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कोरियाई युद्ध के ख़ात्मे के लिए दक्षिण कोरिया ने बहुपक्षीय समझौते की घोषणा की
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जाए इन ने कहा कि 1953 में बराबरी पर खत्म हुए कोरियाई युद्ध में शामिल रहे चारों पक्षों ने सैद्धांतिक तौर पर इस युद्ध के ख़ात्मे पर सहमति दे दी है। यह आगे शांति प्रक्रिया की दिशा में बड़ा क़दम है।
पीपल्स डिस्पैच
14 Dec 2021
South Korea

कोरियाई शांति प्रक्रिया में बड़े घटनाक्रम में, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, चीन और अमेरिका ने कोरियाई युद्ध के खात्मे पर सहमति जता दी है। सोमवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जाएइन ने घोषणा में कहा कि चारों पक्षों ने युद्ध के खात्मे पर, 1950 में इसकी शुरुआत के 71 साल बाद, सैद्धांतिक सहमति दे दी है।

चार दिन की ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर गए राष्ट्रपति मून जाएइन ने कैनबरा में कहा कि उत्तर कोरिया के प्रति अमेरिका का दुश्मनी भरा रवैया यूं वजहों में से था, जिनके चलते शांति वार्ता पर विराम लग जाता था। उत्तर कोरिया ने शांति समझौतों को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका की "विरोध नीति" के खात्मे, जिसमें एकतरफा प्रतिबंध और अमेरिका के नेतृत्व में की गई घेराबंदी शामिल है", उसके खात्मे की शर्त रखीं। जबकि अमेरिका का कहना है कि पहले से कोई शर्तें तय ना की जाएं।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने कहा,"इसके चलते हम दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया व अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच हुई घोषणा पर बातचीत करने के लिए नहीं बैठ पाए। अब हमें आशा है कि आगे बातचीत शुरू होगी। हम इसके लिए कोशिशें भी कर रहे हैं।"

1953 के बाद से छुटपुट झड़पों को छोड़कर उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच कोई बड़ा सशस्त्र टकराव नहीं हुआ है, लेकिन कोरियाई युद्ध के खात्मे की आधिकारिक घोषणा एक प्रतीकात्मक संकेत है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति का कहना है कि शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए इस तरीके की आधिकारिक घोषणा जरूरी थी।

मून जाए इन ने कहा कि "युद्ध समाप्ति की घोषणा ही मात्र आखिरी लक्ष्य नहीं था। हथियारों के आधार पर पिछले 70 साल से टिकी अस्थिर व्यवस्था के खात्मे के साथ साथ यह उत्तर और दक्षिण कोरिया व अमेरिका के बीच बातचीत की शुरुआत का मौका हो सकता है।

उन्होंने आगे कहा, "यह हमें कोरिया प्रायद्वीप में परमाणु निष्पादन और शांति की प्रक्रिया पर बातचीत की शुरुआत में मदद दे सकता है।"

यह पहली बार नहीं है जब कोरिया युद्ध को खत्म करने के लिए किसी औपचारिक समझौते पर पहुंचा गया हो। 2018 में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और दक्षिण कोरिया के मून जाए इन के बीच सम्मेलन में दोनों पक्षों ने पन्मुंजोम घोषणा का ऐलान किया था, जो युद्ध पर औपचारिक शांति समझौते की दिशा में बेहद अहम द्विपक्षीय समझौता था।

लंबे वक़्त से थमा था मामला

1950 में शुरू हुआ कोरियाई युद्ध तब चालू हुआ था जब उत्तर कोरिया ने किम इल सुंग के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सत्ता ने अमेरिका समर्थित "सिंगमन रही" के नेतृत्व वाले दक्षिण कोरिया पर हमला बोल दिया। इसके बाद कम्युनिस्ट विरोधी नरसंहार हुआ, जिसमें 1 लाख से ज्यादा कम्युनिस्टों को मार दिया गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक विवादित मैंडेट के समर्थन के साथ अमेरिका ने समजवादी ताकतों को पीछे धकेलने के लिए कोरिया प्रायद्वीप में हमला बोल दिया।

1953 में बराबरी पर तब युद्ध हुआ, जब संयुक्त राष्ट्र संघ कमांड (जिनका ज़्यादातर नेतृत्व अमेरिका के हाथ में था) उत्तर कोरिया और चीन के बीच युद्ध विराम पर सहमति बनी। दक्षिण कोरिया ने इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। क्योंकि उसकी मंशा ताकत के जरिए कोरिया को एक करने की थी।

चीन और उत्तर कोरिया ने तो 1954 में ही शांति समझौते की अपील की थी। लेकिन अमेरिका के विरोधी रवैए, फिर दक्षिण कोरिया में "रही तानाशाही" के कम्युनिस्ट विरोधी रवैए और उसके बाद तीसरे और चौथे गणराज्य के दौरा आई तानाशाही के चलते तकनीकी तौर पर यह युद्ध जारी रहा, जिसके चलते कोरिया प्रायद्वीप में शांति प्रक्रिया लंबित रही।

2018 में शुरू हुई हालिया शांति वार्ता की शुरुआत राष्ट्रपति मून जाए इन ने की थी। लेकिन 2019 में डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच हुए सम्मेलन के बाद यह भी थम गई थी। क्योंकि उस सम्मेलन में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया था। फिर आगे अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर और भी कठोर प्रतिबंध लगाए, जिनके चलते शांति प्रक्रिया थम गई, जबकि दोनों कोरियाई देशों के बीच अच्छी प्रगति हो चुकी थी।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

South Korea declares multilateral agreement to end Korean War

Kim Jong-un
Korean peace process
Korean War
Moon Jae In
US sanctions on North Korea

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