NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
त्रिपुरा और गुजरात: बच्चों के स्वस्थ्य की एक तुलना
त्रिपुरा की वाममोर्चा के शासन में बाल स्वास्थ्य भाजपा शासित गुजरात और मध्य प्रदेश ज्यादा बेहतर हैं।
सुबोध वर्मा
24 Jan 2018
Translated by महेश कुमार
त्रिपुरा

त्रिपुरा, जो 18 फरवरी को चुनाव में जा रहा है, वहां वाम मोर्चा सरकार 1993 से सत्ता में है और  माणिक सरकार 1998 से के बाद से लगातार मुख्यमंत्री का पद संभाले हुए हैं। दो अन्य राज्यों में भी समान ही समय का शासन हैं - गुजरात और मध्य प्रदेश जहाँ भाजपा सत्ता में हैं। सवा एक वर्ष को छोड़ दें जिसमें भाजपा के ही एक धड़े ने 1996-98 तक शासन किया इसलिए यह मन जाए कि गुजरात में भाजपा सरकार व्यावहारिक रूप से 1993 से है। मध्य प्रदेश में 2003 से भाजपा का शासन है।

सरकार की लंबी अवधि के शासन को मापने के लिए और नीतियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए इतना समय पर्याप्त होता हैं। आइए हम उन महत्वपूर्ण संकेतकों पर नज़र डालते हैं कि इन सरकारों ने लोगों की भलाई के लिए क्या किया है। यह बच्चों की स्वास्थ्य की बात है। यह डेटा 2015-16 में आयोजित राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) 4 से लिया गया है।

सबसे पहले, बचपन की मृत्यु दर से नवजात शिशुओं की मौत की दर से संकेत मिलता है कि जन्म के लिए आधुनिक सहायता प्रणाली उपलब्ध थी या नहीं, और बाद में मृत्यु दर बताती है कि बच्चे को कितनी चिकित्सा देखभाल और पोषण के लिए समर्थन दिया गया। उच्च मृत्यु दर का मतलब है कि चिकित्सा सहायता और कम पोषण संबंधी स्थिति में कमी का होना है।

त्रिपुरा में नवजात मृत्यु दर (नवजात शिशु की मृत्यु से एक महीने के भीतर) गुजरात का आधा और मध्य प्रदेश के मुकाबले एक तिहाई है (इसके लिए नीचे दी गई तालिका देखें) त्रिपुरा में शिशु मृत्यु दर (एक वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले की मृत्यु) गुजरात से कम है और मध्यप्रदेश के मुकाबले आधा है। और, बाल मृत्यु दर (पांच साल की आयु तक पहुंचने से पहले मृत्यु) गुजरात से एक चौथाई कम है और मध्यप्रदेश के मुकाबले करीब आधा है।

tripura

जाहिर है, त्रिपुरा सरकार गुजरात और मध्यप्रदेश दोनों की तुलना में बाल स्वास्थ्य और उत्तरजीविता (बच्चों के जीवित रहने की दर) के प्रति बहुत अधिक ध्यान दे रही है। एनएफएचएस का सर्वेक्षण 1992-93 में आयोजित किया गया था। उस समय, तीनों में बचपन मृत्यु दर के गुजरात के मुकाबले त्रिपुरा खराब था, हालांकि एमपी के मुकाबले बेहतर था।

अमीर राज्य गुजरात के मुकाबले क्यों त्रिपुरा में यह नाटकीय सुधार हुआ है और उसे इस के लिए किन कारकों ने प्रेरित किया? इसका जवाब सरकार की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के विस्तार में है, जिसकी पहुँच दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों तक है, यह सुनिश्चित करना कि गर्भवती महिलाओं को कुशल देखभाल मिले, और लौह-फोलिक एसिड की गोलियों जैसी आवश्यकताएं को सुनिश्चित करना साथ ही प्रसूति कक्ष कार्यात्मक होते हैं और छोटी-छोटी  जरूरतों पर ध्यान दिया जाता है जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े विशेष कमरे जो केंद्र में होते हैं (जिसे 'मेयर घर' कहा जाता है) जहां लगभग जन्म देने वाली महिलाओं) के साथ एक रिश्तेदार आ सकती है और नियत तारीख से एक हफ्ते पहले ठहर सकती है ताकि प्रसूति में उन्हें दूरस्थ गांवों से यात्रा करने की जरूरत न हो। इस सुविधा के तहत भोजन भी मुफ्त में प्रदान किया जाता है। गुजरात और मध्यप्रदेश दोनों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं और स्वास्थ्य कर्मियों की गंभीर कमी है। दोनों ने निजी स्वास्थ्य सेवा को अधिक प्राथमिकता दी है, सार्वजनिक व्यवस्था को तबाह कर दिया है और बहुत से गरीब वर्गों, खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में आदिवासियों को बिना किसी स्वास्थ्य सेवा के छोड़ दिया है।

सिर्फ यही नहीं है कि त्रिपुरा  गुजरात 'मॉडल' से बेहतर अपने नवजात शिशुओं की देखभाल कर रही है। त्रिपुरा में बच्चों के स्वास्थ्य की सामान्य स्थिति गुजरात की तुलना में बेहतर है। त्रिपुरा में कम वजन के बच्चों का 18 प्रतिशत हिस्सा गुजरात के 19 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 22 प्रतिशत के मुकाबले बेहतर है।

और, त्रिपुरा में 48 प्रतिशत बच्चों में अनीमिया (खून की कमी) मौजूद है, जबकि गुजरात में यह हिस्सा 63 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 69 प्रतिशत है। जन्म और एनीमिया (खून की कमी) पर कम वजन (हीमोग्लोबिन 11ग/ डीएल से कम गिनती) पोषण के संकेतक हैं, जो कि मुख्य रूप से गरीबी के कारण होता है, लेकिन माताओं के लिए जानकारी और शिक्षा तक पहुंच की कमी भी होती है।

tripura

यह आश्चर्यजनक है कि गुजरात जैसे एक उच्च प्रति व्यक्ति आय, उच्च शहरीकरण, उच्च औद्योगिकीकरण और उच्च प्रोफ़ाइल (प्रधान मंत्री की खुद की तुलना में कम नहीं है) के बावजूद  त्रिपुरा, दुर्गम वनों वाले राज्यों में एक है और जहाँ 31 प्रतिशत आदिवासी आबादी है।

इन आंकड़ों का मतलब यह माना जा सकता है कि त्रिपुरा की वाम मोर्चा सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य में एक आदर्श काम किया है या गुजरात और मध्य प्रदेश की भाजपा की सरकारें इस मामलें में बहुत खराब प्रदर्शन किया है।

या, इसके दोनों ही मतलब हो सकते है।

त्रिपुरा
त्रिपुरा सरकार
गुजरात
Manik Sarkar
Modi
CPI(M)
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License