NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राफेल घोटालाः पूर्व रक्षा मंत्री ने तोड़ी चुप्पी
क्या बीजेपी सरकार के अधीन 'राष्ट्रीय सुरक्षा' कॉर्पोरेट हाउस की खुशी से जुड़ गया है?
गौतम नवलखा
28 Feb 2018
rafale

बीजेपी सरकार द्वारा राफेल लड़ाकू विमान की ख़रीद को लेकर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं और उसके वाजिब जवाब तलाशे जा रहे हैं लेकिन बीजेपी सरकार जुमलेबाजी से इसे छुपाने कोशिश कर रही है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस सौदे को लेकर बातचीत की जा रही थी तो इसकी काफी प्रशंसा की गई थी और चापलूसों ने पूरा समय इसकी तारीफ में बर्बाद कर दिया। बीजेपी सरकार ने दावा किया कि बेहतर क़ीमत और बेहतर शर्तों के साथ उसने सबसे बेहतर सौदा किया है। जब यह स्पष्ट हो गया कि प्रति राफेल जेट की क़ीमत 1700 करोड़ रुपए का कोई मतलब नहीं है तो उन्होंने 'राष्ट्रीय सुरक्षा' का मुद्दा उठा कर इसे दबाना शुरू कर दिया। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सीधे तौर पर डसॉल्ट से बातचीत कर रहे हैं और इसके लिए ज़्यादा क़ीमत दिए जा रहे हैं और साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को नज़रअंदाज़ कर बेहद नज़दीकी कॉर्पोरेट घराने को इस सौदे को सौंपा जा रहा है। राफेल फाइटर जेट की वास्तविक लागत को लेकर सवाल उठाए गए। चिंता तब बढ़ी जब सार्वजनिक क्षेत्र के स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस सौदे से दूर रखा गया और बीजेपी सरकार द्वारा विशेष कॉर्पोरेट घराने का चयन करने के लिए डसॉल्ट को अनुमति दे दी गई जो कई सवाल खड़े करता है। इस कॉर्पोरेट घराने का सैन्य उत्पाद में किसी तरह का कोई अनुभव नहीं है। कई बार मामला सामने आ चुका है इस कॉर्पोरेट घराने की प्रधानमंत्री से नज़दीकी है जिसके चलते इस सौदे में लगभग 29000 हज़ार करोड़ फायदा होने की संभावना है।

इस पूरे मामले के उजागर होने तक एक व्यक्ति थे जो खामोश रहे वह है पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी। उन्होंने 27 फरवरी 2018 को इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार अपनी चुप्पी तोड़ी। बीजेपी के रक्षा मंत्री द्वारा उन पर फाइल्स को वापस लेने और सौदे में हुई देरी से क़ीमत के संशोधन में 300% की हुई वृद्धि का आरोप लगाया था जिसके बाद एंटोनी ने अपनी चुप्पी तोड़ी। यूपीए -2 सरकार और खुद का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारामन का तथ्यों के साथ चयनात्मक होना "अनैतिक" था। उन्होंने कहा कि जब रक्षा मंत्रालय ने वित्तीय मंज़ूरी के लिए वित्त मंत्रालय से संपर्क किया था, तो एमओएफ ने "लाइफसाइकिल लागत क्लॉज" पर जोखिम के बाबत आगाह कर दिया क्योंकि खजाने पर भार लंबी अवधि के लिए था। उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं सहित बीजेपी को भी इस पर संदेह था। इसलिए उन्होंने फाइल वापस ले ली क्योंकि यूपीए-2 की अवधि समाप्त होने करीब थी और एमओएफ की अस्वीकृति के कारण सुरक्षा पर मंत्रिमंडल समिति को प्रस्ताव भेजने का कोई रास्ता ही नहीं बचा था। इसलिए हमने फाइल्स वापस लेने का फैसला किया कि लाइफसाइकिल कॉस्ट (लाइफ साइक्ल कॉस्ट एक महत्वपूर्ण आर्थिक विश्लेषण है जो विकल्पों के चयन में उपयोग किया जाता है, जो लंबित और भावी लागत दोनों पर प्रभाव डालते हैं।) के मुद्दों को सुलझाए बिना इस प्रस्ताव को रक्षा पर मंत्रिमंडल समिति को नहीं भेजा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारतीय वायु सेना के आग्रह पर लाइफसाइकिल कॉस्ट में यह क्लॉज़ जोड़ा गया था और उन्होंने पूछा कि: "क्या वर्तमान सरकार ने 36 राफेल विमानों को खरीदारी के लिए सहमती होने पर इस लाइफसाइकिल कॉस्ट क्लॉज़ को नामंज़ूर कर दिया?"

उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि 126 लड़ाकू विमानों की ख़रीद के लिए 2007 में प्रस्तावित प्रस्ताव को जारी करते हुए यूपीए सरकार ने जिस सौदे पर बातचीत की थी उसके चार शर्त थे। ये चार शर्तें थीं कि भारत 18 विमान की ख़रीदारी करेगा और बाकी 108 विमान के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के एचएएल को लाइसेंस दिया जाएगा; प्रौद्योगिकी का पूर्ण हस्तांतरण होगा; पचास प्रतिशत ऑफसेट दायित्व; समझौते में लाइफसाइकिल कॉस्ट का क्लॉज़ होगा। 36 फाइटर राफेल जेट विमानों की ख़रीद के साथ पहला दो क्लॉज़ समाप्त कर दिया जाएगा, भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और एचएएल द्वारा लाइसेंस प्राप्त उत्पादन, इसलिए,प्रति लड़ाकू जेट की लागत तुलनात्मक रूप से कम होनी चाहिए।

एके एंटोनी ने कहा कि यह एक और महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि ये चार शर्तें डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल समझौते का हिस्सा था और अगर दो शर्तों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया तो यह समाप्त ही हो जाएगा। इस परिवर्तन के बिना 36 लड़ाकू विमानों का नया सौदा रक्षा ख़रीद प्रक्रिया (डिफेंस प्रोक्यूरमेंट प्रोसीड्योर) का "पूरी तरह उल्लंघन" होगा।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि डीपीपी ने निजी क्षेत्र की कंपनियों के चयन के लिए मानदंड निर्धारित किए हैं। इस मानदंड में "रक्षा उत्पादन अर्थात लड़ाकू विमान उत्पादन में विश्वसनीय रिकॉर्ड" शामिल है। ऐसा क्यों है कि राफेल सौदे में डीपीपी की तरफ से निर्धारित मानदंडों की अनदेखी की गई?

उन्होंने इस दावे को पूरी तरह ख़ारिज किया कि प्रति राफेल जेट के ख़रीद की क़ीमत का खुलासा करने से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने एडमिरल गोर्शकोव विमानवाहक, मिराज लड़ाकू विमान की बढ़ी हुई लागत और सुखोई सौदे सहित कई रक्षा उत्पाद की ख़रीद का विवरण का खुलासा किया था। उन्होंने यह भी ज़ोर देकर कहा कि रक्षा सूचना के अधिकार के दायरे में है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का ढ़ाल बनाकर सभी रक्षा सौदे को पर्दे के पीछे किया गया। जब भाजपा दावा करती है कि वह वही कर रही है जो कांग्रेस ने पहले किया है तो यह सच्चाई से परे है क्योंकि यूपीए सरकार के अधीन रक्षा सौदे से संबंधित सभी जानकारी सार्वजनिक की गई थी और इस पर चर्चा संभव हो पाई।

संक्षेप में, क्या डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने पहले के चार शर्तों को ख़त्म कर दिया था या डीपीपी के उल्लंघन के बाद वास्तव में यह किया? 36 राफेल लड़ाकू विमानों की ख़रीदारी के समय क्या लाइफसाइकिल क्लॉज को कायम रखा गया था? प्रति लड़ाकू जेट की लागत क्या है अगर कुल सौदे की कीमत 58,000 करोड़ रुपए है? सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि सार्वजनिक क्षेत्र की एचएएल को ऑफसेट क्लॉज सर्विस के लिए क्यों नज़रअंदाज़ किया गया और प्रधानमंत्री से कॉर्पोरेट हाउस की नज़दीकी के चलते उसे 29000 करोड़ रूपए की उदारता क्यों दिखाई गई? अंत में बीजेपी सरकार के अधीन क्या कॉरपोरेट हाउस की खुशी से "राष्ट्रीय सुरक्षा" संलग्न हो गया है, जो कि सत्यनिष्ठता और ईमानदारी के लिए नहीं जाने जाते हैं। इस तरह देश और यहां के लोगों के हित के साथ समझौता किया जा रहा है।

rafale scam
बीजेपी
नरेन्द्र मोदी
निर्मला सीतारमण

Related Stories

रफ़ाल मामले पर पर्दा डालने के लिए मोदी सरकार और सीबीआई-ईडी के बीच सांठगांठ हुई: कांग्रेस

भाजपा सरकार को परेशान करने फिर लौटा रफाल का भूत

रफाल विमान सौदे में फ्रांस में जांच के आदेश

रफ़ाल सौदे के मामले में फ्रांस ने न्यायिक जांच आरंभ की: फ्रांसीसी मीडिया

रफ़ाल का स्वागत, सुशांत पर काला जादू और गलवान पर फ़िल्म : भारत एक मौज

झारखंड चुनाव: 20 सीटों पर मतदान, सिसई में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में एक ग्रामीण की मौत, दो घायल

झारखंड की 'वीआईपी' सीट जमशेदपुर पूर्वी : रघुवर को सरयू की चुनौती, गौरव तीसरा कोण

धर्म और राष्ट्रवाद का टोटका

क्या है यूक्रेन से नाता: रफ़ाल मामले में आया नया मोड़

क्या रफ़ाल के दाम बढ़ाकर दी गई अनिल अंबानी को करों में छूट?


बाकी खबरें

  • padtal dunia ki
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोलंबिया में लाल को बढ़त, यूक्रेन-रूस युद्ध में कौन डाल रहा बारूद
    31 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की' में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने लातिन अमेरिका के देश कोलंबिया में चुनावों में वाम दल के नेता गुस्तावो पेत्रो को मिली बढ़त के असर के बारे में न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर…
  • मुकुंद झा
    छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"
    31 May 2022
    एनईपी 2020 के विरोध में आज दिल्ली में छात्र संसद हुई जिसमें 15 राज्यों के विभिन्न 25 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए। इस संसद को छात्र नेताओं के अलावा शिक्षकों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?
    31 May 2022
    आज अभिसार शर्मा बता रहे हैं के सरकारी एजेंसियों ,मसलन प्रवर्तन निदेशालय , इनकम टैक्स और सीबीआई सिर्फ विपक्ष से जुड़े राजनेताओं और व्यापारियों पर ही कार्रवाही क्यों करते हैं या गिरफ्तार करते हैं। और ये…
  • रवि शंकर दुबे
    भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़
    31 May 2022
    अटल से लेकर मोदी सरकार तक... सदन के भीतर मुसलमानों की संख्या बताती है कि भाजपा ने इस समुदाय का सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है।   
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार
    31 May 2022
    अदालत ने 30 मई की शाम सभी महिला वादकारियों को सर्वे की रिपोर्ट के साथ वीडियो की सीडी सील लिफाफे में सौंप दी थी। महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License