NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
चले चलो कि वो मंज़िल अभी नहीं आई...
फ़ैज़ ने एक नहीं ऐसी तमाम नज़्में-ग़ज़लें कहीं हैं जो हमारे हुक्मरां, हमारे शासक को परेशान करती हैं, चुनौती देती हैं, सवाल पूछती हैं। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उन्हीं की ऐसी ही एक नज़्म ‘सुब्ह-ए-आज़ादी’
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
05 Jan 2020
Faiz Ahamad faiz

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ यह वह नाम है जो इन दिनों उनके मुंह पर भी है जिनका इल्म-ओ-अदब से कभी वास्ता नहीं रहा। हिन्दुस्तान, पाकिस्तान समेत तमाम दुनिया के इस महबूब शायर की एक नज़्म हमारे देश में प्रतिरोध की आवाज़ बनी हुई है। वो नज़्म है ....‘हम देखेंगे’, जो इन दिनों नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हर आंदोलनकारी की ज़ुबान पर है। कुछ लोगों को इससे एतराज़ है और वो इसकी जांच भी कर रहे हैं कि यह नज़्म क्या हिन्दू विरोधी है? चलो इसी बहाने उन्हें कुछ पढ़ने-समझने का मौका मिलेगा।

हमारे फ़ैज़ ने ऐसी एक नहीं तमाम नज़्में-ग़ज़लें कहीं हैं जो हमारे हुक्मरां, हमारे शासक को परेशान करती हैं, चुनौती देती हैं, सवाल पूछती हैं। सन् 1947 में आज़ादी के तुरंत बाद उन्होंने बंटवारे और नए बने मुल्क़ पाकिस्तान का हाल देखकर पूछा था कि “वो इंतज़ार था जिसका, ये वो सहर तो नहीं...”। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उन्हीं की यही नज़्म :

सुब्ह-ए-आज़ादी

 ये दाग़-दाग़ उज़ाला, ये शब गज़ीदा सहर

वो इंतज़ार था जिसका, ये वो सहर तो नहीं

 

ये वो सहर तो नहीं कि जिसकी आरज़ू लेकर

चले थे यार कि मिल जायेगी कहीं न कहीं

फ़लक के दश्त में तारों की आखिरी मंज़िल

कहीं तो होगा शब-ए-सुस्त मौज का साहिल

कहीं तो जाके रुकेगा सफ़ीना-ए-ग़म-ए-दिल

 

जवाँ लहू की पुर-असरार शाहराहों में

चले जो यार तो दामन पे कितने दाग़ पड़े

पुकारती रहीं बाहें, बदन बुलाते रहे

बहुत अज़ीज़ थी लेकिन रुखे-सहर की लगन

 

बहुत करीं था हसीना-ए-नूर का दामन

सुबुक सुबुक थी तमन्ना, दबी-दबी थी थकन

सुना है हो भी चुका है फ़िराके ज़ुल्मत-ओ-नूर

सुना है हो भी चुका है विसाले-मंज़िल-ओ-गाम

 

बदल चुका है बहुत अहले दर्द का दस्तूर

निशाते-वस्ल हलाल-ओ-अज़ाबे-हिज़्र हराम

जिगर की आग, नज़र की उमंग, दिल की जलन

किसी पे चारे हिज़्राँ का कुछ असर ही नहीं

कहाँ से आई निग़ारे-सबा किधर को गयी

अभी चिराग़े-सरे-रह को कुछ खबर ही नहीं

 

अभी गरानी-ए-शब में कमी नहीं आई

निज़ाते-दीदा-ओ-दिल की घड़ी नहीं आई

चले चलो कि वो मंज़िल अभी नहीं आई

इसे भी पढ़े: मैं जेल में हूँ...मेरे झोले में है एक किताब 'हमारा संविधान'

इसे भी पढ़े:…तो हमें देश की सुरक्षा से ख़तरा है

इसे भी पढ़े:  जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, मारे जाएँगे

Sunday Poem
Faiz Ahmed Faiz
CAA
Citizenship Amendment Act
NRC
National Population Register
NPR
Amit Shah
Narendra modi
BJP

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • कृष्णकांत
    भारत को मध्ययुग में ले जाने का राष्ट्रीय अभियान चल रहा है!
    10 May 2022
    भारत किसी एक मामले में फिसला होता तो गनीमत थी। चाहे गिरती अर्थव्यवस्था हो, कमजोर होता लोकतंत्र हो या फिर तेजी से उभरता बहुसंख्यकवाद हो, इस वक्त भारत कई मोर्चे पर वैश्विक आलोचनाएं झेल रहा है लेकिन…
  • सोनाली कोल्हटकर
    छात्रों के ऋण को रद्द करना नस्लीय न्याय की दरकार है
    10 May 2022
    छात्र ऋण अश्वेत एवं भूरे अमेरिकिर्यों को गैर-आनुपातिक रूप से प्रभावित करता है। समय आ गया है कि इस सामूहिक वित्तीय बोझ को समाप्त किया जाए, और राष्ट्रपति चाहें तो कलम के एक झटके से ऐसा कर सकते हैं।
  • khoj khabar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब झूठ मत बोलिए, सरकारी आंकड़ें बोलते- मुस्लिम आबादी में तेज़ गिरावट
    09 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बताया कि किस तरह से अंतर्राष्ट्रीय negative ranking से घिरी नरेंद्र मोदी सरकार को अब PR का भरोसा, मुस्लिम आबादी का झूठ NFHS से बेनक़ाब |
  • एम.ओबैद
    बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक कांड मामले में विपक्षी पार्टियों का हमला तेज़
    09 May 2022
    8 मई को आयोजित बिहार लोक सेवा आयोग के 67वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई है। इसको लेकर विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला करना शुरू कर…
  • सत्यम् तिवारी
    शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'
    09 May 2022
    एमसीडी की बुलडोज़र कार्रवाई का विरोध करते हुए और बुलडोज़र को वापस भेजते हुए शाहीन बाग़ के नागरिकों ने कहा कि "हम मुसलमानों के दिमाग़ पर बुलडोज़र नहीं चलने देंगे"।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License