NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
भारत
राजनीति
भाजपा राज में दलितों-हाशियाकृत समुदायों का सामाजिक-आर्थिक दर्जा
देश भर में दलितों और अन्य हाशियाकृत समुदायों के शोषण और दमन की घटनाओं की बानगी भर हैं। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इस तरह की घटनाओं में इज़ाफ़ा हुआ है.
राम पुनियानी
10 Jun 2021
भाजपा राज में दलितों-हाशियाकृत समुदायों का सामाजिक-आर्थिक दर्जा

अहमदाबाद के नज़दीक एक गाँव में एक दलित युवक ने मूंछें रख लीं. उसकी जम कर पिटाई की गई और उसकी मूंछें साफ़ कर दी गईं. कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के गोनी बीडू पुलिस थाना क्षेत्र में एक दलित युवक को गाँववालों की शिकायत पर हिरासत में लिया गया. हवालात में उसे पीटा तो गया ही, जब उसने पीने का पानी माँगा तो पुलिसवालों ने हवालात में बंद एक अन्य व्यक्ति से उसके मुंह में पेशाब करने को कहा. मध्यप्रदेश में एक दलित मजदूर ने पेड़ काटने से इंकार करने पर उसके बच्चों के सामने उसकी पत्नी, जिसे पांच माह का गर्भ था, के साथ बलात्कार किया गया.

ये तीनों घटनाएं हाल की हैं और देश भर में दलितों और अन्य हाशियाकृत समुदायों के शोषण और दमन की घटनाओं की बानगी भर हैं. मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इस तरह की घटनाओं में इज़ाफ़ा हुआ है. सामान्यतः यह माना जाता है कि भाजपा हिन्दुओं के हितार्थ काम करने वाली पार्टी है और इसलिए मुसलमान और ईसाई उसके निशाने पर रहते हैं. परन्तु ऐसा है नहीं. दरअसल, महिलाओं, दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों को भी संघ परिवार की ब्राह्मणवादी नीतियों के गंभीर कुपरिणाम भोगने पड़ रहे हैं.

ऐसे में बी.आर. अम्बेडकर के ये शब्द हमें याद आना स्वाभाविक है: "अगर हिंदू राज सचमुच एक वास्तविकता बन जाता है तो इसमें संदेह नहीं कि यह देश के लिए भयानक विपत्ति होगी...हिन्दू राज को किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए." भाजपा के केंद्र में सत्ता में आने की बाद से अम्बेडकर की यह भविष्यवाणी सच होती दिख रही है. दलितों पर बढ़ते अत्याचार उनकी सामाजिक स्थिति में आ रही गिरावट का कारण और परिणाम दोनों हैं. इसके समानांतर, दलित व अन्य वंचित वर्ग आर्थिक दृष्टि से भी कमज़ोर हो रहे हैं.  

कई रपटों से यह साफ़ है कि मुसलमानों के साथ-साथ दलितों और महिलाओं पर भी अत्याचार बढ़ रहे हैं. यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) द्वारा प्रायोजित "कोंस्टीट्युशनल एंड लीगल चैलेंजेज फेस्ड बाई रिलीजियस माइनॉरिटीज इन इंडिया" शीर्षक रपट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों और दलितों के साथ भेदभाव होता है और उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. उनके विरुद्ध नफरत-जनित अपराधों, उनके सामाजिक बहिष्करण और जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन की घटनाओं में 2014 के बाद से तेजी से वृद्धि हुई है. 

दलितों और अन्य हाशियाकृत समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी गिरावट आई है. एससी-एसटी के लिए सकारात्मक कदम के रूप में आरक्षण की व्यवस्था की गई है परन्तु इससे लाभान्वित होने वाले दलितों की संख्या बहुत कम है. भाजपा सरकार ने आर्थिक आधार पर आरक्षण देकर सरकारी नौकरियों में उनकी हिस्सेदारी और कम कर दी है. आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए पात्रता की शर्तें इस प्रकार निर्धारित की गईं हैं कि अपेक्षाकृत समृद्ध वर्ग भी इसके लिए पात्र हो गए हैं.

पिछड़े वर्गों के मामले में 'क्रीमी लेयर' के प्रावधान के कारण उनका एक बड़ा तबका आरक्षण से वंचित हो गया है. इससे उनकी बेहतरी के लिए उठाया गया यह महत्वपूर्ण कदम निरर्थक सिद्ध होने की कगार पर है.  

गौमांस के मुद्दे पर भाजपा के अभियान ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचाया है. इससे किसानों और विशेषकर दलितों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. दलितों का एक वर्ग गाय और गौमांस से जुड़े पेशों में संलग्न है. गाय के चमड़े के व्यवसाय पर पूर्ण रोक ने दलितों के आर्थिक हितों पर चोट की है. गौरक्षा के नाम पर लिंचिंग की जो घटनाएं हुईं हैं उनमें से अधिकांश में पीड़ित दलित हैं. गुजरात के ऊना में सात दलितों को नंगा कर बेरहमी से पीटा जाना परंपरागत रूप से इस व्यवसाय से अपना जीवनयापन करने वाले दलितों के लिए एक चेतावनी थी.

एक ओर दलितों का सामाजिक और आर्थिक हाशियाकरण किया जा रहा है तो दूसरी ओर वोटों की खातिर उन्हें हिंदुत्व के पाले में लाने की कोशिशें भी हो रहीं हैं. भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग व अन्य सांस्कृतिक उपकरणों की मदद से दलितों, आदिवासियों और ओबीसी की बहुलता वाले क्षेत्रों में घुसपैठ कर ली है. इन इलाकों से बड़ी संख्या में भाजपा सांसद और विधायक चुने गए हैं. देश भर में दलितों के लिए 84 लोकसभा सीटें आरक्षित हैं. सेंटर फॉर स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज के अनुसार सन 2014 में भाजपा ने इनमें से 40 सीटें जीतीं थीं.

संघ के अनुषांगिक संगठनों जैसे सामाजिक समरसता मंच, वनवासी कल्याण आश्रम और विश्व हिन्दू परिषद आदि ने एससी-एसटी क्षेत्रों में जड़ें ज़माने में भाजपा की मदद की है. इन संगठनों ने पिछले तीन दशकों में इन इलाकों में जम कर घुसपैठ की है और राजनैतिक लाभ, विशेषकर चुनाव जीतने, के लिए दलितों और आदिवासियों को अपने साथ लेने के लिए हर संभव प्रयास करते रहे हैं.

दलित-आदिवासी इलाकों में ब्राह्मणवादी धार्मिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है. इन समुदायों के कई नायकों जैसे सुहेल देव की छवि को मुस्लिम-विरोधी और ब्राह्मणवादी के रूप में गढ़ दिया है. भाजपा और उसके सहयोगी संगठन अम्बेडकर को अपना नायक बताते हैं परन्तु अम्बेडकर को प्रिय मूल्यों और समानता, बहुवाद और विविधता के सिद्धांतों की खिलाफत करते हैं. भाजपा कुछ ऐसे दलित नेताओं को अपने झंडे तले ले आई है जो किसी भी हालत में सत्ता में बने रहने चाहते हैं. इन नेताओं का इस्तेमाल पार्टी अपने राजनैतिक एजेंडा को लागू करने के लिए करना चाहती है. अध्येता और लेखक आनंद तेलतुम्बडे के अनुसार, रामविलास पासवान और रामदास अठावले जैसे नेता हिन्दू राष्ट्रवादी राजनीति के हनुमान हैं. हाल में चिराग पासवान ने खुद को नरेन्द्र मोदी का हनुमान बताया था. इससे इस धारणा की पुष्टि होती है.  

परन्तु यह सब लम्बे समय तक चलने वाला नहीं है. दलित समुदायों के युवा धीरे-धीरे भाजपा के असली हिन्दू राष्ट्रवादी चेहरे और एजेंडे से वाकिफ हो रहे हैं. उनकी गिरती आर्थिक स्थिति से वे परेशान हैं. अपने समुदाय पर बढ़ते अत्याचारों और अपनी महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों से वे दुखी और आक्रोशित हैं. वे ब्राह्मणवादी राष्ट्रवादियों की धूर्त चालों को समझने लगे हैं. जिग्नेश मेवानी और चंद्रशेखर रावण जैसे नयी पीढ़ी के दलित नेता अम्बेडकर की हिन्दू राज के बारे में चेतावनी को याद कर रहे हैं. वे देख रहे हैं कि दलितों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो रही है और उनके हाथ में कथित सम्मान की लोलीपॉप के अलावा कुछ भी नहीं है. दमित वर्गों पर बढ़ते अत्याचार और उनका आर्थिक हाशियाकरण हमें भाजपा के असली एजेंडे से परिचित करवाता है. और वह है आबादी के एक बड़े हिस्से को दबा कर रखना.

यह तो समय ही बताएगा कि दलित और अन्य वंचित वर्ग संघ परिवार के जादू से कब तक मुक्त होते हैं. 

(अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया)

साभार : सबरंग 

BJP
Dalits
Attack on dalits
caste discrimination
RSS
Casteism
casteism in modi govt

Related Stories

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

बागपत: भड़ल गांव में दलितों की चमड़ा इकाइयों पर चला बुलडोज़र, मुआवज़ा और कार्रवाई की मांग

मेरे लेखन का उद्देश्य मूलरूप से दलित और स्त्री विमर्श है: सुशीला टाकभौरे


बाकी खबरें

  • Mothers and Fathers March
    पीपल्स डिस्पैच
    तख़्तापलट का विरोध करने वाले सूडानी युवाओं के साथ मज़बूती से खड़ा है "मदर्स एंड फ़ादर्स मार्च"
    28 Feb 2022
    पूरे सूडान से बुज़ुर्ग लोगों ने सैन्य शासन का विरोध करने वाले युवाओं के समर्थन में सड़कों पर जुलूस निकाले। इस बीच प्रतिरोधक समितियां जल्द ही देश में एक संयुक्त राजनीतिक दृष्टिकोण का ऐलान करने वाली हैं।
  • गौरव गुलमोहर
    यूपी चुनाव: क्या भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं सिटिंग विधायक?
    28 Feb 2022
    'यदि भाजपा यूपी में कम अंतर से चुनाव हारती है तो उसमें एक प्रमुख कारण काम न करने वाले सिटिंग विधायकों का टिकट न काटना होगा।'
  • manipur
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मणिपुर में पहले चरण का चुनाव, 5 ज़िलों की 38 सीटों के लिए 67 फ़ीसदी से ज़्यादा मतदान
    28 Feb 2022
    मणिपुर विधानसभा के लिए आज पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया। मतदान का समय केवल शाम 4 बजे तक ही था। अपराह्न तीन बजे तक औसतन 67.53 फ़ीसदी मतदान हुआ। अंतिम आंकड़ों का इंतज़ार है।
  • jharkhand
    अनिल अंशुमन
    झारखंड : फिर ज़ोर पकड़ने लगी है ‘स्थानीयता नीति’ बनाने की मांग : भाजपा ने किया विरोध
    28 Feb 2022
    हेमंत सोरेन सरकार को राज्य में होने वाली सरकारी नियुक्तियों के लिए घोषित विसंगतिपूर्ण नियोजन नीति को छात्रों-युवाओं के विरोध के बाद वापस लेना पड़ा है। लेकिन मामला यहीं थम नहीं रहा है।
  • Sergey Lavrov
    भाषा
    यूक्रेन की सेना के हथियार डालने के बाद रूस ‘किसी भी क्षण’ बातचीत के लिए तैयार: लावरोव
    28 Feb 2022
    लावरोव ने यह भी कहा कि रूस के सैन्य अभियान का उद्देश्य यूक्रेन का ‘‘विसैन्यीकरण और नाजी विचारधारा से’’ मुक्त कराना है और कोई भी उस पर कब्जा नहीं करने वाला है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License