NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
विज्ञान
भारत
अंतरराष्ट्रीय
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से पहले दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन को लेकर प्रदर्शन
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के कदम उठाने का आह्वान करते हुए दुनिया भर में हज़ारों जगह प्रदर्शन हुए।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
20 Sep 2019
climate strike
फोटो साभार : campaigncc.org

न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से पहले जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के कदम उठाने का आह्वान करते हुए दुनिया भर में हज़ारों जगह प्रदर्शन हुए।

नयी दिल्ली में दर्जनों छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और एक रैली के दौरान आवास तथा शहरी मामलों के मंत्रालय के बाहर नारे लगाए- “जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई हो” और “हम साफ हवा में सांस लेना चाहते हैं।”

ऑस्ट्रेलिया में कई जगह शुक्रवार को हजारों प्रदर्शनकारी रैलियों में जमा हुए। ऐसी ही एक शुरुआती रैली ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े शहर सिडनी और राष्ट्रीय राजधानी कैनबरा में हुई, जिसे “वैश्विक जलवायु ”वैश्विक जलवायु हड़ताल” नाम दिया गया। ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शनकारियों ने

देश में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाने का आह्वान किया।

उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे बड़ा कोयला और तरल प्राकृतिक गैस का निर्यातक है।

प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को वैश्विक जलवायु हड़ताल का आयोजन 110 कस्बों और शहरों में किया। इस दौरान सरकार और कारोबारियों से कहा गया कि वे 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को घटाकर शून्य करने के लक्ष्य को पूरा करने का वादा करें।

ऐसी ही रैलियों का आयोजन दुनिया भर में करने की योजना है। अमेरिका में शुक्रवार को 800 से अधिक आयोजन की तैयारी है। अनुमान है कि जर्मनी में 400 से अधिक रैलियां होंगी।

ये प्रदर्शनकारी कुछ हद तक स्वीडन की किशोर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित हैं, जिन्होंने पिछले एक साल से “फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर” के नाम से साप्ताहिक प्रदर्शन का आह्वान किया है।

दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया के कार्यकारी प्रधानमंत्री माइकल मैककॉर्मैक ने कहा है कि छात्रों को विद्यालयों में होना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस तरह की रैलियां सप्ताहांत में आयोजित की जानी चाहिए, जब इससे किसी को बाधा नहीं पहुंचती है। इससे विद्यालय और विश्वविद्यालय बाधित नहीं होने चाहिए।”

थाईलैंड, हांगकांग और दुनिया के कई हिस्सों में भी हजारों लोगों ने जलवायु परिवर्तन के संबंध में प्रदर्शन किया।

आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ की जलवायु परिवर्तन पर रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 अभी तक के मौजूद रिकॉर्ड में चौथा सबसे गर्म साल रहा है। आने वाले सालों में तापमान में और बढ़ोतरी होगी और यह स्थिति पृथ्वी के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है।
इसे पढ़ें : जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट : सरकारें नहीं समझ रही हैं स्थिति की गंभीरता

आपको बता दें कि जैव-विविधता और पारिस्थितिकी सेवाओं के अंतर सरकारी विज्ञान नीति मंच (आईपीबीईएस) ने इसी साल अपनी वैश्विक आकलन रिपोर्ट में ग्रह की जैव विविधता पर खतरों से आगाह किया है।

इसे देखें : जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं!

वैश्विक आकलन के अनुसार, पशुओं और पौधों की लगभग 10 लाख प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। इनमें से हजारों प्रजातियां आने वाले दशकों में ही विलुप्त हो जाएंगी। आकलन रिपोर्ट में विलुप्त होने की इस दर को अब तक के मानव इतिहास में सबसे अधिक बताया गया है।

(समाचार एजेंसी भाषा की ओर से जारी एपी के इनपुट के साथ)

climate change
Climate Strike
Climate Action
GLOBAL CLIMATE ACTION
Devastating Storms and Climate Change
UN climate conferences
New york
green house gas
Protest for the climate

Related Stories

कभी कृषि, रोज़गार और जलवायु परिवर्तन को आपस में मिलाकर सोचा है?

दिशा रवि की गिरफ़्तारी मोदी के 'न्यू इंडिया' की बीमार मानसिकता का सबूत है

जन संघर्षों में साथ देने का संकल्प लिया युवाओं ने


बाकी खबरें

  • श्रुति एमडी
    किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप
    18 May 2022
    खनन की अनुमति 3 फ़ीट तक कि थी मगर 20-30 फ़ीट तक खनन किया जा रहा है।
  • मुबाशिर नाइक, इरशाद हुसैन
    कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट
    18 May 2022
    स्थानीय कारीगरों को उम्मीद है कि यूनेस्को की 2021 की शिल्प एवं लोककला की सूची में श्रीनगर के जुड़ने से पुरानी कला को पुनर्जीवित होने में मदद मिलेगी। 
  • nato
    न्यूज़क्लिक टीम
    फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने
    17 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के विस्तार के रूप में फिनलैंड-स्वीडन के नेटो को शामिल होने और तुर्की के इसका विरोध करने के पीछे के दांव पर न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सोनिया यादव
    मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!
    17 May 2022
    देश में मैरिटल रेप को अपराध मानने की मांग लंबे समय से है। ऐसे में अब समाज से वैवाहिक बलात्कार जैसी कुरीति को हटाने के लिए सर्वोच्च अदालत ही अब एकमात्र उम्मीद नज़र आती है।
  • ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    17 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। कोर्ट ने कथित शिवलिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखने और नमाज़ जारी रखने के आदेश दिये हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License