NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सीएए याचिकाएं: केंद्र को सुने बगैर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 143 याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें केरल सरकार की याचिका भी शामिल है जिसमें इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Jan 2020
supreme court

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि वह केंद्र की दलीलों को सुने बगैर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर कोई रोक नहीं लगाएगा। साथ ही उसने कहा कि इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को वह वृहद संविधान पीठ के पास भेज सकता है।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ सीएए की वैधता को चुनौती देने वाली 143 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इनमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिकाएं भी शामिल हैं।

केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि 143 याचिकाओं में से करीब 60 की प्रतियां सरकार को दी गई हैं। उन्होंने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए सरकार को समय चाहिए जो उसे अभी नहीं मिल पाई हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय से सीएए के क्रियान्वयन पर रोक लगाने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कवायद फिलहाल टाल देने का अनुरोध किया। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर केंद्र को सुने बगैर सीएए पर कोई रोक नहीं लगाएगा।

सीएए में 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिससे उसने कानून की शक्ल ले ली। आईयूएमएल ने अपनी याचिका में कहा कि सीएए बराबरी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है और इसका मकसद धर्म के आधार पर लोगों को बाहर कर अवैध शरणार्थियों के एक वर्ग को नागरिकता देना है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि यह कानून संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों पर ‘कठोर हमला’ है। राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की हैं।

कई अन्य याचिकाकर्ताओं में मुस्लिम संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू), पीस पार्टी, भाकपा, एनजीओ ‘रिहाई मंच’ और सिटिजंस एगेंस्ट हेट, वकील एम एल शर्मा और कानून के छात्र शामिल हैं।

आपको बता दें कि देश के कई हिस्सों में सीएए का तगड़ा विरोध हो रहा है। बीते महीने देश के अलग-अलग हिस्सों में यह विरोध हिंसा में तब्दील हो गया जिसमें कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई। अभी भी दिल्ली के शाहीन बाग सहित देश के कई इलाकों में इस कानून के खिलाफ धरना-प्रदर्शन जारी है।

केरल और पंजाब जैसे राज्य सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं तो पश्चिम बंगाल ऐसा करने की तैयारी में है। उधर, केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों को ऐसा करने का अधिकार नहीं है क्योंकि नागरिकता का विषय उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। मंगलवार को लखनऊ में आयोजित एक रैली में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जिसे जितना विरोध करना हो करे लेकिन सीएएस वापस नहीं होने वाला। उन्होंने इस मुद्दे पर हो रहे विरोध को विपक्ष के दुष्प्रचार का नतीजा भी बताया। 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
    

Supreme Court
Supreme Court Verdict
CAA
Protest against CAA
BJP
Congress
NPR
CAA NRC protests

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • CAA
    नाइश हसन
    यूपी चुनाव: सीएए विरोधी आंदोलन से मिलीं कई महिला नेता
    07 Feb 2022
    आंदोलन से उभरी ये औरतें चूल्हे-चौके, रसोई-बिस्तर के गणित से इतर अब कुछ और बड़ा करने जा रही हैं। उनके ख़्वाबों की सतरंगी दुनिया में अब सियासत है।
  • Nirmala Sitharaman
    प्रभात पटनायक
    इस बजट की चुप्पियां और भी डरावनी हैं
    07 Feb 2022
    इस तरह, जनता को ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ती मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन, मोदी सरकार को तो इस सब को देखना और पहचानना तक मंज़ूर नहीं है। लेकिन, यह अपने आप में अनिष्टकारी है क्योंकि जब भुगतान…
  • caste
    विक्रम सिंह
    आज़ाद भारत में मनु के द्रोणाचार्य
    07 Feb 2022
    शिक्षा परिसरों का जनवादीकरण और छात्रों, अध्यापकों, कुलपतियों और अन्य उच्च पदों में वंचित समुदायों का प्रतिनिधित्व बढ़ाये बिना शिक्षण संस्थानों को मनु के ब्राह्मणवाद से छुटकारा नहीं दिलवाया जा सकता है।
  • UP
    विजय विनीत
    यूपी चुनाव: पांच साल पत्रकारों ने झेले फ़र्ज़ी मुक़दमे और धमकियां, हालत हुई और बदतर! 
    07 Feb 2022
    उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पिछले पांच सालों में जिस तरह से मीडिया का गला घोंटा है उसे लोकतंत्र का चौथा खंभा शायद कभी नहीं भुला पाएगा। पूर्वांचल की बात करें तो जुल्म-ज्यादती के भय से थर-थर कांप रहे…
  • hum bharat ke log
    अतुल चंद्रा
    हम भारत के लोग : इंडिया@75 और देश का बदलता माहौल
    07 Feb 2022
    पुराने प्रतीकों की जगह नए प्रतीक चिह्न स्थापित किये जा रहे हैं। भारत की स्वतंत्रता के इतिहास को नया जामा पहनाने की कोशिश हो रही है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License