NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
फिलिस्तीन
संघर्ष ,युद्धविराम और नई उम्मीदें
अलेक्स केन
30 Aug 2014

७ सप्ताह के खुनी संघर्ष के बाद इजराइल और फ़िलिस्तीन के शसस्त्र समूहों ने युद्धविराम के दस्तावेजो पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अब इस संघर्ष के ख़त्म होने की एक उम्मीद दिख रही है । अभी जब इस अनुबंध की सारी शर्ते सामने नहीं आई हैं, यह कहा जा रहा है कि इसमें गाज़ा पर लगे प्रतिबंधो में ढिलाई और हमले को रोकना शामिल हो सकता है ।

बताई गई शर्ते २०१२ के युद्धविराम की शर्तो से मिलती जुलती है जिसके बाद ही इजराइल ने फ़िलिस्तीन पर हमले बंद किए थे।  पर इस अनुबंध को कभी लागू नहीं किया गया ।  अब आगे यह देखना होगा कि फिलिस्तीनियों की प्रमुख मांग, जिसमे गाज़ा पर लगे प्रतिबन्ध को कम करना है , को इजराइल किस हद तक पूरा करता है। जिस तरह २०१२ के अनुबंध को लागु करने के लिए किसी भी प्रकार का प्रबंध नहीं था, ठीक उसी प्रकार इस अनुबंध पर भी आशंका व्यक्त की’ जा सकती ।  पर अगर इसे छोड़ दिया जाए तो फ़िलिस्तीन के राजनैतिक समूह और गाज़ा की जनता इसे अपनी जीत मान कर सड़को पर जश्न मना रहे हैं। 

“हम २०१२ के अनुबंध के हिसाब से युद्धविराम पे सहमत हुए हैं जिसमे गाज़ा पर लगे प्रतिबन्ध हटाना,सीमायें खोलना और निर्माण की वस्तुए लाना शामिल है” ।  यह इस्लामिक जिहाद के प्रतिनिधि ज़िअद नाखाल्लाह ने द गार्जियन के हेरिएट शेरवूड और पैट्रिक किंग्सले को कैरो में बताया।  कैरो में ही दोनों तरफ के नेताओ ने मिल कर युद्धविराम पर दस्तखत किये।  अनुबंध में इजिप्ट और गाज़ा के बीच मौजूद रफाह की सीमा को खोलना भी शामिल है ।  इससे गाज़ा के तटो पर मछली पालन पर लगी पाबंदियों में भी ढिलाई आएगी।  फिलिस्तीनी प्रशासन रफाह सीमा में मौजूद फिलिस्तीनी क्षेत्र पर निगरानी रखेगी।  यह फैसला तब लिया गया था जब इस इलाके पे कब्जे के लिए हमास और फताह ने २००७ में जंग लड़ी थी। इसरायली सीमा के पास मौजूद फ़िलिस्तीन के उस मध्यवर्ती इलाके में भी पाबंदिया कम होंगी जहाँ काफी खेतो योग्य ज़मीन कई वर्षो से बेकार पड़ी । 

चित्र सौजन्य: (REUTERS, Ibraheem Abu Mustafa)

अन्य अहम् मुद्दे जिन्हें हमास रखना चाहता था, उनपर आने वाले एक महीने में चर्चा की जाएगी ।इनमे फिलिस्तीनी बंधको की रिहाई, गाज़ा में हवाई अड्डे और समुद्री बंदरगाह की मांग तथा क़तर से आ रही वित्तीय मदद पर लगी रोक हटाना शामिल । सुनने में यह भी आ रहा है कि हमास दो इसरायली सैनिको का मृत शरीर भी रखेगी जिससे फिलिस्तीनी बंधको की रिहाई पर दबाव बनाया जा सके। 

इजराइल की प्रतिक्रिया और कठोर थी। इस अनुबंध को बिना मत्रिमंडल की सलाह लिए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू द्वारा पेश कर दिया गया।  नेतान्याहू के सहयोगी, साथ ही राजनैतिक विरोधी नफ्तली बेन्नेट और अविगडोर लिबेर्मन इस युद्धविराम के पक्ष में नहीं थे।  प्रधानमन्त्री को इस युद्ध के बाद सहयोगियों द्वारा उठाये गए कठिन सवालों का सामना करना पड़ सकता ।  उनकी चुनावी मत प्रतिशत भी इन दिनों 82% से गिरकर 38प्रतिशत पर आ गई है। साथ ही दक्षिणी इजराइल जहाँ जनता को फिलिस्तीनी राकेट और मोर्टार का सामना करना पड़ा, वहां के नेताओं ने इस अनुबंध को लताड़ा है । अश्खेलोंन के मेयर ने हर्रेत्ज़ से कहा कि,” हमास को दी गई कोई भी छूट आतंकवाद के सामने घुटने टेकने के समान होगी” । 

इस युद्धविराम के साथ गाज़ा में की गए सबसे वीभत्स और तेज़ हमले की भी समाप्ति हो गई है ।  ५० दिन से अधिक चले इस युद्ध में गाज़ा के लगभग २१०० लोगो को जान गवानी पड़ी जिसमे अधिकतर नागरिक थे और ११,००० लोग घायल भी हुए।  लगभग ५०० मासूम बच्चो को भी जान से हाँथ धोना पड़ा।  फ़िलिस्तीन द्वारा की गई जवाबी कार्यवाही में ६४ इसरायली सैनिक और ५ नागरिको को भी जान गवानी पड़ी । दक्षिणी इजराइल से अनेक लोगो ने पलायन कर लिया है । 

गाज़ा में फिलिस्तीनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती पुनःनिर्माण की है । सारे इलाके इसरायली सेना की बमबारी से क्षतिग्रस्त हैं । ४,७५,००० से अधिक लोग आज भी बेघर हैं। 

सौजन्य:-mondoweiss.net

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

इजराइल
अविग्दोर लिबेर्मन
बेंजामिन नेतान्याहु
गाज़ा
हमास
महमूद अब्बास
गाज़ापट्टी
कैरो
नफ्ताली बेन्नेट

Related Stories

गाज़ा पर 2014 के बाद से इज़रायल का सबसे बड़ा हवाई हमला

गाज़ा में नरसंहार जारी, मृतकों की संख्या 50 के पार

"हम अपने देश लौटना चाहते हैं": ‘ग्रेट रिटर्न मार्च’ के दौरान फिलिस्तीनियों पर इज़रायल की गोलीबारी

इरान अमेरिका परमाणु समझौता : सफलता या ईरान का समर्पण?

क्या संयुक्त राष्ट्र पर हमले के लिए इजराइल जवाबदेह होगा?

इजराइल ने फिलिस्तीन के मंत्री का क़त्ल कर मानव अधिकार दिवस मनाया

फिलीस्तीनियों का प्रतिरोध ही जिताएगा ये जंग

इजरायल: देवता जिसे तबाह करते हैं, पहले उसे पागल बनाते हैं

गाज़ा युद्धविराम और उनका उल्लंघन

फिलिस्तीन के विरुद्ध इसरायली युद्ध और भारत


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License