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रूस-यूक्रेन समझौते से संघर्ष के ख़ात्मे की शुरुआत हो सकती है
पिछले तीन सालों में पहली बार दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच हुई पहली औपचारिक वार्ता ने पूर्वी यूरोप में संघर्ष की समाप्ति की संभावनाओं को उजला कर दिया है। यह वार्ता पेरिस में संयुक्त फ़्रांसीसी और जर्मन पहलक़दमी के तहत संपन्न हुई।
अब्दुल रहमान
14 Dec 2019
Russia-Ukraine
पेरिस में शीर्ष नेतृत्व द्वारा संयुक्त विज्ञप्ति।

इस सप्ताह की शुरुआत में रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपतियों के बीच हुए समझौते ने इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने वाला महत्वपूर्ण क़दम साबित हो सकता है। डोन्बास क्षेत्र में पाँच वर्षों से जारी इस युद्ध को समाप्त करने की इस नई शुरुआत में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदीमीर ज़ेलेंस्की ने अपने समकक्ष रुसी व्लादिमीर पुतिन से फ़्रांस के एलीसी पैलेस में मुलाक़ात की। इसकी मेजबानी फ़्रांसिसी राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल द्वारा की गई थी।

बैठक के अंत में एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की गई, जिसमें डोनबास क्षेत्र में संघर्षविराम को और मज़बूत करने और बंदियों की अदलाबदली के उपायों की घोषणा की गई। यह संघर्षविराम यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (ओएससीई) की निगरानी के तहत होगा। इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि साल के अंत तक सभी शेष बचे बंदियों के आदानप्रदान को पूरा कर लिया जायेगा, और सभी बंदियों की देखभाल के लिए रेड क्रॉस को और अधिक छूट हासिल हो सकेगी। इस बात पर भी सहमति बनी कि संघर्ष वाले इलाक़े में सैन्य टुकड़ियों की संख्या में और अधिक कमी लायी जाएगी।

अप्रैल में यूक्रेन में हुए राष्ट्रपति चुनाव अभियान में ज़ेलेंस्की ने रूस के साथ अपने मुख्य एजेंडों में से एक के रूप में युद्ध को समाप्त करने का वादा किया था। इस युद्ध से यूक्रेनी अर्थव्यवस्था और समाज पर विनाशकारी प्रभाव पड़े हैं, और यह 13,000 से अधिक लोगों की मौत की वजह रहा है।

फ़्रांस और जर्मनी ने 2014 और 2015 में भी दोनों पक्षों को वार्ता के लिए एक साथ लाने की कोशिशें की थीं, जिसे मिंस्कI और मिंस्कII वार्ता के रूप में जाना जाता है। दोनों शिखर वार्ता बेनतीजा साबित हुईं।

सोमवार की बैठक के बाद पुतिन ने दावा किया है कि यूक्रेन के साथ रिश्ते सही दिशा में बढ़ रहे हैं। उन्होंने 2015 के मिंस्क II समझौते का पालन करने पर भी अपना ज़ोर दिया, जिसने डोनबास में युद्ध के खात्मे पर दिशानिर्देश निर्धारित किये थे। इसके साथ ही यूक्रेन में संवैधानिक सुधारों और विद्रोहियों के लिए सुरक्षा और क्षमादान मुहैय्या करने की बात की थी।

दूसरी तरफ़ ज़ेलेंस्की ने धीमी प्रगति पर कुछ निराशा व्यक्त की है, और उम्मीद जताई है कि विवादास्पद मुद्दों को, जिसमें डोनबास की स्वायत्तता भी शामिल है, को आगे की होने वाली वार्ताओं में हल कर लिया जायेगा। संयुक्त विज्ञप्ति में "स्टाइनमीयर सूत्र" के तहत क्षेत्र के लिए स्वायत्तता की बात यूक्रेनी कानून में करता है, और उल्लेख किया है कि इस मुद्दे और अन्य विवादास्पद मुद्दों पर चर्चा करने के लिए चार महीनों के बाद बर्लिन में दोनों देशों के बीच अगली बैठक होगी।

ज़ेलेंस्की पर इस बात दबाव है कि रूस के हिस्से कुछ अधिक न चला जाए। यूक्रेन की राजधानी कीइव में राष्ट्रपति भवन के बाहर प्रदर्शनकारी “आत्मसमर्पण स्वीकार नहीं” के नारों के साथ सतर्क खड़े थे। यूक्रेन चाहता है कि रूस और डोनबास के मध्य सीमा का उपयोग पर सीमित पहुँच ही रहे और उनका आरोप है कि क्षेत्र में खुली सीमा ही हिंसा की वजह है। आरटी की एक रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेनी जनता की माँग पर प्रतिक्रिया देते हुए रुसी राष्ट्रपति ने कहा है कि डोनबास विद्रोहियों को बिना रूसी गारण्टी के, “मैं कल्पना कर सकता हूँ आगे फिर क्या होने जा रहा है। स्रेब्रेनिका बन जायेगा।”

1995 में युगोस्लाव युद्ध के दौरान हज़ारों की संख्या में बोस्नियाई जातीयता वाले अल्पसंख्यकों की राज्य समर्थित सर्बियाई मिलिशिया द्वारा स्रेब्रेनिका शहर में नरसंहार किया गया था। यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में क़रीब 40% रूसी भाषी जनसंख्या निवास करती है।

इस बीच, जिस दिन इन दोनों राष्ट्रपतियों की बैठक चल रही थी, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित कर, रूस को क्रीमिया पर उसके क़ब्ज़े को समाप्त करने के लिए कहा है। यह प्रस्ताव पक्ष में 66 और विरोध में 19 मतों के साथ पारित किया गया।

यूक्रेन के डोनबास इलाके में चल रहे युद्ध, जो लुहान्स्क और डोनेत्सक प्रान्तों से मिलकर बना है, 2014 में तब अलग हो गए जब रुसी विरोधी विरोध-प्रदर्शनों जिसे यूरोमैडोन आंदोलन के रूप में जाना जाता था, का बोलबाला हुआ। जिस आन्दोलन के चलते तत्कालीन यूक्रेनी राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को, जिन्हें रूस-समर्थक माना जाता था, को फरवरी में अपना इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इस विरोध के चलते डोनबास और क्रीमिया में बड़े पैमाने पर रूस समर्थक माहौल बना। सरकारी बलों से संघर्षरत इन समूहों की ओर से रूस ने हस्तक्षेप किया। इस बीच क्रीमिया में एक जनमत संग्रह आयोजित किया गया, जिसने मार्च में रुसी अधिग्रहण को अपनी मंज़ूरी दी है।

साभार: पीपल्स डिस्पैच

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Russia-Ukraine Agreement Could Mark the Beginning of an End to Conflict

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