NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
अंतरराष्ट्रीय
ताशकंद में भी किया गया ग़ालिब को याद
ग़ालिब से उज़बेकी लोगों का पहला परिचय सन् 1965 में हुआ था जब उनकी ग़ज़लों और रूबाइयों का संग्रह उज़्बेकी में ‘शाईदो’ नाम से प्रकाशित किया गया था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
29 Dec 2018
ग़ालिब पर सेमिनार
ताशकंद स्थित स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज में ग़ालिब पर सेमिनार।

उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद स्थित स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज में उर्दू के महान शायर गालिब की 221वर्षगांठ के मौके पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।

उज़्बेकिस्तान का स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज में हिंदी और उर्दू का अध्यन एवं अध्यापन कई वर्षों से किया जा रहा है। उज़्बेकिस्तान 1991 तक अविभाजित सोवियत संघ का एक प्रमुख हिस्सा था।

मिर्ज़ा ग़ालिब की जयंती (27 दिसंबर) के उपलक्ष्य में हुए इस कार्यक्रम में विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर उल्फत मुखीबोवा, डॉ. तामारा खोदजेयेवा, डॉ. मुहय्या अब्दुरहमानोवा और कई युवा अध्यापकों तथा बी ए हिंदी और उर्दू के विद्यार्थियों ने पूरे जोश के साथ भाग लिया।

सेमिनार का उद्घाटन लाल बहादुर भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के डायरेक्टर प्रो. चंद्र शेखर ने किया। फारसी साहित्य के बड़े विद्वान के तौर पर विख्यात प्रो. चंद्र शेखर ने ग़ालिब के फारसी, उर्दू और हिन्दुस्तानी साहित्य में योगदान पर चर्चा की। गालिब का उर्दू फारसी काव्य अपनी बहुमुखी विशेषताओं के कारण हर नस्ल का हमदम एवं हमराज़ है। उनकी काव्य भाषा सरल एवं कठिन दोनों का मिलन है। समय काल उनके काव्य में धाराप्रवाह बहते रहते हैं। इंसान जब तक जीवित है हर पल कल्पनाओं के द्वारा अपने भविष्य निर्माण में लगा रहता है।

यह बात उल्लेखनीय है कि ग़ालिब के दादा समरकंद से शाह आलम (18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध) में आए थे इसीलिए ग़ालिब की फारसी, ईरानी नहीं बल्कि समरकंदी है। उन्होंने बताया कि लाल बहादुर शास्त्री केंद्र जल्द ही ग़ालिब का उर्दू कलाम उज़बेकी भाषा में छापने जा रहा है। उन्होंने ताशकंद केंद्र की अध्यक्षा प्रोफेसर उल्फत को गालिब पर लिखित ग़ालिब और उनका काल (ग़ालिब और उनका अहद) नामक पुस्तक उपहार स्वरूप प्रदान की।

IMG-20181227-WA0004.jpg

सेमिनार में बोलते हुए प्रोफेसर तामारा खोदजेयेवा ने कहा कि ग़ालिब न सिर्फ भारत के शायर हैं बल्कि पूरी दुनिया में उनकी शायरी का एक महत्व है। डॉ. मुहय्या अब्दुरहमानोवा ने ग़ालिब की ग़ज़लों के प्रमुख पहलुओं की जानकारी विद्यार्थियों को दी। प्रोफेसर उल्फा मुखीबोवा ने कहा कि ग़ालिब की शायरी और उनके व्यक्तित्व के बारे में भारत में गालिब इंस्टीट्यूट में हुई अंतरराष्ट्रीय सेमिनार से उन्हें बहुत जानकारी मिली। उन्होंने दीवाने ग़ालिब की देवनागरी लिपि में छपी किताब से ग़ालिब की रचनाओं को पढ़कर सुनाया जिसका सभी लोगों ने आनंद उठाया।

ग़ालिब से उज़बेकी लोगों का पहला परिचय सन् 1965 में हुआ था जब उनकी ग़ज़लों और रूबाइयों का संग्रह उज़्बेकी में ‘शाईदो’ नाम से प्रकाशित किया गया था। ग़ालिब की शायरी से दूसरा परिचय सन् 1968 में हुआ जब उज़बेकी विद्वान ई. होशीमोव ने ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’ (जीवन और रचना) नामक पुस्तक लिखी। महान शायर से तीसरा परिचय 1975 में हुआ जब एक बड़े विद्वान उस्ताद अध्यापक मुहमेदजानोव ने उनकी गजलों और रूबाइयों का उजबेकी में अनुवाद किया था।

ghalib
mirza ghalib
Tashkent
Uzbekistan
Tashkent State Institute of Oriental Studies
lbscic Uzbekistan
मिर्ज़ा ग़ालिब

Related Stories


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License