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तमिलनाडु : श्मशाम घाट के रास्ते में दबंग जातियों का गाँव, दलित का शव ले जाने से रोका   
तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में एक दलित व्यक्ति के शव को पुल के रास्ते से जाने नहीं दिया गया। दलित समुदाय के लोगों ने मृतक शरीर को रस्सी की मदद से पुल से नीचे उतारा और तब श्मशान घाट तक ले गए। इस इलाके में दलित शव के साथ हुई यह पहली घटना नहीं है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Aug 2019
dalit death
Image Courtesy : The News Minute

भारत में जातिगत भेदभाव की एक और घृणित घटना सामने आयी है। तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में एक दलित व्यक्ति के शव को पुल के रास्ते से जाने नहीं दिया गया। दलित समुदाय के लोगों ने एक मृतक शरीर को रस्सी की मदद से पुल से नीचे उतारा। नीचे बांस का पालना था। पालने पर मृतक के शव को रखा। उसके बाद श्मशान घाट तक ले गए। ऐसा केवल इसलिए किया गया क्योंकि श्मशान घाट तक जाने वाले रास्ता दो दबंग जातियों के गाँव से होकर जाता था। और दंबंग जाति के लोगों ने शमशान घाट तक जाने का रास्ता नहीं दिया था। 

द न्यूज मिनट तहत यह कहानी तब सामने आई, जब 17 अगस्त को नारायणपुरम गाँव में एक 20 फीट ऊंचे पुल से नीचे की ज़मीन पर शव नीचे गिरा रहे मर्दों के एक समूह का ऑनलाइन वीडियो सामने आया, जिसके बाद शव को वहाँ से श्मशान ले जाया गया। शव नारायणपुरम दलित कॉलोनी से संबंधित 55 वर्षीय कुप्पन का था, जिनकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।

कुप्पन के भतीजे विजय ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, " शनिवार को, जब हमने अपने चाचा के शव को पुल की पट्टियों के माध्यम से ले जाने की कोशिश की तो पहरेदारों ने हमें प्रवेश देने से इंकार कर दिया। झड़प के डर से, ग्रामीणों ने पुल से शव को गिराने के लिए एक पालने का इस्तेमाल किया और उसका अंतिम संस्कार किया। ”

रिपोर्ट के मुताबिक नदी की ओर जाने वाली जमीन या रास्तों को अरासंतपुरम-नारायणपुरम पुल बनने के बाद प्रमुख जातियों ने अपने कब्जे में ले लिया है। ग्रामीणों ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि गाँव के दलित समुदाय के लोगों को ऐसा करना पड़ा है। उन्होंने इससे पहले भी ऐसा कई बार किया है।  

कुप्पन के भतीजे ने न्यूज़मिनट को बताया कि वे पिछले 20 सालों से श्मशान घाट तक पहुँचने में परेशानी का सामना कर रहे हैं। दबंग जाति के लोग जमीन के मालिक हैं और हमें लाशों के साथ जाने नहीं देते हैं। हिन्दू जातियों का अलग शमशान घाट है, जिसे हमें इस्तेमाल नहीं करने दिया जाता है। पुल बनने के 15 साल पहले, हम मृतक शवों को पानी में छोड़ देते थे। लेकिन अब हमें  दाह संस्कार करने के लिए पुल से नीचे उतरना पड़ता है। हमने कई जिला अधिकारियों से अपील की है कि वह हमारी मदद करें, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 

इस बीच तिरुपतपुर के उपजिलाधिकारी प्रियंका पंकजम ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि हमें इस घटना के बारें में बुधवार शाम को ही पता चला, इस घटना की जांच का आदेश दे दिया गया है। अगर कोई दोषी पाया जाता है तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे।

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