NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
रोहिंग्यिा शरणार्थी कैंप जल कर ख़ाक
"ज़कात फाउंडेशन द्वारा हमे ज़मीन दी गई है और अब वे हमें ये ज़मीन छोड़ने की धमकी दे रहे हैं।"

सागरिका किस्सू
17 Apr 2018
रोहिंग्या

जल कर ख़ाक हुए रोहिंग्यिा कैंप में रहने वाले मोहम्मद शाकिर जले हुए क़ुरान के पन्नों को उठा कर रो पड़ता है। ज्ञात हो कि गत 15 अप्रैल को रोहंगिया शरणार्थियों की क़रीब 50 झोपड़ी जल कर समाप्त हो गई। स्थानीय लोगों ने इस घटना की जानकारी दिल्ली फायर सर्विस को दी। सूचना पाकर मौक़े पर पहुंची दमकल विभाग की गाड़ियों ने मशक्कत के बाद तीन घंटों में आग पर क़ाबू पा लिया।

26 वर्षीय शाकिर के मुताबिक़ वह अपने झोपड़ी के बाहर शौच कर रहा था तभी उसने कुछ शोर सुना। शाकिर ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि "जब मैंने अपने घर से धुआं निकलते देखा तो मैं डर गया। मैंने कैंप में सभी के घरों का दरवाज़ा खटखटाया और आग लगने की ख़बर दी। महिलाओं को कैंप से बाहर लाने में मदद की।" शकिर का शरणार्थी कार्ड और अन्य सभी दस्तावेज आग में जल गए। शाकिर ने आगे कहा "हमारे शरणार्थी कार्ड, पैसा और अन्य सभी दस्तावेज़ जल गए। अब हमारे पास कुछ भी नहीं है।"

Shakir 1.jpg

पहचान कर रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए दो रोहिंग्या आप्रवासियों ने साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की थी। याचिका दायर करने के बाद किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए दो सुरक्षा गार्डों को रखा गया। ये गार्ड रात भर उनके कैंप के बाहर गश्ती करते हैं। शाकिर ने कहा, "याचिका दायर करने के बाद हमारे स्थानीय मुस्लिम भाई ने सुझाव दिया कि एक सुरक्षा गार्ड को रख लो। उन्हें हमारी ज़िंदगी को लेकर ख़तरे का संदेह था। लेकिन हम लंबे समय तक इस गार्ड को रख नहीं सके क्योंकि मेरे पास पैसा नहीं था।"

फातिमा और नूर फातिमा एक अस्थायी कैंप में एक साथ बैठे थी। दोनों एक दूसरे से बात कर रही थी और अचानक नूर फातिमा रोने लगी। उसने कहा, "मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मेरी दुकान जला दी गई।" नूर की किराने की दुकान जल कर ख़त्म हो गई। "इस दुकान को बनाने में मुझे पांच साल लगे थे। अब थोड़ी आमदनी होना शुरू हुई थी, इसको लेकर मुझे थोड़ी खुशी थी, अब सबकुछ ख़त्म हो गया है।"

Rohingya camp.jpg……………….Burnt clothes Rohingya.jpg

शाहीन बाग के रोहिंग्यिा कैंप में रहने वाली रोहिंग्यिा शर्णार्थी ज़ूर खातून अपने पीड़ित परिवार से मिलने आई थी। एक दुबली पतली सुंदर महिला ज़ूर अपने बहन को को सांत्वना दे रही थी जो इस घटना के बाद परेशान थी। ज़़ूर ने भारत में इस समुदाय की पूरी व्यथा सुनाई। ज़ूर ने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा "मैं पहले लखनऊ में थी। दिल्ली आए हुए तीन महीने ही हुए हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं कि हम बदतर हालत में रह रहे हैं। पिछले साल एक लड़की को कुछ चूहों ने उसके चेहरे पर काट लिया था जिससे उसकी मौत हो गई थी।"

अस्थायी बस्ती और निराशा

55 रोहिंगिया परिवारों पर क़हर टूट पड़ा जिसमें उनका सब कुछ तबाह हो गया। नग्न बच्चों को इस अस्थायी बस्ती में चारों ओर दौड़ते हुए देखा जा सकता है। अख़बार पर रखे भोजन पर उड़ते हुए मक्खियों को देखा जा सकता है। महिलाएं परेशान थीं और उनके माथे पर परेशानी की लकीरें देखी जा सकती थीं जो उनके साथ हुआ।

फातिमा ने कहा,"मैंने अपनी ज़िंदगी जी ली है। हमारे लिए ये बेहतर होगा कि मैं मर जाऊं। मैं बच्चों को लेकर काफी चिंतित हूं। उनके सारे किताब आग में जल गए। वे आज स्कूल नहीं जा सकते। हम बर्मा में अच्छी तरह से ज़िंदगी गुज़ार रहे थे और अब हम यहां एक भिखारी की ज़िंदगी जी रहे हैं।"

सांप के काटने से फातिमा की तीन महीने की बेटी की मृत्यु साल 2015 में हो गई थी। उसने कहा "मेरे पास दो और बच्चे हैं - एक लड़का और एक लड़की। मैं चाहता हूं कि वे सफल हो जाएं और एक सुखी जीवन जीएं। मैंने कष्ट झेला है, लेकिन मैं नहीं चाहती कि वे भी कष्ट झेले।"

आजीविका और बुनियादी आवश्यकताएं

पीड़ित परिवारों को भोजन, पानी, सैनिटरी नैपकिन और अन्य बुनियादी वस्तुएं वितरित की गई है। इन पीड़ित शरणार्थियों को कई गैर सरकारी संगठनें, स्थानीय मुस्लिम लोग और छात्र कार्यकर्ता मदद के लिए धन जुटा रहे हैं। माइनॉरिटी इम्पावरमेंट मिशन के अध्यक्ष नावेद चौधरी ने कहा "कई लोगों की मदद से हम आग में जले हुए झोपडि़यों को हटा रहे हैं। कल तक उनके लिए अस्थायी टेंट लगा दिया जाएगा।"

उन्होंने कहा, "कई लोग यहां मदद कर रहे हैं और उनकी मदद से हम शरणार्थियों को पानी और भोजन समेत अन्य बुनियादी जरूरतों की चीज़ें दे रहे हैं।"

जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा द्रौपदी ने कहा, "जैसे ही मैंने ये ख़बर सुनी जामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय से मैं और अन्य छात्र कार्यकर्ता मदद के लिए यहां पहुंचे। हमने इनकी मदद के लिए फंड इकट्ठा करने को लेकर कॉलेज में पोस्टर लगा दिया है। हमें जेएनयू से भी पैसा मिला। कल से छात्र संगठनें अन्य संगठनों के साथ पीड़ितों को भोजन और अन्य बुनियादी चीज़ें दे रहे हैं।"

अल ख़ैर फाउंडेशन की महिलाएं पीड़ित महिलाओं की बुनियादी ज़रूरतों का ध्यान रख रही हैं। अल ख़ैर फाउंडेशन की डॉ दरख़्शा फिरदौस ने कहा, "हम उनके लिए सैनिटरी नैपकिन और पैंटी और कुछ कपड़े भी व्यवस्था कर रहे हैं।"

साजिश और सरकार का पक्ष:

नावेद न्यूज़क्लिक से कहा, "वे पिछले 10 सालों से यहां रह रहे हैं और ऐसा कभी कुछ भी नहीं हुआ है। यह सुनियोजित था। वे बेगुनाह लोग हैं, वे इसे नहीं समझते हैं।" उन्होंने आगे कहा "बीजेपी के कुछ समर्थकों का एक ट्वीट है जिसमें उन्होंने लिखा है कि उन्होंने आग लगा दी है। मेरे पास उस ट्वीट का स्क्रीनशॉट है। हम अपनी टीम के साथ उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करने जा रहे हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं ने प्रत्येक पीड़ित परिवार को 25,000 रुपए का मुआवजा देने का वादा किया था, लेकिन किसी ने भी आधिकारिक बयान नहीं दिया है।"

न्यूज़़क्लिक के पास स्क्रीनशॉट है जिसे नावेद ने दिखाया था, लेकिन लगता है कि मूल ट्वीट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा दिया गया है।

rohingya 3.jpg

 

Screenshot 2.jpg

नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य रोहिंगिया शरणार्थी ने कहा, "ज़कात फाउंडेशन द्वारा हमे ज़मीन दी गई है और अब वे हमें ये ज़मीन छोड़ने की धमकी दे रहे हैं।"

रोहिंग्या
रोहिंग्या कैंप
रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप
बंगलादेश
भारत

Related Stories

“हवा में रहेगी मेरे ख़्याल की बिजली...”

“हवा में रहेगी मेरे ख़्याल की बिजली...”

भारत-पाक युद्धविराम : जिसकी हकीकत सब पहले से ही जानते हैं

बेतुके बयान:मुद्दों से भटकाने की रणनीति तो नहीं ?

अदानी समूह का झारखंड पावर प्लांट बांग्लादेश को मदद नहीं पहुंचाएगा, बल्कि ऑस्ट्रेलियाई कोयला परियोजना के दावे को मज़बूत करेगा, सिडनी एनजीओ का दावा

आधार के बारे में यूआईडीएआई के सीईओ ने क्या नहीं कहा

हर्षवर्धन ने स्टीफन हॉकिंग पर टिप्पणी केवल यह दिखता है कि भारतीय विज्ञान बुरे दौर से गुज़र रहा है

मेवात में रह रहे रोहिंग्या रिफुजियों की संघर्ष की दास्तान

मालदीव को लोकतंत्र चाहिए, न कि भारतीय हस्तक्षेप

पाकिस्तान के पद्चिन्हों पर चल रहा है भारत: परवेज़ हूदभोय


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License