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भारत
राजनीति
रेल-तेल, एयरपोर्ट, सब बिकेगा, नारा होगा-देश नहीं बिकने दूंगा
निजीकरण का ऐसा अंधड़ शायद ही किसी स्वाभिमानी और स्वतंत्र देश में देखा गया होगा। कोरोना जैसी बड़ी आपदा के दौर में मानो सरकार को अवसर मिल गया है। इसके नतीजों का आकलन कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश।
न्यूज़क्लिक प्रोडक्शन
27 Aug 2020

पिछले दिनों केंद्र सरकार द्वारा तिरुवनंतपुरम सहित देश के 6 हवाईअड्डों को निजी हाथों में सौंपने का फैसला लिया गया। बेहद लाभकारी तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे को अडानी समूह के हवाले करने के मोदी सरकार के फ़ैसले पर भारी विरोध और विवाद उठ खड़ा हुआ है। केरल की सरकारी कंपनी भी एक दावेदार थी कि केंद्र अगर एयरपोर्ट को किसी और के हवाले करने पर आमादा है तो बेहतर होगा, वह इसे राज्य की सरकार को सौंपे, जिसके पास एयरपोर्ट चलाने का अनुभव भी है। पर एयरपोर्ट 50 साल की लीज़ पर अडानी ग्रुप को सौंपा गया। कई और एयरपोर्ट, तेल-रेल-फ़ोन, अलग-अलग ढंग से निजी समूहों के नाम हो जाने की लाइन में लगे हैं। निजीकरण का ऐसा अंधड़ शायद ही किसी स्वाभिमानी और स्वतंत्र देश में देखा गया होगा। कोरोना जैसी बड़ी आपदा के दौर में मानो सरकार को अवसर मिल गया है। इसके नतीजों का आकलन कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश।

Privatisation of PSUs
Airport Privatisation
BJP
Narendra modi

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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License