NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कला
रंगमंच
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
रंगकर्मियों की अपील : नफ़रती ताकतों को सत्ता से बेदख़ल करें
पूरे देश से 600 से ज्यादा रंगकर्मियों ने मतदाताओं से 'बराबरी और सामाजिक न्याय के लिए वोट देने,अंधेरगर्द और बर्बर ताकतों को हराने का आग्रह किया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
06 Apr 2019
artists

लेखकों से लेकर फ़िल्मकार और वैज्ञानिकों से लेकर रंगकर्मी तक सब मौजूदा सरकार के रवैये को भारत के लिए खतरा मान रहे हैं। सबने अपना प्रतिरोध जताते हुए नागरिकों से आम चुनाव में भाजपा को वोट ना देने की अपील की है। अभी हाल में ही रंगकर्मियों ने भी अपना प्रतिरोध जाहिर किया। पूरे देश से 600 से ज्यादा रंगकर्मियों ने मतदाताओं से 'बराबरी और सामाजिक न्याय के लिए वोट देने,अंधेरगर्द और बर्बर ताकतों को हराने का आग्रह किया।'

रंगकर्मियों ने अपने संयुक्त बयान में 'संविधान और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने की रक्षा' के लिए वोट देने की अपील की।इन रंगकर्मियों में अमोल पालेकर, अरुंधति नाग, अस्ताद देबू, अर्शिया सत्तार, दानिश हुसैन, गिरीश कर्नाड, नसीरुद्दीन शाह, एम.के. रैना जैसे कलाकार शामिल हैं।

इन्होंने अपने साझे अपील में उल्लेख किया है ,''औपनिवेशिक काल से, भारतीय थिएटर निर्माताओं ने अपने काम के माध्यम से भारत की विविधता का जश्न मनाया है। स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हम अपने नाटकों से हस्तक्षेप कर रहे थें, हमने अपनी कला के जरिए सामाजिक बुराई से लड़ने का काम किया है, हम सामाजिक बराबरी और समावेश के लिए खड़े हुए हैं, हमने पितृसत्ता, ब्राह्मणवाद और जाति उत्पीड़न पर करारा प्रहार किया है। भारत में रंगमंच निर्माताओं की धार्मिक सांप्रदायिकता, संकीर्णता और तर्कहीनता की ताकतों के खिलाफ खड़े होने की एक लंबी और गौरवपूर्ण परंपरा है। हमने वंचित तबके की तरफ से बात की है। हम तकरीबन डेढ़ सौ सालों से अपने  गीत और नृत्य, हास्य, करुणा और प्रतिबद्ध मानव कहानियों के साथ एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक, समावेशी और न्यायसम्मत भारत की कल्पना करते आ रहे  हैं।  

आज, भारत का यह विचार बहुत खतरे में है। आज गीत, नृत्य, हंसी खतरे में है। आज हमारा प्रिय संविधान खतरे में है। जिन संस्थानों को तर्क और बहस  के जरिये असंतोष का खात्मा करना है, उनका दम घुट गया है। सवाल करने वालों और सच बोलने वालों को राष्ट्र विरोधी कह दिया जा रहा है। हम एक ऐसे माहौल में रह हैं जहाँ हमारे  खान-पान प्रार्थना और पर्वों में नफरत के बीज रोपे जा रहें हैं।  इसलिए हमारे रोजाना के ताने बाने में जिस तरह का नफरत प्रवेश कर चूका है,उसे रोकना जरूरी है। 

इसे भी पढ़ें - वैज्ञानिकों की अपील: आइये तर्क और आपसी विचार की रौशनी फैलाने के लिए वोट करें

आने वाले चुनाव स्वतंत्र भारत के इतिहास में  महत्वपूर्ण चुनाव  है। एक लोकतंत्र में सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों का मजबूत होते रहना बहुत जरूरी है। एक लोकतंत्र  सवाल, बहस और जीवंत विरोध के बिना यह काम नहीं कर सकता। मौजूदा सरकार द्वारा लगातार इनपर हमला किया जा रहा है। विकास के वादे के साथ पांच साल पहले सत्ता में आई भाजपा ने नफरत और हिंसा की राजनीति करने के लिए हिंदुत्व के गुंडों को खुली छूट दे दी है। जिस व्यक्ति को पांच साल पहले राष्ट्र के उद्धारकर्ता के रूप में चित्रित किया गया था, उसने अपनी नीतियों के माध्यम से लाखों लोगों की आजीविका को नष्ट कर दिया है। उसने काले धन को वापस लाने का वादा किया; इसके बजाय, बदमाशों ने देश को लूट लिया है और भाग गए हैं। अमीरों का धन इस दौरान आश्चर्यजनक तौर पर  बढ़ा है जबकि गरीब और भी अधिक गरीब हो गया है।

हम भारतीय थियेटर से जुड़े रंगकर्मी भारत के लोगों से संविधान और हमारे समकालिक, धर्मनिरपेक्ष लोकाचार को सुरक्षित रखने में मदद करने की अपील करते हैं। हम अपने साथी नागरिकों से प्यार और करुणा के लिए, समानता और सामाजिक न्याय के लिए, और अंधेरे और बर्बरता की ताकतों को हराने की अपील करते हैं।

हमारी अपील है कि वोट के लिए नफरत और घृणा फैलने वालों को सत्ता से बाहर करें। भाजपा और उसके सहयोगियों के खिलाफ वोट करें। सबसे कमजोर को सशक्त बनाने, स्वतंत्रता की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए वोट दें। धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक, समावेशी भारत के लिए वोट करें। सपने देखने की आजादी के लिए वोट करें। समझदारी से मतदान करें। ”

इसे भी पढ़ें - वैज्ञानिकों की अपील: आइये तर्क और आपसी विचार की रौशनी फैलाने के लिए वोट करें

600 theatre artists
save constitution
Save Democracy
loksabha chunav 2019
Narendra modi
modi bogotry
apeal to voter

Related Stories

भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत : नहीं रहे हमारे शहज़ादे सलीम, नहीं रहे दिलीप कुमार

सुशांत सिंह राजपूत के वारियर्स, कपिल मिश्रा की सच्चाई की खोज और मोदी का नया विमान

कार्टून क्लिक: शुक्रिया पाकिस्तान! तुम हमारे चुनाव में हमेशा काम आते हो

मोदी युग में डॉक्यूमेंट्री : आनंद पटवर्धन की फिल्म 'विवेक' यू ट्यूब पर किस्तों में जारी

वीडियो : अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमले के ख़िलाफ़ कलाकार हुए एकजुट

चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए...


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं
    17 May 2022
    निर्मला सीतारमण ने कहा कि महंगाई की मार उच्च आय वर्ग पर ज्यादा पड़ रही है और निम्न आय वर्ग पर कम। यानी महंगाई की मार अमीरों पर ज्यादा पड़ रही है और गरीबों पर कम। यह ऐसी बात है, जिसे सामान्य समझ से भी…
  • अब्दुल रहमान
    न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध
    17 May 2022
    फिलिस्तीनियों ने इजरायल द्वारा अपने ही देश से विस्थापित किए जाने, बेदखल किए जाने और भगा दिए जाने की उसकी लगातार कोशिशों का विरोध जारी रखा है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: चीन हां जी….चीन ना जी
    17 May 2022
    पूछने वाले पूछ रहे हैं कि जब मोदी जी ने अपने गृह राज्य गुजरात में ही देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति चीन की मदद से स्थापित कराई है। देश की शान मेट्रो…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजद्रोह मामला : शरजील इमाम की अंतरिम ज़मानत पर 26 मई को होगी सुनवाई
    17 May 2022
    शरजील ने सुप्रीम कोर्ट के राजद्रोह क़ानून पर आदेश के आधार पर ज़मानत याचिका दायर की थी जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 मई को 26 मई तक के लिए टाल दिया है।
  • राजेंद्र शर्मा
    ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!
    17 May 2022
    सत्तर साल हुआ सो हुआ, कम से कम आजादी के अमृतकाल में इसे मछली मिलने की उम्मीद में कांटा डालकर बैठने का मामला नहीं माना जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License