NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पर्यावरण
भारत
राजनीति
क्या एयरपोर्ट बनाने के नाम पर देहरादून के थानो इलाके के 9 हज़ार से ज्यादा पेड़ काट दिए जाएंगे?
“इंडियन फॉरेस्ट एक्ट, वाइल्ड लाइफ एक्ट या किसी भी कानूनी प्रावधान, कोई नियम, कोई गाइडलाइन्स ऐसी नहीं है कि हम किसी जगह को एलिफेंट रिजर्व कहें। एलिफेंट रिजर्व जैसा कोई लीगल स्टेटस, कानूनी परिभाषा या प्रावधान नहीं है। एलिफेंट रिजर्व के नाम से नॉमन क्लेचर (शब्दावली) दी गई थी”।
वर्षा सिंह
25 Nov 2020
pty

उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में शिवालिक एलिफेंट रिजर्व की अधिसूचना को निरस्त करने का फ़ैसला लिया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में ये बैठक हुई। राज्य सरकार पहले से ही इसकी तैयारी कर रही थी।देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट विस्तार के लिए देहरादून के थानो क्षेत्र के 9 हज़ार से अधिक पेड़ काटे जाने के फैसले पर केंद्र की मुहर नहीं लग सकी थी। केंद्र ने यह कहकर प्रस्ताव खारिज कर दिया था कि यहां शिवालिक एलिफेंट रिजर्व है। जो हाथियों का महत्वपूर्ण कॉरीडोर है। केंद्र की इस आपत्ति को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने जैव-विविधता के लिहाज से बेहद समृद्ध और हाथियों के कॉरीडोर वाली इस जगह की अधिसूचना निरस्त कर दी। यानी, वहां हाथी तो होंगे, उन रास्तों से गुज़रेंगे भी, बस वो जगह अब एलिफेंट रिजर्व नहीं कहलाएगी और इस तरह राज्य सरकार आर्थिक गतिविधियों के लिए एयरपोर्ट विस्तार की अनुमति हासिल कर लेगी।

एलिफेंट रिजर्व के कानूनी दाव-पेंच

राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में शिवालिक एलिफेंट रिजर्व की अधिसूचना निरस्त की गई है। इसी बैठक में शामिल उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग न्यूज़ क्लिक को बताते हैं “हमने शिवालिक एलिफेंट रिजर्व को डी-नोटिफाई नहीं किया है। इंडियन फॉरेस्ट एक्ट, वाइल्ड लाइफ एक्ट या किसी भी कानूनी प्रावधान, कोई नियम, कोई गाइडलाइन्स ऐसी नहीं है कि हम किसी जगह को एलिफेंट रिजर्व कहें। एलिफेंट रिजर्व जैसा कोई लीगल स्टेटस, कानूनी परिभाषा या प्रावधान नहीं है। एलिफेंट रिजर्व के नाम से नॉमन क्लेचर (शब्दावली) दी गई थी”।

थानों का जंगल जगह जैव-विविधता के लिहाज से बेहद समृद्ध है। यहां हाथी, गुलदार और पंछियों का संसार है। यहां बर्ड फेस्टिवल और वन महोत्सव जैसे सरकारी उत्सव आयोजित किए गए हैं। क्या एयरपोर्ट विस्तार के लिए इस जंगल को काटना जरूरी है?

 मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कहते हैं “ पेड़ काटने जरूरी हैं। ये प्राकृतिक वन नहीं है बल्कि यहां 2001 में पौधरोपण से बने जंगल हैं। जिसे आप कॉरीडोर कह रहे हैं वहां एयरपोर्ट की बाउंड्री वॉल पहले से ही मौजूद है, ब्रिज है, सड़क है। हमारे राज्य की 71 प्रतिशत ज़मीन पर जंगल है। कॉरीडोर, रिजर्व के नाम पर स्कूल बनाने जैसे कार्यों के लिए भी हमें राज्य और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ती है। जिससे हमारे विकास से जुड़े कार्य रुकते हैं। किसी दूसरे राज्य में ऐसा नहीं होता। उत्तराखंड एक मात्र ऐसा राज्य है”।

 शिवालिक एलिफेंट रिजर्व देहरादून, हरिद्वार, लैंसडोन, हल्द्वानी, टनकपुर और रामनगर तक फैला हुआ है। जिसमें राजाजी नेशनल पार्क और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का कुछ हिस्सा भी आता है। वर्ष 2002 में प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत हाथियों के कॉरिडोर और उनके हैबिटेट को संरक्षित रखने के उद्देश्य से इसे एलिफेंट रिजर्व बनाया गया।

 थानो जंगल को बचाना क्यों जरूरी है

 जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास जाखन नदी वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए बेहद अहम है। नदी किनारे बसा थानों का जंगल वन्यजीवों को संरक्षण देता है। जो राजाजी नेशनल पार्क के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से को जोड़ता है। राजाजी में ये एक मात्र ऑपरेशनल कॉरीडोर है जो पर्वतीय क्षेत्र से भी जुड़ता है।

इकोलॉजिस्ट सौम्या प्रसाद थानो जंगल बचाने के लिए इसकी अहमियत बताती हैं। बाघ, गुलदार, हाथी, मोर, कठफोड़वा जैसी प्राणियों का ये घर हैं। सिर्फ देहरादून ही नहीं देश का सबसे पुराना सिल्वीकल्चरल (जंगल-विज्ञान) डिवीजन हैं। यहां साल के सबसे बेहतरीन पेड़ मिलेंगे। थानो क्षेत्र को एयरपोर्ट के लिए देने का मतलब वन्यजीवों की आवाजाही बाधित होना है। जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ेंगी। ये क्षेत्र पहले ही मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिहाज से संवेदनशील है। मोर और कठफोड़वा के अलावा यहां चिड़ियों की 200 से अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं। यहां मौजूद बरसों पुराने साल के पेड़ इन चिड़ियों का घर हैं। ये जंगल अनमोल इको सिस्टम सर्विस मुहैया करा रहा है। इसकी कार्बन सोखने की क्षमता भी बेहद अधिक है। देहरादून भी वायु प्रदूषण की मुश्किलों से जूझ रहा है। बढ़ते गाड़ियों के दबाव और प्रदूषण स्तर को देखते हुए थानो के जंगल स्वच्छ हवा के लिहाज से भी बेहद जरूरी हैं।

 हाथियों के रास्ते पर “विकास”

हाथियों की आवाजाही के रास्ते और “विकास” की अड़चनें लगातार बनी हुई हैं। इसी एक हफ्ते में देहरादून-हरिद्वार के आसपास तीन हाथियों की मौत हुई है। दो हाथी करंट लगने से मारे गए। जबकि एक हाथी की मौत ट्रेन की चपेट में आने से हुई। मंगलवार को पथरी क्षेत्र में ट्रांसफार्मर से टकराकर हाथी करेंट की चपेट में आ गया। इससे पहले 18 नवंबर को देहरादून के लच्छीवाला में जंगल में हाईटेंशन तार की चपेट में आकर हाथी की मौत हुई थी। 22 नवंबर को देहरादून में ही लच्छीवाला-हर्रावाला में ट्रेन की चपेट में आकर एक हाथी की जान चली गई।एक हफ्ते के अंदर तीन हाथियों की मौत को एयरपोर्ट विस्तार से जोड़कर देखिए। क्योंकि अब इनका एक और मार्ग बाधित होगा।

थानो जंगल बचाने के लिए चेंज डॉट ऑर्ग पर ऑनलाइन याचिका डालने वाली डॉ आंचल शर्मा अपील करती हैं “ जैव विविधता के बारे में सोचिए। पेड़ कटने का सीधा असर इस पर पड़ेगा। वन्यजीवों का घर छिन जाएगा। आप इस एयरपोर्ट को कहीं और शिफ्ट कर दीजिए। हमें वन्यजीवों के हैबिटेट पर विकास नहीं चाहिए”।

 

Dehradun
thano area in dehradun
jauligrant airport
thano elepahnat rsesere

Related Stories

इको-एन्ज़ाइटी: व्यासी बांध की झील में डूबे लोहारी गांव के लोगों की निराशा और तनाव कौन दूर करेगा

दिल्ली से देहरादून जल्दी पहुंचने के लिए सैकड़ों वर्ष पुराने साल समेत हज़ारों वृक्षों के काटने का विरोध

देहरादून: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के कारण ज़हरीली हवा में जीने को मजबूर ग्रामीण

'विनाशकारी विकास' के ख़िलाफ़ खड़ा हो रहा है देहरादून, पेड़ों के बचाने के लिए सड़क पर उतरे लोग

हरिद्वार-देहरादून के बीच 100 की रफ़्तार से दौड़ी ट्रेन, वन्यजीवों की बढ़ी चुनौती

क्या अरब सागर को पार करते हैं चातक पक्षियों के दल?

जब 10 हज़ार पेड़ कट रहे होंगे, चिड़ियों के घोंसले, हाथियों के कॉरिडोर टूट रहे होंगे, आप ख़ामोश रहेंगे?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    वर्ष 2030 तक हार्ट अटैक से सबसे ज़्यादा मौत भारत में होगी
    23 May 2022
    "युवाओं तथा मध्य आयु वर्ग के लोगों में हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं जो चिंताजनक है। हर चौथा व्यक्ति हृदय संबंधी रोग से पीड़ित होगा।"
  • आज का कार्टून
    “मित्रों! बच्चों से मेरा बचपन का नाता है, क्योंकि बचपन में मैं भी बच्चा था”
    23 May 2022
    अपने विदेशी यात्राओं या कहें कि विदेशी फ़ोटो-शूट दौरों के दौरान प्रधानमंत्री जी नेताओं के साथ, किसी ना किसी बच्चे को भी पकड़ लेते हैं।
  • students
    रवि शंकर दुबे
    बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?
    23 May 2022
    उत्तराखंड में एक बार फिर सवर्ण छात्रों द्वारा दलित महिला के हाथ से बने भोजन का बहिष्कार किया गया।
  • media
    कुश अंबेडकरवादी
    ज़ोरों से हांफ रहा है भारतीय मीडिया। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पहुंचा 150वें नंबर पर
    23 May 2022
    भारतीय मीडिया का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है, वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 150वें नंबर पर पहुंच गया है।
  • सत्येन्द्र सार्थक
    श्रम क़ानूनों और सरकारी योजनाओं से बेहद दूर हैं निर्माण मज़दूर
    23 May 2022
    निर्माण मज़दूर राजेश्वर अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं “दिल्ली के राजू पार्क कॉलोनी में मैंने 6-7 महीने तक काम किया था। मालिक ने पूरे पैसे नहीं दिए और धमकी देकर बोला ‘जो करना है कर ले पैसे नहीं दूँगा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License