षरत किसानों, श्रमिकों और राजस्थान विधानसभा में उत्पीड़ित लोगों की आवाज होंगे।"

पूनिया और महिया, बिजली की कीमतों में वृद्धि, फसलों के लिए उचित मूल्य मांगने, खरीद केंद्र खोलने, ऋण, सिंचाई, बीमा, पेंशन इत्यादि से जुड़े संघर्षों में सक्रिय थे।

अखिल भारतीय किसान सभा, वामपंथी वर्ग और जन संगठनों के साथ-साथ सीपीआई-एम के सामूहिक प्रयास ने उनकी जीत के लिए वातावरण तैयार करने में मदद की। कांग्रेस और भाजपा के गढ़ में यह कामयाबी भी मायने रखती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि किसान और श्रमिक विरोधी माहौल  होने के बावजूद भी बहुत सारे जमीनी नेता हार गये लेकिन माकपा के दो लडाके जीतने में कामयाब रहे. जबकि, एआईकेएसएस के  राज्य  महासचिव पेमा राम कठिन लड़ाई में ढोद में चुनाव हार गए। उन्होंने  61,089 वोट हासिल किए हैं, जीतने वाले उम्मीदवार से 14,053 मतों से पीछे रहे है। एआईकेएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  और सीपीआई (एम) के राज्य महासचिव अमरा राम  ने सीकर जिले के दंता रामगढ़ सीट से 42,543 वोट प्राप्त हुए। एक और, रायसिंगनगर निर्वाचन क्षेत्र के सीपीआई (एम) उम्मीदवार श्याओपत राम मेघवाल को भी 43,364 वोट प्रप्त किया ।

इन नेताओं ने एआईकेएस के नेतृत्व में राज्य में विरोध प्रदर्शन और संघर्ष की श्रृंखला से  स्पष्ट रूप से भाजपा के हार के लिए  मैदान तैयार किया। हालांकि सीट कि संख्याओं के संदर्भ में सीपीआई (एम) कुछ ही जीत पाई, लेकिन पिछले चुनावों के मुकाबले वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

यदि हम संख्या में जाते हैं, इस बार, सीपीआई (एम) ने सात पार्टी के साथ  गठबंधन कर  28 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसे  लोकतंत्रिक मोर्चा कहा जा रहा था। सीपीआई (एम) के अलावा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (यूनाइटेड), समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल और जनता दल (सेक्युलर) गठबंधन में शामिल हैं। हालांकि, पिछली बार पार्टी ने 38 सीटों पर लड़ा था।

Rajesthan
किसान आन्दोलन
सीपीएम
बलवान पुनिया
गिरधारी लाल महिया

Related Stories

जोधपुर की घटना पर माकपा ने जताई चिंता, गहलोत सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग

किसान आंदोलन के नौ महीने: भाजपा के दुष्प्रचार पर भारी पड़े नौजवान लड़के-लड़कियां

आंदोलन कर रहे पंजाब के किसानों की बड़ी जीत, 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी गन्ने की कीमत

शुक्रिया सुप्रीम कोर्ट...! लेकिन हमें इतनी 'भलाई' नहीं चाहिए

42 फीसदी भारत सूखे की चपेट में, 6 फीसदी इलाके में हालात ख़तरनाक़

कांग्रेस ने राजस्थान में राजे के खिलाफ जसवंत सिंह के बेटे को उतारा

शिमला : छात्रों के रियायातीं बस पासों में 50% की वृद्धि इसको लेकर वहाँ के नागरिक विरोध कर रहे हैं

दलितों और महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ 2 अगस्त को वामदलों का ‘बिहार’ बंद

दूध उत्पादकों के सामने आखिरकार झुकी महाराष्ट्र सरकार

हिमाचल : किसान सभा ने दूध के उचित दाम न मिलने को लेकर किया प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License