NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राउल हेडेबौ बेल्जियम की वर्कर्स पार्टी के नए अध्यक्ष 
पीटर मर्टेंस ने बेल्जियम के राष्ट्रपति पद से अपने 13 वर्षों के महत्त्वपूर्ण कार्यकाल के बाद वर्कर्स पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया। उनके कार्यकाल के दौरान ही पार्टी यूरोप में प्रमुख मार्क्सवादी पार्टियों में से एक बनी है। 
पीपुल्स डिस्पैच
09 Dec 2021
Raoul Hedebouw
बेल्जियम में वर्कर्स पार्टी कांग्रेस। बेल्जियम की वर्कर्स पार्टी की एकता कांग्रेस में राउल हेडेबौ (बाएं) और पीटर मर्टेंस (फोटो: पीटीबी के माध्यम से)। 

रविवार, 5 दिसंबर को बेल्जियम की वर्कर्स पार्टी (पीटीबी/पीवीडीए) की एकता कांग्रेस में, राष्ट्रपति पीटर मर्टेंस ने 13 वर्षों के महत्त्वपूर्ण कार्यकाल के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया । उनके कार्यकाल के दौरान पीटीबी/पीवीडीए यूरोप में प्रमुख मार्क्सवादी पार्टियों में से एक बनी है। कांग्रेस ने सर्वसम्मति से राउल हेडेबौ को नया अध्यक्ष चुना। सम्मेलन में पीटीबी/पीवीडीए के 400 आधार समूहों में से चुने गए 883 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन के हिस्से के रूप में, देश भर में 83 आयोगों का आयोजन किया गया, जिनके माध्यम से 564-पृष्ठ की एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर पार्टी के भविष्य की रणनीति और कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने के लिए कांग्रेस में चर्चा और बहस की गई। कांग्रेस ने फासीवाद से लड़ने, मजदूर वर्ग के अधिकारों के लिए काम करने और बेल्जियम की एकता की रक्षा करने का संकल्प लिया, जिस पर सांप्रदायिक, दक्षिणपंथी और क्षेत्रीय ताकतों द्वारा खतरा उत्पन्न हो गया है। 

पीटीबी/पीवीडीए को आधिकारिक तौर पर 1979 में स्थापित किया गया था और मार्च 2008 में आयोजित अपनी आठवीं कांग्रेस के बाद यह एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभर कर सामने आई, जब पीटर मर्टेंस की अध्यक्षता में एक नई केंद्रीय समिति को पार्टी के नवीनीकरण के लिए चुना गया था। एक दशक के भीतर, पीटीबी/पीवीडीए बेल्जियम में मजदूर वर्ग के संघर्षों, युवा/छात्र मामलों, नारीवादी मुद्दों, जलवायु कार्यों में अनेक हस्तक्षेपों के जरिए एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभरी, और लोगों के लिए दवाओं (एमपीएलपी) के उपक्रमों के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य में सामाजिक एकजुटता की पहल की।  

वर्तमान में, बेल्जियम की राजनीति में क्षेत्रीय दलों का दबदबा है। पीटीबी/पीवीडीए, जिसे 2007 के आम चुनावों में सिर्फ 0.8 फीसदी वोट मिले थे, उसने 2014 में 3.7 फीसदी मतों के साथ दो सीटों पर जीत हासिल कर बेल्जियम की संघीय संसद में प्रवेश किया। संसद के अंदर पार्टी की जन-समर्थक और मजदूर वर्ग की पहल और सड़कों पर इसके कार्यकर्ताओं द्वारा छेड़े गए लोकप्रिय संघर्षों ने पार्टी के लिए बहुत अधिक समर्थन प्राप्त किया, जिसके परिणामस्वरूप इसने 2019 में हुए चुनाव में संघीय संसद में 8.6 फीसदी वोट और 12  सीटें जीतीं। पीटीबी/पीवीडीए अब देश में सबसे मजबूत पैन-बेल्जियम राजनीतिक दलों में से एक है, जिसमें 5 सीनेटर, 12 संघीय सांसद और सभी क्षेत्रीय संसदों-ब्रुसेल्स संसद (11 सदस्य), फ्लेमिश संसद (4) और वालून संसद (10) के प्रतिनिधि हैं। 2019 में यूरोपीय संसद के चुनावों में, मार्क बोटेन्गा को पीटीबी/पीवीडीए के पहले सदस्य के रूप में यूरोपीय संसद के लिए चुना गया था।

निवर्तमान राष्ट्रपति मर्टेंस वर्तमान में बेल्जियम चैंबर ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में एक सांसद के रूप में कार्य करते हैं। वे एंटवर्प से चुने गए और 1981 से संघीय संसद में पहले डच भाषी मार्क्सवादी बने थे। उन्होंने मुख्य रूप से मजदूर वर्ग के संघर्षों पर सात किताबें लिखी हैं, जिनमें से एक किताब है-‘दे हैव फॉरगाटन अस’(2020) । इस किताब में उन्होंने बताया है कि कैसे मजदूर वर्ग कोविड-19 महामारी और क्रोनी कैपिटलिज्म से एक साथ लड़ रहा है। नए अध्यक्ष राउल हेडेबौ चैंबर ऑफ डेप्युटीज में सांसद हैं और वे पार्टी के पूर्व प्रवक्ता भी रहे थे। उन्होंने संसद में और लोगों के बीच अपने हस्तक्षेप के माध्यम से बेल्जियम की राजनीति में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। 

हेडेबौ ने कांग्रेस में अपने समापन भाषण में कहा, "हम मार्क्सवादी एक दूसरी दुनिया चाहते हैं। हमारे समाजवाद 2.0 में, हम मौजूदा पूंजीवादी तर्क के अलावा एक अन्य तर्क लागू करेंगे। अर्थव्यवस्था लोगों की जरूरत के हिसाब से चलेगी, मुनाफे के हिसाब से नहीं।" 

हेडेबौ ने कहा,“ इस आर्थिक और महामारी संकट के समय में, हमारे कंधों पर एक भारी जिम्मेदारी है। हमें एक नई दुनिया बनानी है। बेल्जियम और दुनिया भर में कई प्रगतिवादी अपनी नज़रें बेल्जियम के छोटे देश की तरफ लगी हैं, जिसकी मार्क्सवादी पार्टी पहले से कहीं अधिक जीवंत है। आइए हम सरोकारों और आशाओं की ओर बढ़ें। आइए, हम पार्टी को मजबूत करें, मजदूर वर्ग को मजबूत करें और बेल्जियम में तथा दुनिया में अपनी एकता को मजबूत करें।"

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Marc Botenga
Marxism
Medecine pour le Peuple
MPLP
Medicines for the People
Peter Mertens
Raoul Hedebouw
Socialism 2.0
Unity Congress

Related Stories

एजाज़ अहमद ने मार्क्सवाद के प्रति आस्था कभी नहीं छोड़ी

एक महान मार्क्सवादी विचारक का जीवन: एजाज़ अहमद (1941-2022)

किसान आंदोलन: ज़रा याद कीजिए जर्मनी में कृषक युद्ध और एंगेल्स

आचार्य नरेंद्र देवः क्या कभी जीत पाएगी उनकी नैतिकता

फ़ासीवादी शासनों के दौरान कॉर्पोरेट-वित्तीय कुलीनतंत्र की आंतरिक परतें


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License